प्रधानमंत्री द्वारा मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा प्रदान करने की घोषणा नही होने से वागड़ वासी हुए निराश

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को वागड़ अँचल के मानगढ़ धाम की यात्रा के दौरान इसऐतिहासिक स्थल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा प्रदान करने की घोषणा नही करने से समूचे आदिवासी समुदाय में गहरी निराशा पसर गई है । साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बन्द पड़ी रतलाम-बाँसवाड़ा-डूंगरपुर-अहमदाबाद रेल परियोजना का मुद्दा उठाने के बावजूद उनके द्वारा इस बारे में एक भी शब्द नहीं बोलने से भी इस इलाके के लोगों में भारी निराशा व्याप्त देखी गई है और दोनों मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी शुरु हो गया है

हालाँकि प्रधानमंत्री मोदी ने मानगढ़ धाम पर जमा हुए विशाल जन समुदाय को सम्बोधित करते हुए अपने भाषण में यह ज़रूर कहा कि मानगढ़ धाम को भव्य बनाने की इच्छा हम सबकी है। अतः राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र चारों  प्रदेश आपस में चर्चा कर एक विस्तृत प्लान बना कर मानगढ़ धाम के विकास की रूपरेखा तैयार करें। उन्होंने कहा कि रूपरेखा बनने के बाद चार राज्य और भारत

सरकार मिलकर इसे नई ऊंचाईयों पर ले जायेंगे।भारत सरकार इसके लिए वचनबद्ध है।नाम भले ही राष्ट्रीय स्मारक दे देंगे या कोई और नाम दे देंगे।प्रधानमंत्री की इस बात से फ़िलहाल लोगों की उम्मीदें जगी हुई है और वे आशान्वित लग रहें है कि      मानगढ़ को इसका वाजिब हक़ मिल कर रहेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को सवेरे अपने गुजरात प्रवास से विशेष हेलिकॉप्टर से दक्षिणी राजस्थान के गुजरात से सटे बांसवाड़ा जिल के  मानगढ़ धाम पहुंचे,जहाँ 1913 में पंजाब के जालियाँ वाला बाग से बड़ा नरसंहार हुआ था जिसमें अंग्रेज़ी हकूमत की पुलिस ने निहत्थे 1500 से भी अधिक आदिवासियों को गोलियों और तोप के बारूदी गोलों से भून नृशंस हत्याकाण्ड  किया था। प्रधानमंत्री की यात्रा से वर्षों तक गुमनामी के अँधेरे में रहें इस शहीद स्थली को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा     मिलने की बहुत उम्मीद थी।

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे फिर से गोविन्द गुरु की इसपवित्र  स्थली पर आने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि परसों ही गोविंद गुरुजी की पुण्यतिथि थी, मैं उनको नमन करता हूं।वे एक आध्यात्म गुरु के साथ ही समाज सुधारक भी थे। मानगढ़ धाम आना सबके लिए प्रेरणा है, त्याग-तपस्या का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम आदिवासी समाज के बलिदानों के ऋणी हैं जिन्होंने प्रकृति से लेकर पर्यावरण तक, संस्कृति से लेकर परंपराओं तक को सहेजा है। भारत के चरित्र को सहेजने वाला आदिवासी समाज ही है। हम आदिवासी समाज के योगदानों के कर्जदार हैं। आज समय है कि देश उनके इस ऋण और योगदान के लिए, आदिवासी समाज की सेवा कर उनका धन्यवाद करें। मोदी  ने कहा कि मुझे मानगढ़ की पवित्र धरती पर सिर झुकाने का मौका मिला है। हालांकि उन्होंने अपने भाषण में स्पष्ट रुप से इसे राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा नहीं की। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद स्मारक का दौरा कर आदिवासियों को श्रृद्धांजलि दी।

इस मौके पर राजस्थान,गुजरात और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भूपेन्द्र पटेल और शिवराज सिंह चौहान के साथ ही मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगु भाई पटेल,केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते,राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, प्रदेश के मंत्री गण महेन्द्र मालविया, अर्जुन बामनिया,प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारियाँ, बाँसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद कनक मल कटारा सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

