- भाजपा के रणनीतिकारों ने इस बार बेणेश्वर के स्थान पर मानगढ़ धाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा का केंद्र बनाया
- आजादी के अमृत महोत्सव में मोदी आदिवासियों के मन में भी फुँकेंगें देश भक्ति का मंत्र
नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी एक नवंबर को राजस्थान और गुजरात तथा मध्य प्रदेश कीआदिवासी बहुल सीमाओं से सटे दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम पर आ रहे हैं। मोदीयहाँ एक धार्मिक समागम में भाग लेकर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता संग्राम के गुमनामआदिवासी नायकों को श्रद्धांजलि देंगे। साथ ही एक विशाल आमसभा को भी सम्बोधित करेंगे। राजस्थान केमुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केन्द्र और प्रदेश के कई नेता भी इस कार्यक्रम में शरीक होंगे।
मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जायेगा-109 वर्ष पहले 1500 लोग हुए थे शहीद
मानगढ़ धाम को अमृतसर (पंजाब) के जालियाँ वाला से भी बड़ा शहीदी स्थल और गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के करोड़ों आदिवासियों का पवित्र श्रद्धा धाम माना जाता है। सज्जनगढ़-झालोद औरआनंदपुरी के निकट एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित इस धाम से गुजरात और राजस्थान की भौगोलिक सीमाएँ जुड़ीहुई है। यहाँ लगभग 109 वर्ष पहले वनवासियों में आध्यात्मिक और सामाजिक चेतना जागृत करने वाले और‘भगत आन्दोलन’ के प्रणेता सन्त गोविंद गुरु के नेतृत्व में मानगढ पर मार्गशीर्ष पूर्णिमा को लगे मेले और पवित्रधूणी पर श्रद्धान्वत हज़ारों की संख्या में एकत्रित लोगों पर 17 नवम्बर, 1913 को कर्नल शटन के नेतृत्व मेंअंग्रेजों के सेनिकों ने बेरहमी के साथ मशीनगनों और तोपों के गोलों की वर्षा द्वारा बेगुनाह 1500 लोगों को भूनकर नृशंस और बर्बर नर संहार किया गया था।
आजादी की चिंगारी को रोशन करने वाला और राष्ट्र भक्तों का यह ऐतिहासिक बलिदानी स्थल मानगढ़ वर्षों सेगुमनामी के अंधेरे में रहा लेकिन पिछलें दिनों इसे राष्ट्रीय शहीद स्मारक घोषित करने की जोरदार माँग परवानपर चढ़ी जिसके कारण एक नवम्बर को अपनी यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मानगढ़ को राष्ट्रीयशहीद स्मारक स्थल बनाने की घोषणा की जायेंगी।
कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने की थी माँग
हाल ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,स्थानीय विधायक और गहलोत सरकार में जल संसाधन मंत्रीमहेन्द्रजीत सिंह मालविया और पूर्व सूचना एवं जन सम्पर्क मंत्री डॉ रघु शर्मा ने गुजरात की एक चुनावी रैली मेंइस माँग को एक बार फिर से उठाया था। सीएम अशोक गहलोत पहलें ही मानगढ़ को राष्ट्रीय शहीद स्मारकका दर्जा देने के सम्बन्ध में पीएम मोदी को पत्र लिख चुके है। साथ ही राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेतागुलाब चन्द कटारिया और भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं स्थानीय सांसद कनक मल कटारा भी संसद मेंकई बार इस माँग को उठा चुके है।
चुनावी मौसम में इस बार बेणेश्वर के स्थान पर मानगढ़ धाम को बनाया केन्द्र
जब कभी चुनाव का मौसम नज़दीक आता है तब राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश की सीमाओं से लगेआदिवासी क्षेत्र के करोड़ों मतदाताओं को लुभाने के लिए वागड़ अंचल में राजनीतिक नेताओं की आवाजाही बढ़जाती हैं और आदिवासियों के प्रमुख आस्था स्थल उनके प्रमुख केंद्र होते है। अब तक, मुख्य रुप से उदयपुरबाँसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों तथा सोम माही और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित “आदिवासियों केप्रयाग” माने जाने वाले बेणेश्वर धाम पर नेताओं की आवाजाही रहती थी लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी की मानगढ़ धाम की प्रस्तावित यात्रा ने इस स्थल को और भी अधिक चर्चाओं में ला दिया है।
