‘दुर्गा’ से ‘दरियादिल’ क्याें बन गईं ममता ‘दीदी’ ?

संदीप ठाकुर

लड़ने और झगड़ने के लिए जानी जाने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
‘दुर्गा’ से ‘दरिया दिल ‘ क्याें बन गईं ? पिछले दिनों ममता के आए कुछ
बयान से देश के लाखों-कराेड़ाें लाेगाें के जहन में यह सवाल हलचल मचा रहा
है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर रहने वाली ममता बनर्जी के
टाेन आखिर क्याें बदल गए ? बात-बात पर पीएम मोदी को निशाने पर लेने वाली,
उन पर देश की राजनीति और समाज का बंटाधार करने का हरसंभव आरोप लगाने
वाली ममता अब मोदी का खुलेआम बचाव कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री काे
केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप से मुक्त कर दिया है। उन्होंने
कहा कि विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के पीछे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ है, ऐसा उन्हें नहीं लगता है। पश्चिम
बंगाल की मुख्यमंत्री ने यह बात राज्य विधानसभा में कही। इतना ही वे
आरएसएस की भी तारीफ कर रही हैं। ममता बनर्जी ने पिछले दिनों राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के प्रति नरमी दिखाई। उन्होंने कहा कि आरएसएस में सारे लोग
बुरे नहीं हैं, बल्कि बहुत से लोग अच्छे हैं, जो भाजपा की राजनीति को
पसंद नहीं करते हैं। जिस कारोबारी के खिलाफ देश का समूचा विपक्ष एकजुट
होकर हमला कर रहा है उसे भी हजारों करोड़ रुपए का काम ममता ने दे दिया
है।

राजनीति की बारीकियों को पढ़ने समझने वाले कह रहे हैं कि पीएम मोदी को
क्लीन चिट देने के पीछे या ताे मजबूरी है या फिर रणनीति। देश की राजधानी
दिल्ली की बात हो या फिर प. बंगाल की राजधानी कोलकाता की, ममता को मौका
मिले और वो तेवर दिखाने से बाज आएं, ऐसा कभी नहीं हुआ। पिछले दिनों
इंडिया गेट पर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के उद्घाटन समारोह के तहत नेताजी
सुभाष चंद्र बोस की 28 फुट ऊंची मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री ने किया
था। इसमें ममता बनर्जी काे भी आमंत्रित किया गया था लेकिन वे नहीं आईं।
क्योंकि वे आमंत्रण के तरीके काे लेकर नाराज थीं। ममता ने यहां तक कह
दिया कि मुझे जिस तरह से कार्यक्रम में बुलाया गया है उससे ऐसा लगता है
जैसे कि मैं प्रधानमंत्री की नौकर हूं।’ नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े
एक और कार्यक्रम को याद कर लेते हैं। बात पिछले साल की है। नेताजी की
जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता में थे। प्रदेश की
मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी भी उनके साथ मंच पर थीं। जैसे ही वे
बाेलने काे खड़ी हुईं कि भीड़ ने जय श्री राम के नारे लगा दिए। फिर क्या
था,ममता नाराज हाे गई और पीएम की मौजूदगी में ही भी भीड़ काे जमकर खरी
खोटी सुनाई। जय श्री राम के जवाब में जय हिंद और जय बांग्ला का नारा
लगाकर मंच से चलती बनीं।आज उसी ममता ने पीएम की तारीफ कर सबको चौंका दिया
है।

तारीफ के पीछे की कहानी यह बताई जाती है कि ममता बनर्जी के करीबी
रिश्तेदारों की आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच काे लेकर काेलकत्ता
हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका न सिर्फ स्वीकार हाे गई
है बल्कि कोर्ट ने आयकर विभाग काे जांच के आदेश भी दे दिए हैं। उधर ममता
के भतीजे अभिषेक बनर्जी ईडी के रडार पर पहले से हैं ही। अभिषेक की पत्नी
और ससुराल के कई लोग केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं।
पार्टी के दर्जनों नेताओं के ऊपर सीबीआई और ईडी की जांच की तलवार लटक रही
है। मोदी प्रेम की वजह इसे ही बताया जा रहा है। यही वजह है कि ममता ने
विरोधी दलों के बन रहे महागठबंधन के साथ जाने से इंकार कर दिया है।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में अंदर तक पैठ रखने वालों का यह भी कहना है कि
मोदी की तारीफ सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। 2024 का आम चुनाव सामने
है। मोदी के नेतृत्व में भाजपा हिंदुत्व का झंडा लिए आगे बढ़ रही है।
तारीफ कर हिंदू समाज को यह मैसेज देना है कि वे नरेंद्र मोदी के खिलाफ
नहीं हैं। उन्हें लग रहा है कि मोदी पर हमला करने से बहुसंख्यक हिंदू
समाज यदि नाराज हाे जाए ताे आम चुनाव में लेने के देने पड़ सकते हैं। इस
तरह वे एक तीर से दो शिकार करने का प्रयास कर रही हैं। वे अपनी पार्टी के
नेताओं और परिवार के सदस्यों को केंद्रीय एजेंसियों से बचाने की कोशिश कर
रही हैं तो दूसरी ओर बहुसंख्यक हिंदुओं को मैसेज दे रही हैं कि वे हिंदू
विरोधी नहीं हैं।