गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली।राजस्थान के पड़ोसी प्रदेश गुजरात के मूल निवासी होने के कारण हर गुजराती की तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राजस्थान से युवावस्था से ही गहरा और अन्तरंग सम्बन्ध रहा है। उनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के वक्त से ही राजस्थान आना-जाना रहा है। राजनीति में सक्रिय होने पर कई चुनावी सभाओं और प्रधानमंत्री के रुप में भी वे कई बार राजस्थान आयें है।
दक्षिणी राजस्थान के वागड़ और मेवाड़ की सभाओं में उन्होंने राजस्थान के साथ गुजरातियों के सम्बन्धों को उजागर करते हुए भावुकता के साथ कहा था कि हमारे घरों में कभी ताले नही लगते,यहाँ तक कि गुजरातियों के कारोबार और तिजोरियों की चाबियाँ भी उदयपुर,डूंगरपुर और बाँसवाड़ा के आदिवासी भाइयों (जिन्हें वहाँ यहाँ रामा भाई कहाँ जाता है) के भरोसे ही रहती है। गुजरातियों की समृद्धि में इन आदिवासी भाइयों का बड़ा योगदान हैं।
इसी तरह उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में पश्चिम राजस्थान के जालोर और बाड़मेर जिलों में माही और नर्मदा का पानी पहुँचाने के लिए पहल की।दरअसल दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल बाँसवाड़ा में निर्मित अंतर्राज्यीय बहु उद्देशीय महत्वाकांक्षी माही परियोजना के लिए राजस्थान मध्य प्रदेश और गुजरात के मध्य हुए समझौता के अनुसार माही का बाँसवाड़ा की डेढ़ लाख हेक्टयर प्यासी भूमि की सिंचाई के बाद अधिशेष पानी को गुजरात के कडाणा बांध में छोड़ा जायेगा और जब सरदार सरोवर बाँध के पूरा होने पर उसे नर्मदा का पानी मिलना शुरू हो जायेगा तब गुजरात एक हाई लेवल केनाल बना कर राजस्थान के रेगिस्तान की प्यासी भूमि को तृप्त करने के लिए माही नर्मदा का अधिशेष पानी वहाँ तक पहुँचायेगा।राजस्थान के जालौर और बाड़मेर में नहरी तन्त्र तैयार होने तक यह पानी आने में समय भी लगा । इस दरमियान मोदी जी ने गुजरात में छोटे-छोटे चेक डेम बनवा कर गुजरात के किसानों की जरूरतों को पूरा कर लोकप्रियता हासिल की। साथ ही पश्चिम राजस्थान तक पानी पहुँचाने तक नहर बनाने के काम को भी तेज़ी से पूरा किया और जालौर जिले की सीमा में पानी पहुँचाया। तब राजस्थान में वसुन्धरा राजे की सरकार थी। लेखक भी नहर में पानी छोड़ने के इस ऐतिहासिक समारोह के राष्ट्रीय मीडिया के साथ साक्षी बने थे।
प्रधानमंत्री के रुप में राजस्थान को मिली सौग़ातें
प्रधानमंत्री के रुप में मोदी ने राजस्थान को कई सौग़ातें दी। देश के सर्वोच्च संविधानिक पदों में शामिल उप राष्ट्रपति पद पर झुँझुनु के जगदीप धनखड़ का निर्वाचन और लोकसभा अध्यक्ष के रुप में कोटा के ओम बिरला का चुना जाना राजस्थान को एक बड़ी सौग़ात है। आजादी के अमृत महोत्सव में संसद के दोनों सदनों के अध्यक्ष राजस्थानियों के होने से एक नया इतिहास बना है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद पिछले 8 वर्षों से भी अधिक समय में वे लगातार राजस्थान में आते रहे है और जब भी आए प्रदेश को कोई न कोई बड़ी सौगात जरूर देकर गए है ।
पश्चिमी राजस्थान को रिफाइनरी की सौगात भी मोदी के कार्यकाल में ही मिली । उन्होंने इसका शिलान्यास किया। हालाँकि यह परियोजना कुछ समय के लिए अटक भी गई थी लेकिन क़रीब अस्सी हज़ार करोड़ के निवेश से बन रही इस महत्वाकांक्षी परियोजना से पश्चिम राजस्थान की तक़दीर बदलेंगी और रोज़गार के नए द्वार भी खुलेंगे। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे लेकर बहुत उत्साहित है।