पिछलें कुछ दशकों में आदिवासियों का कुम्भ माने जाने वाले डूंगरपुर जिले के बेणेश्वर धाम पर कांग्रेस औरबीजेपी के सभी प्रधानमंत्रियों और प्रमुख नेताओं की विशाल सभाएँ हो चुकी हैं। इसका मुख्य उद्देश्य करोड़ोंआदिवासी वोटरों को साधना रहता आया है। पिछलें दिनों उदयपुर में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय चिन्तन शिविर केबाद राहुल गाँधी की भी बेणेश्वर में एक विशाल रैली हुई थी। इसके पूर्व यहाँ सोनिया गांधी एवं प्रधानमंत्रीनरेन्द्र मोदी की रेलियाँ भी हुई हैं। इन दिनों बेणेश्वर धाम पर विकास कार्यों के साथ ही यहाँ के मंदिरों केजीर्णोद्धार और नवीनीकरण की शृंखला में श्री हरि मन्दिर पर स्वर्ण शिखर कलश का विशाल समारोह हो रहा हैजिसमें भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को निमन्त्रण देने बेणेश्वर धाम के महन्त और क्षेत्रीय सांसद कनकमल कटारा दिल्ली आयें थे । बताते है कि प्रधानमंत्री ने बेणेश्वर आने के लिए अपनी सहमति भी दे दी थीलेकिन, भाजपा के रणनीतिकारों ने इस बार बेणेश्वर के स्थान पर मानगढ़ धाम को मोदी की यात्रा के लिएचुना,क्योंकि यह आजादी के अमृत महोत्सव की थीम के ज़्यादा निकट, अनुकूल और महत्वपूर्ण मानागया,ताकि प्रधानमंत्री मोदी एक साथ तीन-चार प्रदेशों की जनता मुख्य रुप से आदिवासियों के दिलों दिमाग मेंदेश भक्ति की भावना का शंखनाद कर उन्हें प्रेरित कर सकें ।
आदिवासी वोटों में लगेगी सेंध? रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर-अहमदाबाद रेल लाइन का मुद्दा भी उछलेगा
राजनीतिक रणनीतिकारों का मानना है कि गुजरात विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री मोदी की यह पहलकांग्रेस की रणनीति और उनका वोट बैंक माने जाने वाले आदिवासी वोटों में एक बड़ा सेंध लगाने में कामयाब हो सकती है।
गुजरात में इसी वर्ष नवम्बर और राजस्थान और मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में अगले वर्ष होने वाले विधानसभाचुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक तीर से कई निशाने लगा कर मानगढ़ धाम पर कुछ अहम घोषणाएंकी जा सकती है,जिनमें मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक स्थल घोषित करने के साथ ही इन प्रदेशों को जोड़ने वालेसड़क कोरिडोर सहित अन्य महत्वपूर्ण घोषनाएँ शामिल होगी, लेकिन रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर-अहमदाबादरेल लाइन के बंद पड़े काम और ठंडे बस्ते में पड़ी इस परियोजना को लेकर आदिवासी क्षेत्र में व्याप्त खासीनाराजगी को प्रधानमंत्री कैसे पूरा करेंगे ? यह देखना होगा। याद रहे, राजस्थान में बाँसवाड़ा एक मात्र जिला हैजिसके किसी कोने से आजादी के 75 वर्षों के बाद भी कोई रेल लाइन नही गुजरती और क्षेत्रवासियों की यहपीड़ा हर हद पार कर चुकी है। उन्हें गन्तव्य स्थानों की रेल यात्राओं के लिए निकटवर्ती रतलाम जंकशन केअलावा दाहोद, वडोदरा,अहमदाबाद, डूंगरपुर एवं उदयपुर आदि रेल्वे स्टेशनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।