नरेंद्र तिवारी
मध्यप्रदेश में कपास उद्योग पर भयानक संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सफेद सोने के इस व्यापार में संकट का कारण और कुछ नहीं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आरोपित मंडी टेक्स हैं, जो आसपास के प्रदेशों के मंडी टेक्स से दो गुणा, तीन गुणा और कहीं-कहीं तो चार गुणा तक भी हैं। मंडी टेक्स की अधिकता मध्यप्रदेश में कपास उद्योग के खात्मे का कारण बनी हुई हैं। दूसरी और सरकार मंडी टेक्स को कम करने की दिशा में बिल्कुल भी गम्भीर नहीं दिखाई दे रहीं है। यदि समय रहतें मंडी टेक्स कम नहीं किया तो मध्यप्रदेश का कपास उद्योग पूरी तरह खत्म हो जाएगा। मध्यप्रदेश के कपास व्यवसायियों ने मंडी टेक्स कम करने की मांग को लेकर 3 अक्टूम्बर को सरकार को चेताया था। इस दिन सांकेतिक हड़ताल का आयोजन कर सरकार को आगामी दिनों अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी गयी थी। एक दिवसीय हड़ताल को एमपी की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अनदेखा कर दिया। फलस्वरूप 11 अक्टूम्बर से एमपी में कपास व्यापारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करते हुए प्रदेश के अनुमानित 200 से 250 जिनिग-प्रेसिंग कारखानों में काम ओर खरीदी बंद करने का निर्णय लिया। कपास व्यवसायियों के इस कदम से जो अमूमन पहली बार ही उठाया गया था, निमाड़-मॉलवा के कपास उत्पादक किसानों की बेचैनी बढ़ गयी। मंडियों में सरकार के विरुद्ध किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिए। दीपावली के पूर्व किसान अपनी कपास की फसल को मंडी बेचने हेतु लेकर आए, किंतु हड़ताली व्यापारियों द्वारा किसान की कपास खरीदी नही करने के अपने दृढ़ निर्णय से किसानों ने मंडियों में खरीदी का दबाब बनाने हेतु विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बड़वानी की अंजड़ मंडी में किसानों ने स्थानीय एसडीएम के वाहन के सामने लेटकर प्रदर्शन किया और मंडी में कपास की खरीदी शुरू करने की मांग की, अंजड़ ही नही सम्पूर्ण निमाड़ में किसानों का विरोध बढ़ता जा रहा था, किसानों की मांग जब खरगोन-बड़वानी, खंडवा, धार, झाबुआ रतलाम ओर बुरहानपुर के नेताओं तक पहुची तो इन नेताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर या मिलकर व्यवसायियों की हड़ताल के चलते कपास खरीदी में आ रही दिक्कतों से अवगत कराने के प्रयास भी किये। मुख्यमंत्री को बड़वानी विधायक और मध्यप्रदेश सरकार के पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल, खरगोन बड़वानी के सांसद सदस्य गजेंद्र सिंह पटेल, राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी, पूर्व मंत्री अंतरसिंह आर्य, पूर्व मंत्री ओर अंजड़ विधायक बाला बच्चन, सेंधवा विधायक ग्यारसीलाल रावत, विधायक, खरगोन विधायक रवि जोशी, पानसेमल विधायक चंद्रभागा किराड़े ने किसानों और व्यापारियों की समस्या के मद्देनजर प्रदेश सरकार को पत्र भी लिखें, किन्तु इस समस्या का कोई उचित निराकरण करने के बजाए मध्यप्रदेश की सरकार ने व्यापारियों के मंडी लायसेंस निरस्त करने, सीसीआई से खरीदी करने जैसे दबाव बनाकर दीपावली के पूर्व व्यापारियों की हड़ताल को मंडी टेक्स कम करने के आश्वाषण देकर खत्म तो करा लिया किंतु अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। मध्यांचल कॉटन व्यापारी एशोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष मनजीत सिंह चावला ने इस सम्बंध में बताया कि प्रदेश में मंडी टेक्स 1रुपया 70 पैसे है। अधिक मंडी टेक्स होने की वजह से कपास व्यवसायियों को अपनी जिनिग-प्रेसिंग कारखानों के संचालन में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। मंडी टेक्स की