छठ पूजा का पावन पर्व

पिंकी सिंघल

हिंदू पुरातन संस्कृति का नाम सुनते ही सबसे पहले हम सभी के जेहन में त्योहारों के दृश्य आने लगते हैं। बात किसी ऋतु आगमन की हो अथवा तीज त्योहारों को मनाने की परंपरा की ,भारतीय संस्कृति विश्व की सभी संस्कृतियों से क्षेत्र में सदियों से सबसे आगे रही है ।भारतीय संस्कृति में ना केवल देवी-देवताओं अपितु पहाड़ ,नदी ,पर्वत ,झरना, तालाब ,सूर्य ,चंद्र, तारा और यहां तक कि पत्थर तक की भी पूजा की जाती है क्योंकि बात वहां भक्तों की श्रद्धा और भक्ति भाव की होती है जिसका दिल से सीधा संबंध होता है। परंपराओं और मान्यताओं को जितनी शिद्दत से भारतवर्ष में निभाया जाता है उतना संसार के किसी अन्य देश में नहीं ।इस बात में दो राय नहीं कि भारत अपनी संस्कृति को सदियों से यूं ही समेटे हुए है क्योंकि भारत की परंपराओं और रीति-रिवाजों को भारत के निवासियों ने दिल से संजो के रखा है। यहां वर्ष के 365 दिन कोई ना कोई त्यौहार अवश्य मनाया जाता है। किसी विशेष धर्म की बात ना करते हुए इतना ही कहना चाहूंगी कि भारत में सभी धर्मों के लोग रहते हैं और सभी धर्मों से संबंधित त्योहारों को यहां पूरी धूमधाम और दिल से मनाया जाता है। यहां के लोगों में मतभेद अवश्य उत्पन्न होते रहते हैं परंतु मनभेद कभी नहीं और यही वजह है कि भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक रही है और विश्व की अनेक संस्कृतियां भारतीय संस्कृति से हमेशा प्रेरित रही हैं जो कि भारतीय संस्कृति के लिए बहुत ही गर्व का विषय है।

जैसा कि अभी बताया गया कि भारत में प्रत्येक दिन कोई न कोई त्यौहार अवश्य आता है तो आज हम बात कर रहे हैं आने वाले पावन त्यौहार छठ पूजा की। छठ पूजा, छठ पर्व अथवा षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाए जाने वाला एक अति महत्वपूर्ण पर्व है।छठ पूजा के दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है ।सूर्य उपासना का यह अनुपम पर्व मुख्य रूप से बिहार ,झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। बिहार की संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण अंग छठ पर्व ही माना जाता है क्योंकि यह वैदिक काल से चला आ रहा पर्व है जिसे पूरे बिहार में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

आजकल बिहार के अतिरिक्त पूरे भारतवर्ष में सभी राज्यों के लोग इस त्यौहार को पूरी भक्ति और श्रद्धा भाव के साथ मनाते हैं और छठमैया को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। छठ पूजा को अन्य अनेक नामों से भी जाना जाता है जैसे सूर्य व्रत पूजा, पूजा डाला, पूजा डाला छठ और सूर्य षष्ठी। दीपावली के छठे दिन आने वाले इस त्यौहार को प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्व भर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।छठ पूजा में मूर्ति पूजा को शामिल नहीं किया जाता बल्कि इस दिन भक्तजन निर्जल व्रत करते हैं। इस त्योहार को मनाने के अत्यधिक कठोर नियम होते हैं। 4 दिनों की अवधि में यह सभी नियम पालन करते हुए भक्तजन छठ पर्व मनाते हैं ।इस पर्व के कठोर अनुष्ठानों में पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी से दूर रहना ,लंबे समय तक पानी में खड़ा रहना और प्रसाद और अर्घ्य देना शामिल हैं। देश भर की महिलाएं ,पुरुष ,बच्चे और बड़े बुजुर्ग पूरे मन के साथ इस चार दिवसीय छठ पर्व को मनाते हैं। चूंकि व्रत का पालन करना बहुत ही कठिन बताया जाता है इसलिए यह भी कहा जाता है कि जो भी भक्तजन छठ के नियमों का पूर्ण रुप से पालन करते हैं उन पर छठ मैया बहुत प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी इच्छाएं और कामनाएं पूरा करती हैं।

छठ पूजा का आरंभ नहाए खाए के साथ होता है और दूसरे दिन खरना की परंपरा निभाई जाती है। खरना शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाया जाता है ।खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण । खरना के दिन भक्तजन शुद्ध मन से सूर्य की उपासना करते हैं और उन्हें और छठ मैया को गुड़ की खीर का भोग लगाते हैं।
खरना के दिन व्रती किसी नदी, तालाब या सरोवर के पास जाकर स्नान करते हैं और दिन भर में केवल एक ही बार सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।

छठ के इस दिन व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं और इसके बाद छठ पर विशेष रूप से बनने वाले ठेकये को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है ।पूजा के आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समाप्त किया जाता है इसके बाद सभी भक्तजन प्रसाद ग्रहण कर व्रत पूरा करते हैं।छठ के दिन सूर्य देव को मौसम में मिलने वाले फल,सब्जी और मिठाई अर्पित की जाती है।यदि यह पर्व हम सभी सावधानीपूर्वक मनाएंगे तो छठ मैया अपने भक्तों से अवश्य प्रसन्न होंगी और सम्पूर्ण मनुष्य जाति का कल्याण होगा।

छठ पर्व पर चंद पंक्तियां

चार दिवसीय पर्व का
प्रकृति पूजा के गर्व का
भक्तों की श्रद्धा अपार का
मैया की जय जयकार का
फल फूलों की सौगात का
समस्त विकारों पर घात का
पुनीत ह्रदय की आस का
निर्जल व्रत के विश्वास का
दृढ़ संकल्प की शान का
रवि सहोदरा के गुणगान का
सौम्य गीतों के गान का
मातृका षष्ठी के सम्मान का
छठ मैया के आभार का
पावन पर्व है अविस्मरणीय प्यार का
अवसर आया ये देखो
छठ पूजा के आह्वान का