नमिता टोपो ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को कहा अलविदा

  • मैं खुश हूं कि मेरा भारत का हॉकी में सबसे बड़े मंचों पर खेलने का सपना पूरा हुआ
  • चीफ कोच यांकी बोली, टीम की नौजवान खिलाडिय़ों के लिए शानदार आदर्श रही नमिता

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : भारतीय महिला हॉकी टीम की बेहतरीन मिडफील्डर रही 27 वर्षीया नमिता टोपो ने बृहस्पतिवार को अंतर्राष्ट्रीयहॉकी को अलविदा कह दिया। हॉकी इंडिया ने नमिता टोपो को भारतीय हॉकी में उनके शानदार याशगदान के लिए बधाई दी। नमिता अब भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए खेलती नहीं दिखेंगी और इसकी कमी हर हॉकी प्रेमी को अखरेगी। ओडिशा के आदिवासी अंचल के राजगांगपुर के जाउरूमल गांव से आकर भारत को 2014 एशियाई खेलों में कांसा और चार बाद फिर इन खेलों में रजत पदक जिताने में अहम रोल अदा करनी वाली नमिता टोपो को गुरबत के बावजूद बराबर हौसलाअफजाई करने वाले अपने पिता इलोट टोपो का समर्थन मिला। अपने गांव से निकलने के बाद नमिता ने स्पोटर्स हॉस्टल, पम्पोश(राउरकेला) में अपने हॉकी कौशल को निखारा। वह 2016 के रियो ओलंपिक में खेलने वाली भारतीय टीम की अहम सदस्य रहीं।नमिता भारत की सीनियर टीम के लिए सबसे पहले 2012 में डबलिन में 17 बरस की उम्र में एफआईएच चैंपियंस चैलेंज कप में खेली। नमिता 2013 में वह रानी रामपाल की अगुआई में 2013 में एफआईएच जूनियर महिला हॉकी विश्व कप मे कांसा जीतने वाली भारतीय टीम की सदस्य रही ।वह भारत की 2017 में एशिया कप में रजत पदक जीतने वाली टीम की सदस्य रहीं।

नमिता टोपो ने कहा, ‘ पिछले दस बरस बेशक मेरे जीवन के सबसे बेहतरीन बरस रहे। मैं खुश हूं कि मेरा भारत का हॉकी में सबसे बड़े मंचों पर खेलने का सपना पूरा हुआ। मेरा मानना है मैं बड़ी छाप छोडऩे में कामयाब रही। भारतीय हॉकी टीम की बीते दशक में तरक्की से मैं रोमांचित हूं। मैं अपनी जिंदगी के नए अध्याय की ओर बढ़ रही हूं लेकिन मैं अपनी भारतीय हॉकी टीम का समर्थन करती रहूंगी । मैं हॉकी में जो कुछ भी हासिल किया वह अपनी टीम और ओडिशा सरकार के समर्थन के बिना हासिल नहीं सकती थी। ओडिशा सरकार ने हर कदम पर हमारी उपलब्धियों को सराहा। मैं अपने प्रदेश ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक , हॉकी इंडिया, साई औा खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय के उनके भारतीय हॉकी को दिए अपार समर्थन के लिए उनकी आभारी हूं।’

भारतीय महिला हॉकी टीम की चीफ कोच यांकी शॉपमैन ने कहा, ‘ नमिता ने भारतीय हॉकी के लिए अमूल्य योगदान दिया। मैदान पर सब कुछ देने के साथ नमिता टीम की नौजवान खिलाडिय़ों के लिए शानदार आदर्श रहीं। नमिता भारत के लिए 168 मैच खेली और बहुत खिलाडिय़ों को अपनी राष्टï्रीय टीम के लिए इतने मैच खेलने का मौका नहीं मिला है। नमिता महान हॉकी खिलाड़ी होने के साथ मेरी निगाह में बेहद दयालु लोगों में से एक है। नमिता बेहद सुलझी खिलाड़ी तो रही उनके लिए हमेशा टीम सबसे पहले रही।’