- मेरे गोल से भारत ने पाक को शिकस्त दे फाइनल में स्थान पाया
- मेरे फ्लिक पर पाक गोलरक्षक को मालूम ही नहीं पड़ा गेंद कहां गई
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : बिलीमोगा पुट्टïास्वामी (बीपी) गोविंदा और अशोक कुमार सिंह की जोड़ी अपने जमाने में भारत के बेहतरीन हॉकी स्ट्राइकरों की जोड़ी रही। भारत ने पहले एफआईएच हॉकी विश्व कप में बार्सीलोना में 1971 में कांसा, 1973 में एमस्तलवीन में दूसरे संस्करण में रजत और 1975 में क्वालांलपुर में आखिरकार पाकिस्तान को फाइनल में 2-1 से हरा कर चैंपियन बनने का गौरव पाया था। इसके बाद तो विश्व कप में भारत के पदक जीतने का शुरू हुआ सूखा आज भी जारी है। अपने जमाने के सबसे तेज स्ट्राइकर में से एक गोविंदा भारत के लिए 1973 और 1975 के पुरुष हॉकी विश्व कप के खेले। इन दोनों विश्व कपों मेंंं गोविंदा और अशोक कुमार सिंह की जोड़ी की हॉकी की कलाकारी और तालमेल के किस्से तक के हॉकी प्रेमियों को आज भी हैं। भारत 13 से 29 जनवरी , 2023 तक भुवनेश्वर और राउरकेला मे लगातार दूसरी और कुल तीसरी बार एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप की मेजबानी करेगा। बड़ा सवाल यह रहेगा कि क्या इसके 15वें संस्करण में 1975 के बाद भारत की हॉकी विश्व कप में फिर पदक जीत की हसरत पूरी हो सकेगी?
1975 में भारत की पहले विश्व कप जीत के नायकों में से एक बीपी गोविंदा अपने जमाने में अपने लंबे बालों और गेंद को अशोक कुमार सिंह के साथ बेहतरीन तालमेल से लेकर आगे बढऩे के लिए जाने जाते थे। भारत को एमस्तलवीन में 1973 के हॉकी विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में जीत दिलाने में अहम रोल अदा किया। गोविंदा 1973 के पुरुष हॉकी विश्व कप को याद करते हुए इसकी बेहतरीन स्मृतियों में खो जाते हैं। गोविंदा बताते हैं, ‘1973 के विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मेरी हॉकी करियर के सबसे शानदार मैचों में से एक है। मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे एकमात्र गोल से भारत ने पाकिस्तान को 1-0 से शिकस्त दे फाइनल में स्थान पाया। मैंने तब रिवर्स फ्लिक गोल किया और पाकिस्तान के गोलरक्षक को यह मालूम ही नहीं पड़ सका कि गेंद कहां जा रही है। मेरे रिवर्स फ्लिक पर गेंद गोल में जाल में लगी। मेरे साथियों और मीडिया ने भी इसे मेरे सर्वश्रेष्ठï गोल में से एक माना। हमारी टीम तब शिद्दत से यही विश्वास करती थी कि एक इकाई के रूप में खेलने के अच्छे नतीजे मिलते हैं। तब हमारा दर्शन यही था कि प्रतिद्वंद्वी टीम चाहे कितनी ही मजबूत हो हम यदि टीम के रूप में खेलेंगे तो हम चाहे वह टूर्नामेंट हो या अभ्यास मैच कुछ भी हासिल कर सकते हैं। तब हॉकी प्रेमी भारत और पाकिस्तान को हॉकी मैदान पर खेलना बहुत पसंद करते थे। हमने तब दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में पाकिस्तान के खिलाफ यह सेमीफाइनल खेला।’
1973 के विश्व कप में कप्तान एमपी गणेश ये अपनी जुगलबंदी की बाबत गोविंदा कहते हैं, ‘ गणेश की बतौैर कप्तान सोच एकदम थी और वह हमेशा हम खिलाडिय़ों से योजना के मुताबिक खेलने को कहते थे। गणेश में हम सभी साथी खिलाडिय़ों से यही कहते हर मैच में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दो । वह सभी खिलाडिय़ों का मार्गदर्शन करते।
‘1975 में विश्व कप जीतने पर शानदार स्वागत को नहीं भूल सकता’
1975 में क्वालालंपुर में विश्व कप के अभियान की बाबत गोविंदा बताते हैं, ‘ हमने पाकिस्तान को फाइनल को हरा कर विश्व कप जीता। जब हम यह विश्व कप जीत कर भारत वापस लौटे तो तब लोगों ने बताया कि तब के कमेंटेटरों ने यही अहसास कराया कि मानों लोग खुद स्टेडियम में बैठे हों। मुझे आज भी याद जब हम विश्व कप जीत कर नई दिल्ली हवाईअड्डïे पर उतरे तो हॉकी प्रेमी ढोल और नगाड़ों के साथ मौजूद थे। हमारे हवाईजहाज से बाहर आने पर हॉकी प्रेमियों ने हम खिलाडिय़ों को कंधो पर उठा लिया। मैं इस तरह के शानदार स्वागत को नहीं भूल सकता। हम अपना सामान भी ले पाए।
‘भारतीय टीम को हराना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं होगा’
– भारतीय टीम खासी फिट, अग्रिम पंक्ति बढिय़ा खेल रही है
भारत की टीम भुवनेश्वर और राउरकेला में होने वाले 2023 के पुरुष हॉकी विश्व कप में वेल्स, स्पेन और इंग्लैंड के साथ ग्रुप डी में हैं। गोविंदा कहते हैं, भुवनेश्वर और राउरकेला में होने वाले 2023 के पुरुष हॉकी में भारतीय टीम को हराना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं होगा। भारतीय टीम इसमें शिरकत करने वाली हर शीर्ष टीम को कड़ी टक्कर देगी।भारत की मौजूदा टीम खासी फिट है और हमारी अग्रिम पंक्ति भी अच्छा खेल रहे हैं और हमारे स्ट्राइकर खासे बेहतर हुए हैं। भारतीय टीम की अग्रिम पंक्ति को गोल करते देख अच्छा लगा है।’