जी-20 और विश्वमंच पर भारत का बढ़ता कद

शिशिर शुक्ला

विगत मंगलवार को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 के नवीन प्रतीकचिन्ह (लोगो), विषय (थीम) एवं वेबसाइट का अनावरण किया। इस अवसर पर जी-20 इंडिया नामक एक ऐप भी लांच किया गया।भारतवर्ष के लिए यह अत्यंत गौरवपूर्ण एवं ऐतिहासिक अवसर है कि 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक भारत जी-20 की अध्यक्षता करेगा। जी-20 वस्तुतः विश्व के ऐसे 20 देशों का समूह है, जो वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत, वैश्विक निवेश के 85 प्रतिशत, वैश्विक जीडीपी के 75 प्रतिशत एवं विश्व की कुल जनसंख्या के दो तिहाई भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस महत्वपूर्ण संगठन की स्थापना 26 सितंबर 1999 को, जी-7 समूह को विस्तार देकर, अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों यथा -आतंकवाद, जल संकट, वैश्विक तापन, स्वास्थ्य समस्याएं, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक समस्याएं इत्यादि पर सामूहिक चर्चा हेतु किया गया था। जी-20 (ग्रुप ऑफ 20) में 19 देश एवं एक संगठन (यूरोपीय संघ) शामिल है, जिनके अध्यक्षों की वार्षिक बैठक को जी-20 शिखर सम्मेलन के नाम से जाना जाता है। चूंकि इस संगठन का उदय आर्थिक एवं वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि के परिणामस्वरूप हुआ था, अतः इसकी बैठकों में चर्चा का मुख्य विषय भी आर्थिक मामले ही रहते हैं। वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर चर्चा हेतु सभी विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाना, वैश्विक स्तर पर आर्थिक स्थिरता एवं धारणीय विकास को सुनिश्चित करना एवं भविष्य में आने वाले वित्तीय संकटों का पूर्वानुमान लगाकर उन्हें रोकने का पूर्ण प्रयास करना ही इस संगठन के प्रमुख उद्देश्य हैं ।
इंडोनेशिया की अध्यक्षता में आयोजित 17वें जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद भारत 1 दिसंबर 2022 से 1 वर्ष की अवधि के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। अध्यक्षता के दौरान भारत, इंडोनेशिया एवं ब्राजील के द्वारा ट्रोइका (तीन का समूह) का गठन किया जाएगा। प्रथम बार ट्रोइका में तीन विकासशील देश एवं उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं शामिल होंगी जो उन्हें वैश्विक स्तर पर बढ़त प्रदान करेंगी। ट्रोइका जी-20 के भीतर शीर्ष समूह को संदर्भित करता है। भारत की मेजबानी में होने वाले 2023 के जी-20 शिखर सम्मेलन की मुख्य प्राथमिकताएं- समावेशी, न्यायसंगत एवं सतत विकास, पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली, महिला सशक्तीकरण, स्वास्थ्य, कृषि, चिकित्सा एवं वाणिज्य के क्षेत्रों में तकनीकी विकास, वैश्विक खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, आपदाओं के जोखिम में कमी एवं अनुकूलन, विकासात्मक सहयोग इत्यादि होंगी। एजेंडा व कार्य का समन्वय जी-20 देशों के प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता है जिन्हें ‘शेरपा’ कहा जाता है। जी-20 समूह का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग को सुनिश्चित करते हुए भविष्य के वित्तीय संकटों को रोकना है। वैश्विक आर्थिक एजेंडा को आकार देने में यह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह सर्वविदित है कि पिछले दो वर्षों में संपूर्ण विश्व ने कोरोना महामारी की विभीषिका को देखा, अनुभूत किया एवं सहन भी किया है। कोरोना का