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के लिए सोइल हैल्थ कार्ड भी राजस्थान आकर ही लांच किया था। वहींप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुंझुनूं की वीर भूमि से बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत की।झुन्झूनू देश को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाले जिलों में शुमार है। पुरूषों के मुकाबले कम होती महिलाओं की तादाद को देखते हुए पीएम ने झुन्झूनू की धरती से बेटी बचाओ का संदेश दिया।
उन्होंने अपनी राजस्थान की यात्राओं में ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट शुरू कराने के लिए सकारात्मक कार्यवाही का भरोसा दिया था। इस प्रोजेक्ट के तहत पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदियों की लिंक परियोजना के प्रस्ताव को केंद्र सरकार से मंज़ूरी का प्रस्ताव है जोकि ल केन्द्रीय जलसंसाधन विभाग के पास लम्बित है। यह परियोजना पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के समय पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पेयजल एवं सिंचाई सुविधाओं से लाभान्वित करने के लिए बनाई गई थी जिसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री से लगातार माँग कर रहें है।
गहलोत करीब 37 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना इस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट को पार्वती, कालीसिंध एवं चम्बल नदियों की लिंक परियोजना के रूप में केन्द्र सरकार से स्वीकृति दिलवाने का आग्रह किया है ताकि पानी की समस्या से जूझते प्रदेश को परियोजना के लिए अधिकाधिक केन्द्रीय मदद मिल सके।इस परियोजना के लागू होने से राजस्थान की 40 प्रतिशत आबादी को सिंचाई व पेयजल की सुविधा मिल सकेगी।
13 जिलों में दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र और इतने ही अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी और पेयजल संकट से प्रभावित जिलों को पीने का पानी उपलब्ध करवाने के लिए वेपकोस से यह परियोजना तैयार करवाई गई थी. इस परियोजना को केन्द्रीय जल आयोग से भी सैद्धान्तिक मंजूरी मिल चुकी है।परियोजना की प्रस्तावित लागत 37 हजार करोड़ में से करीब 20 हजार करोड़ रुपये सिंचाई से जुड़े कार्यों और 17 हजार करोड़ रूपये पीने के पानी के लिए खर्च होंगे।गहलोत ने राजस्थान सरकार की ओर से बजट में 9600 करोड़ रु. के प्रावधान की घोषणा भी की है।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की चौथी गवर्निंग कमेटी की बैठक में भी इस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट की चर्चा की थी. राजस्थान में सतही व भू-जल की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह मांग राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप वाजिब जरूरत है।
भाजपा की ओर से दावा किया गया कि केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के मार्फ़त राजस्थान के करोड़ों लोग लाभान्वित हुए हैं।जिसमें केंद्र की मुद्रा योजना के तहत पिछले चार वर्षों में 1 करोड़ 11 लाख लोगों को ऋण की राशि स्वीकृत हुई जिसमें 78,629 करोड रुपए का ऋण राजस्थान के लोगों को मिला। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत प्रदेश के 3 करोड़ 11 लाख लोगों के खाते खोले गए। इन बैंक खातों में विभिन्न योजनाओं के तहत 12 हजार 994 करोड रुपए की राशि सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर हुई।किसान सम्मान निधि योजना के तहत राजस्थान के 75 लाख किसानों के खातों में 10791 करोड़ रुपए की राशि हस्तांतरित हुई।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत राजस्थान में 81 लाख 20 हजार शौचालय निर्मित हुए। प्रत्येक लाभार्थी को 12-12 हजार रुपए की सहयोग राशि प्रदान की गई।
जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल लगाने की योजना के लिए 14 हजार करोड रुपए की राशि स्वीकृत हुई। जैसलमेर जैसे सुदूर जिले के ग्रामीण इलाकों तक नल के जरिए पेयजल पहुंचाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राजस्थान के 4 करोड़ 49 लाख किसानों का फसल बीमा हुआ। 1 करोड़ 25 लाख किसानों को 16560 करोड़ रुपए का मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा दिया जा चुका है।
