पांच किलो मुफ्त अनाज देना रेवड़ी नहीं, बिजली पानी फ्री देना रेवाड़ी है…गजब का लॉजिक

संदीप ठाकुर

केंद्र में मौजूदा मोदी सरकार का गजब का लॉजिक है। इस सरकार में
प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री तक का मानना है कि पांच किलो मुफ्त अनाज
देना रेवड़ी नहीं है,लेकिन बिजली पानी,स्वास्थ्य,शिक्षा फ्री देना रेवाड़ी
कल्चर है और यह कल्चर जल्द से जल्द बंद हाेना चाहिए। सुनवाई देश की
सर्वोच्च अदालत सुप्रीम काेर्ट में भी चल रही है। समिति गठित कर दी गई
है। रिपाेर्ट कब आएगी पता नहीं।

मुफ्त में सुविधा देने काे रेवड़ी कल्चर बताते हुए मंच से कई बार भाजपा
नेताओं ने इसकी आलोचना की लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण
अन्न योजना यानी गरीबों को पांच किलो अनाज मुफ्त देने को तीन महीने के
लिए केंद्र सरकार ने बढ़ा दिया है। यह योजना 30 सितंबर को खत्म हो रही
थी। इसे बढ़ाने के पीछे असली कारण यह है कि अगले दो महीने में दो भाजपा
शासित राज्यों- गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले
हैं। भाजपा काे इसके आधार पर वोट मिलता है। इन दाे राज्याें में भी वाेट
बटाेरना है। वाेट बटाेरने के बाद भी फ्री का ये सिलसिला थमेगा,ऐसा लगता
नहीं है। इसलिए यह लगभग तय माना जा रहा है कि योजना अगले लोकसभा चुनाव
यानी 2024 तक चलती रहेगी। क्याेंकि अगले साल कई राज्यों के चुनाव हैं।
साल के शुरू में पूर्वोत्तर के राज्यों में, उसके बाद कर्नाटक में और फिर
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव हैं। इसलिए यह
संभव नहीं है कि सरकार इस योजना को 31 दिसंबर को समाप्त होने दे। उसके
बाद इस योजना को होली तक बढ़ाया जाएगा और ऐसे ही तीन-तीन महीने करके अगले
लोकसभा चुनाव तक इसे बढ़ाया जाएगा।

यह आलम तब है जब देश में अनाज की कमी है। रबी और खरीफ दोनों की फसल खराब
हुई है और सरकारी खरीद भी कम हुई है। इसके बावजूद मुफ्त अनाज योजना चलती
रहेगी क्योंकि इसके आधार पर गरीबों का वोट जो लेना है। रेवड़ी सिर्फ
विधायकों, सांसदों, मंत्रियों को मिल रही हाे ऐसा नहीं है। रेवड़ी देश के
घन्ना सेठाें काे भी मिल रही है। पिछले पांच वित्तीय वर्ष में करीब 10
लाख करोड़ रुपए का कर्ज बट्टे खाते में डाला गया है। यानी हर साल औसतन दो
लाख करोड़ रुपए का कर्ज बट्टे खाते में जा रहा है यानी डूब रहा है। जिन
कारोबारियों के कर्ज बट्टे खाते में डाले गए उनमें से 10 हजार से कुछ
ज्यादा तो ऐसे हैं, जिनके पास पैसा है लेकिन उन्होंने कर्ज नहीं चुकाया।
ये विलफुल डिफॉल्टर हैं। जिन लोगों के कर्ज बट्टे खाते में डाले गए उनमें
से सबसे ज्यादा ‘मेहुल भाई’ की कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड के हैं। यह
जानकारी पिछले संसद सत्र में सरकार ने ही थी। क्या यह रेवड़ी नहीं है ?

यह ‘रेवड़ी कल्चर’ देश और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा मोदी सरकार काे कब
नजर आया, जब गुजरात चुनाव का वक्त आया। कारण अरविंद केजरीवाल। केजरीवाल
की आम आदमी पार्टी ने मुफ्त में सुविधाएं बांटने की घोषणा कर चुनाव में
दिल्ली का किला फतह किया। दिल्ली में मिली बंपर कामयाबी के बाद पार्टी ने
पंजाब में इसे सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया। अब यही फार्मूला गुजरात चुनाव
में लागू किया ताे प्रधानमंत्री काे भाजपा की संभावित हार का खतरा नजर
आने लगा। फिर क्या था उन्हाेंने रेवड़ी कल्चर काे देश के लिए घातक बता
डाला लेकिन सिर्फ कागजाें पर। क्याेंकि 5 किलाे मुफ्त राशन की तिथि एक
बार फिर बढ़ा दी गई। इस फ्री रेवड़ी का बाेझ दाैन उठाएगा…देश का आम
आदमी।