अधिकता के कारण कपास उधोग तेजी से महाराष्ट्र स्थानांतरित हो गया हैं। प्रदेश में स्थित 200 से 250 कपास की जिनिंग फैक्ट्रियां भी अधिक मंडी टेक्स की वजह से संकट के दौर से गुजर रहीं हैं। मध्यप्रदेश की तुलना में पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और गुजरात मे मंडी टेक्स 50 पैसे और निजी मंडियों में 25 पैसे मात्र हैं। मंडी टेक्स के इस अंतर के कारण बड़वानी, खरगोन, खंडवा, रतलाम, बुरहानपुर जिलों की जिनिंग प्रेसिंग महाराष्ट्र राज्य में स्थानांतरित हो गयी हैं। एक ओर प्रदेश सरकार टेक्सटाइल उधोग को छूट देकर बड़ा रहीं हैं, दूसरी ओर कच्चे माल के स्त्रोत पर सख्ती बरत रहीं हैं। मंडी टेक्स महाराष्ट्र और गुजरात सरकार की तरह करने पर टेस्टस्टाइल मिलों को कच्चे माल की भरपाई मध्यप्रदेश से ही कुछ मात्रा में हो सकती हैं। मध्यांचल कॉटन व्यापारी एशोसिएशन के अध्यक्ष विनोद जैन का कहना हैं कि मप्र में 1 रुपया 70 पैसा मंडी टेक्स की तुलना में महाराष्ट्र और गुजरात मे मंडी टेक्स भी कम हैं और व्यापार की दूसरी सहूलियतें भी है जिसके कारण कपास व्यापारी महाराष्ट्र व्यापार करना पसंद करते हैं। मध्यांचल कॉटन व्यापारी एशोसिएशन के पूर्व सचिव सेंधवा कॉटन व्यापारी एशोसिएशन के मुख्य परामर्शदाता गोपाल तायल का कहना हैं कि प्रदेश सरकार मंडी टेक्स कम करती है तो कपास उधोग का पलायन रुकने की संभावना हैं। मंडी टेक्स 0.50 पैसे करने की स्थिति में कपास का व्यापार मध्यप्रदेश में पुनः जीवित हो उठेगा। सरकार को मिल रहे मंडी टेक्स की भरपाई भी सम्भव है, अधिक मंडी टेक्स मिलने की संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता हैं। सेंधवा कॉटन व्यापारी एशोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद गोयल ने कहा कि कपास की जिनिंग प्रेसिंग यूनिट अधिकांश ग्रामीण इलाकों के आसपास होने से इन यूनिटों से ग्रामीणों को बड़ी मात्रा में रोजगार उपलब्ध होता हैं। कपास यूनिटों के महाराष्ट्र स्थानांतरित होने के कारण बड़ी संख्या में श्रमिक या तो बेरोजगार हो गए या फिर काम की तलाश में महाराष्ट्र पलायन कर गए। मंडी टेक्स को कम कर उधोग ओर श्रमिक दोनों के पलायन को रोका जा सकता हैं।
कपास व्यापारियों ने हड़ताल कर मंडी टेक्स को कम कराने सम्बन्धी कोशिशों से सरकार को अवगत करा दिया हैं। सरकार द्वारा व्यापारियों को धमकी ओर आश्वाषण के घालमेल से हड़ताल निरस्त करने के लिए तो मनवा लिया हैं। किंतु मध्यप्रदेश का कपास उधोग मंडी टेक्स के कम हुए बैगर पुर्नजीवित होना सम्भव नहीं दिखाई दे रहा हैं। निमाड़ का सेंधवा जहा एक समय 100 से अधिक कपास जिनिंग एवं प्रेसिंग फैक्ट्रियां स्थित थी। अब मात्र 15 राह गयी हैं। जिनका संचालन भी मजबूरी में हो पा रहा हैं। मंडी टेक्स की अधिकता के परिणाम स्वरूप बड़वानी जिले के सीमावर्ती कस्बे खेतिया में जिनिंग मालिकों ने महाराष्ट्र की सीमा में पार खेतिया में अपनी जिनिंग फैक्ट्रियां डाल दी। मध्यप्रदेश सरकार को कपास उधोग को पुर्नजीवित करने के लिए मंडी टेक्स को तत्काल कम करना चाहिए। सरकार को टैक्स वसूली में अर्थशास्त्री चाणक्य के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए जिनके अनुसार जिस प्रकार सूरज नदियों का पानी सोख लेता हैं, ओर बरसात कर उसी पानी से धरती वासियों को वर्षा जल उपलब्ध कराता हैं। इसके विपरीत मध्यप्रदेश की सरकार कपास उधोग को अनदेखा करती नजर आ रहीं हैं। स्थानीय स्तर पर कपास की बिक्री नहीं होने पर किसानों के द्वारा भी कपास की फसल बौने से परहेज किया जा सकता हैं। मध्यप्रदेश सरकार को कपास उधोग, किसान और रोजगार को दृष्टिगत रखते हुए कपास पर मंडी टेक्स 0.50 पैसे करने सम्बन्धी निणर्य अतिशीध्र लेना चाहिए।