कोरोना के बाद राशन वितरण करने की योजना के तहत राजस्थान के 80 करोड़ लोगों को सीधे राशन वितरण हो रहा है। केंद्र ने कोरोना काल के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहे राजस्थान को जीएसटी मुआवजे की भरपाई के लिए 3428.39 करोड़ रुपय की राशि जारी की ।
राजस्थान सरकार की कई बार तारीफ
प्रधानमंत्री मोदी ने सदी की सबसे बड़ी त्रासदी कोरोना महामारी के प्रबंधन के साथ ही मोबाइल टावर लगाने की प्रक्रिया को आसान बनाने आदि के लिए राजस्थान सरकार की तारीफ की। राज्यों के मुख्य सचिवों की समीक्षा बैठक में मोदी ने कहाकि राजस्थान जैसे कुछ राज्य अच्छा काम कर रहे हैं।उन्होंने सभी राज्यों को दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में संचार या मोबाइल कनेक्शन बढ़ाने, इससे जुड़ी रुकावट दूर करने और संचार क्रांति के जरिए बदलाव की कोशिशें करने का आग्रह किया। राजस्थान के चार मेडिकल कॉलेजों बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा के शिलान्यास समारोह में भी प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दोस्ती का हवाला देते हुए जिस अंदाज में तारीफ की उसकी सियासी हलकों में बहुत चर्चा हुई । यह पहला मौका नहीं है, जब पीएम मोदी ने गहलोत की तारीफ की है। मोदी ने कहा- अशोकजी को मुझ पर भरोसा है, उसी के कारण उन्होंने दिल खोलकर बहुत सी बातें रखी हैं। यह दोस्ती, यह विश्वास, यह भरोसा यह लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत है।
मोदी – गहलोत के रिश्ते
सियासी मतभेदों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रिश्ते हमेशा मधुर रहें हैं। सार्वजनिक मौकों पर मोदी और गहलोत एक-दूसरे का गर्मजोशी से स्वागत करते कई बार देखे गए हैं। सियासी तौर पर भले ही एक दूसरे पर जमकर हमले करते हों, लेकिन उन्होंने आपसी कभी रिश्ते खराब नहीं किए। गहलोत गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रहने के दौरान भी मोदी पर खूब सियासी हमले करते थे और अब सोनिया राहुल गाँधी के विरुद्ध ईडी की कार्यवाही और अन्य मुद्दों पर भी बहुत वाचाल हैं।
2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनीं। 13 दिसंबर 2013 को वसुंधरा राजे के शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान मुख्यमंत्री के तौर पर गहलोत शामिल हुए थे , नरेंद्र मोदी उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे। शपथ ग्रहण समारोह में मोदी ने गहलोत को गर्मजोशी से गले लगाया था। मोदी ने जिस अंदाज और गर्मजोशी से गहलोत को गले लगाया था उसकी देश भर में खूब चर्चा हुई थी और उनकी तस्वीरें देश-विदेश में भी छपी थी।
अशोक गहलोत भी जब तीसरी बार मुख्यमंत्री बने तों फरवरी 2019 में पीएम मोदी से मिलने गए थे। तब भी मोदी गहलोत गर्मजोशी से मिले थे। इस मुलाकात में गहलोत का हाथ पीएम की पीठ पर था। आम तौर पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच मुलाकात में इस तरह के हाव-भाव बहुत कम ही देखने को मिलते हैं।
राजस्थान की स्वस्थ और समृद्ध परम्परा
राजस्थान में बड़े नेताओं के आपसी रिश्ते बहुत सहज रहते आए हैं। प्रदेश की यह स्वस्थ और समृद्ध परम्परा है।राजस्थान की राजनीति में दिवंगत नेताओं दिवंगत उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत, मोहनलाल सुखाड़िया, महारावल लक्ष्मण सिंह, हरिदेव जोशी,शिव चरण माथुर,अशोक गहलोत और वसुन्धरा राजे आदि अनेक दिग्गज नेताओं के राजनीति से इतर रिश्तों को निभाने की परम्परा बेजोड़ है और रिश्ते निभाने की यह गौरवशाली परम्परा अब भी अनवरत जारी है।