मोदी-गहलोत ने शानदार ढंग से निभाई शिष्टता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मानगढ़ धाम पर एक दूसरे के प्रति शानदार ढंग से शिष्टता निभाई।

गहलोत ने प्रोटोकोल की मर्यादाओं की पालना करते हुए प्रधानमंत्री को उनकी यात्रा के दौरान पूरा सम्मान प्रदान किया और अपने स्वागत भाषण में भी कोई लक्ष्मण रेखा नही लाँघी। गहलोत ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री दुनिया के कई देशों में जाते है तो उन्हें बेहद सम्मान मिलता है ।उन्हें यह सम्मान क्यों मिलता है? क्योंकि नरेंद्र मोदी जी उस देश के प्रधानमंत्री है जो गांधी का देश है, जहां लोकतंत्र की जड़े  बहुत मज़बूत है।

वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी अशोक गहलोत को पूरा सम्मान देते हुए कहा कि हम दोनों को मुख्यमंत्री के नाते साथ-साथ काम करने का मौका मिला है। उस समय गहलोत जी हम मुख्यमंत्रियों की जमात में सबसे सीनियर हुआ करते थे और आज के कार्यक्रम में भी गहलोत सबसे सीनियर हैं। मोदी और गहलोत सभा मंच पर भी नज़दीक ही बेठें थे और काफी देर तक एक दूसरे से बातचीत करते दिखें।

प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक स्थल मानगढ़ के बारे में केन्द् सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए क्षेत्रीय सांसद कनकमल कटारा का भी विशेष रुप से उल्लेख किया।

इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन में कहा कि मानगढ़ धाम के इतिहास को स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।उन्होंने कहा कि मानगढ़ धाम पर प्रधानमंत्री पधारे, मैं प्रदेश वासियों की तरफ से उनका स्वागत करता हूं।गहलोत ने कहा कि आदिवासियों का इतिहास महान इतिहास है।जितना खोज की जाए, उतनी ही नई कहानियां मिलेंगी। जहां-जहां आदिवासी रहते हैं, चाहे बिरसा मुंडा की बात करें, हर जगह आजादी की जंग में आदिवासियों का बड़ा योगदान था। आदिवासी समाज आजादी की जंग लड़ने के मामले में किसी से पीछे नहीं था। महाराणा प्रताप का शौर्य मेवाड़ की पहचान है।

उन्होंने वागड़ के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी,वागड़ गाँधी भोगी लाल पण्ड्या गौरी शंकर उपाध्याय, भीखा भाई भील आदि कर नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि मेवाड़-वागड़ की तपोभूमि से कई स्वतंत्रा सेनानी हुए।अब समय आ गया है कि मानगढ़ धाम की ऐतिहासिक पहचान बने और आदिवासी भाइयों के बलिदान को सम्मान मिले।

गहलोत ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए।उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले आपने मानगढ़ को लेकर तीनों प्रदेशों के मुख्य सचिवों से भी जानकारी ली है, इसके अपने मायने हैं।अतः मैं उम्मीद करता हूं कि आप मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देंगे।

बासंवाड़ा रेल प्रोजेक्ट की भी मांग

गहलोत ने अपने भाषण में बासंवाड़ा को रेल प्रोजेक्ट से जोड़ने की भी मांग रखी और कहा कि हमने परियोजना के लिए ढाई सौ करोड़ रु दिए थे। काम शुरू भी हुआ था लेकिन पिछलें वर्षों से बंद पड़ा है। इस लाइन के बनने से रतलाम वाया बाँसवाड़ा अहमदाबाद से जुड़ जायेगा और मान गढ़ आने वाले लोगों को भी आसानी होंगी। गहलोत ने राजस्थान सरकार की उपलब्धियों को भी रेखांकित किया और कहा कि यदि आप राजस्थान की चिरंजीवी योजना को एग्जामिन कराएंगे तो पूरे देश में भी इसे लागू किया जा सकता है।