क्षेत्रवासियों की माँग चितौड़गढ़-नीमच-प्रतापगढ़-बाँसवाड़ा-झालोद-दाहोद-वडोदरा -सूरत-मुम्बई तथाइंदोर-कुशलगढ़-झालोद-दाहोद रेल लाइन को स्वीकृति प्रदान करने की भी है। हालाँकि मानगढ़ धाम की यात्रासे एक दिन पहलें ही प्रधानमंत्री मोदी असारवा-अहमदाबाद -हिम्मतनगर-डूंगरपुर-उदयपुर की बहु प्रतीक्षितबड़ी रेल लाइन परियोजना का शुभारम्भ कर आदिवासी अंचल के एक भाग को बड़ा तोहफ़ा देने जा रहें है।इसके अलावा भी हो सकता है प्रधानमंत्री मोदी राजस्थान,गुजरात, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के संयुक्तआदिवासी क्षेत्र को लेकर कुछ ऐसी घोषणाएं करें जिनका फायदा भाजपा को अगले विधानसभा चुनावों मेंमिल सके। साथ ही इन प्रदेशों के साथ ही महाराष्ट्र के कुछ आदिवासी जिलों को मिला कर एक नया “भीलप्रदेश” बनाने सम्बन्धी माँग की आहट तथा इन इलाक़ों के युवाओं में बढ़ती अलगाववादी आकांक्षाओं को दूरकरने के उपायों को भी मज़बूती मिल सकेगी।
राजस्थान और गुजरात ने मानगढ़ पर अपनी सीमाओं में बनायें हैं अलग-अलग स्मारक
उल्लेखनीय है कि राजस्थान और गुजरात की सरकारों ने मानगढ़ पर अपनी-अपनी सीमाओं में अलग-अलगस्मारक बनवायें हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते स्वयं स्मारक बनवाया था। इसी प्रकारराजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुन्धरा राजे ने भी अपने-अपने कार्यकालों में यहाँ स्मारकबनवाने के साथ ही संग्रहालय और पेनेरोमा आदि कई विकास कार्य करवायें हैं। हालाँकि बाँसवाड़ा जिला केपूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी का गृह जिला और मशहूर समाजवादी नेता मामा बालेश्वर दयाल का भी प्रभावक्षेत्र होने कारण आजादी के बाद से ही, मानगढ़ को ख़ासा महत्व मिलता रहा और यहाँ के स्थानीय आदिवासीनेता एवं बागीदौरा विधायक नाथूराम तो इस धाम के मुख्य भगत तक बन गए थे। इसके बाद विधायक औरजनजाति विकास मंत्री बने महेन्द्र मालविया ने भी मानगढ़ धाम में गहरी रुचि ली। इस प्रकार पिछलें कुछ दशकोंसे यह स्थल सुर्खियों में रहता आया है।
विकास की दौड़ में अभी भी पिछड़ा और उपेक्षित है वागड़
वैसे समूचा वागड़ अंचल बाँसवाड़ा में माही बजाज सागर परियोजना के रुप में गंगा को लाने वाले भगीरथस्वर्गीय मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी,भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोबा भावे, समाजवादी नेता मामा बालेश्वरदयाल, भूपेन्द्र नाथ त्रिवेदी , वागड़ गाँधी भोगी लाल पण्ड्या,सांसद मंत्री और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजातिआयोग के अध्यक्ष रहें भीखाभाई भील,अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में प्रथम भारतीय और एशियाई अध्यक्ष रहें डॉनागेंद्र सिंह, भारत के प्रथम लेफ़्टिनेंट जनरल रहें नाथूँसिंह, डूंगरपुर के कुशल एवं आदर्श शासक तथाविधानसभाअध्यक्ष रहें महारावल लक्ष्मण सिंह और क्रिकेटर राज सिंह डूंगरपुर,हनुमंत सिंह,सूर्य वीर सिंहबाँसवाड़ा और वागड़ मूल के गुजरात में बसे प्रख्यात साहित्यकार पन्ना लाल पटेल तथा दाऊदी बोहरा समाजके सैयदना साहब आदि की जन्म और कर्म भूमि के साथ ही अपनी बेजोड़ संस्कृति लिए विख्यात है,फिर भीविकास की दौड़ में अभी भी बहुत ही पिछड़ा और उपेक्षित क्षेत्र माना जाता है।जिसके कारण इस इलाक़े केलोगों को विशेष कर आदिवासियों को रोज़गार की तलाश में गुजरात,महाराष्ट्र मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों औरखाड़ी देशों की ओर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है।
इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित वागड़ यात्रा के दौरान यह देखना दिलचस्प होगा कि साहेब इस सम्पूर्ण आदिवासी बहुल अंचल के लिए कौन-कौन सी ठोस घोषणाओं का ऐलान करते हैं?