दुष्प्रभाव व्यक्ति से लेकर समाज, राष्ट्र एवं विश्व पर भी पड़ा है। यूं तो कोरोना की चपेट में जीवन का प्रत्येक क्षेत्र बुरी तरह से आया है, किंतु वैश्विक अर्थव्यवस्था को अव्यवस्थित करने में कोरोना ने एक बड़ी भूमिका अदा की है। भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर जहां आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, वहीं जी-20 की अध्यक्षता करना भी भारतवर्ष के लिए गर्व एवं गौरव की बात है। विश्व मंच पर एक लोकप्रिय एवं सशक्त नेता की पहचान बना चुके आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा जी-20 के लोगो, थीम एवं वेबसाइट का अनावरण दो दिन पूर्व ही किया गया है। केसरिया, श्वेत, हरित व नीले रंगों की आभा से सुशोभित इस लोगो में कमल के पुष्प के ऊपर पृथ्वी विराजमान है। यह प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने एवं कठिन चुनौतियों के विद्यमान होने पर भी विकास के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लेने का संदेश प्रदान करता है। जी-20 में भारत की अध्यक्षता का विषय “वसुधैव कुटुंबकम” अथवा “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य” है जो कि महाउपनिषद से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम अर्थात संपूर्ण धरा को अपने परिवार के तुल्य मानना हमारी सदियों पुरानी परंपरा है। आदिकाल से भारतवासी प्रकृति में ईश्वर का दर्शन करके उसकी पूजा करते आए हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए भी भारत का लक्ष्य मानव, पशु, पौधे एवं सूक्ष्मजीवों के परस्पर संबंधों का गहनता से विश्लेषण एवं ऐसी जीवनशैली पर जोर देना है जोकि पर्यावरण हितैषी होने के साथ-साथ विश्वकल्याण में भी सहयोग कर सके। जी-20 की अध्यक्षता के द्वारा इस शक्तिशाली संदेश का प्रचार संपूर्ण विश्व में होगा कि जगत में सभी का सम्मान एवं समावेशी विकास, समृद्धि, विकास एवं उज्ज्वल भविष्य का निर्माण तथा मानव केंद्रित दृष्टिकोण पुरातन काल से ही भारत की विशेषता रही है। आज संपूर्ण विश्व में अनिश्चिततापूर्ण एवं संकटमय माहौल विद्यमान है। स्वास्थ्य एवं ऊर्जा आपूर्ति को सुनिश्चित कर पाना आज किसी गंभीर चुनौती से कम नहीं है। भारतवर्ष चिकित्सा व स्वास्थ्य की प्राचीनतम पद्धतियों- योग एवं आयुर्वेद की जन्मस्थली है। पूरे विश्व में आज योग एवं आयुर्वेद के प्रति तीव्र उत्साह एवं जिज्ञासा दृष्टिगोचर हो रही है। ऐसी स्थिति व परिदृश्य में जी-20 की अध्यक्षता आयुर्वेद व योग को वैश्विक पहचान एवं विस्तार प्रदान करने का सर्वोत्तम माध्यम व अवसर है। आज वह समय है जब योग व आयुर्वेद को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था निर्मित की जा सकती है। भारत एक समृद्ध, सजीव एवं संस्कार तथा परंपराओं से विभूषित लोकतंत्र है। समृद्धि के सुख के साथ-साथ दासता का कष्ट भी इसने भलीभांति अनुभूत किया है। अतः संस्कृति, परंपरा एवं विषम परिस्थिति में भी सकारात्मकता का संदेश भारत से बेहतर कोई और नहीं दे सकता।
निस्संदेह जी-20 की अध्यक्षता भारत को अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर नेतृत्व के साथ-साथ नीति निर्माण करने में भी योगदान का अनूठा अवसर देगी। 1 दिसंबर से भारत इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। निश्चित ही यह प्रत्येक भारतवासी के लिए गर्व की बात एवं भारतीयों की शक्ति व सामर्थ्य का प्रतिबिंब है। इसमें एक संदेश (विश्वबंधुत्व), एक भावना (वसुधैव कुटुंबकम) एवं एक संकल्प (सबका विकास) समाहित है।