उम्मीद भारतीय टीम हॉकी विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ टीमों को चुनौती दे जीतेगी पदक : एमएम सोमाया

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : भारत की 1980 में मास्को ओलंपिक में अंतिम बार स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के राइट हाफ रहे एम एम सोमाया का मानना है कि टीम का बीते एक दशक में कायाकल्प हुआ है। सोमाया ने उम्मीद जताई कि भारतीय टीम अगले साल एफआईएच ओडिशा पुरुष हॉकी विश्व कप भुवनेश्चर -राउरकेला 2023 में पदक जीतने में कामयाब रहेगी। भारत की टीम अगले साल पुरुष हॉकी विश्व कप में 13 जनवरी, 2023 में पहले दिन चौथे मैच में स्पेन के खिलाफ मैच से अपने अभियान का आगाज करेगी। सोमाया ने कहा, ‘मेरा मानना है कि बीते आठ-10 बरस में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने खुद को बहुत कुछ बदला है। भारतीय टीम इस समय इसीलिए बेहतर प्रदर्शन कर रही है। इस समय हमारी भारतीय टीम की गिनती दुनिया की सर्वश्रेष्ठï चार टीमों में होती है। मैं इसके लिए हमारे भारतीय खिलाडिय़ों को कोचिंग स्टाफ और वैज्ञानिक ट्रेनिंग का आभार जताना चाहता हूं। इसने ही भारत को मजबूत टीम बनाया है। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि आगामी विश्व कप में हमारी भारतीय टीम दुनिया की सर्वश्रेष्ठï टीमों को चुनौती देगी और पदक जीत कर समापन करने में कामयाब होगी। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने बीते कुछ बरस में हमें बहुत खुशी के क्षण दिए और उसे खेलते देख हमें बहुत मजा आया। भारत को बीते बरस टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीतते देख कर मैं रोमांचित हो गया।’

‘1982 विश्व कप में हमें सेमीफाइनल में पहुंचना चाहिए था’

भारत ने चार दशक पहले मुंबई (तब बॉम्बे) में पहली बार पुरुष हॉकी विश्व कप की मेजबानी की थी। सोमाया ने कहा, ‘ हम 1982 में बॉम्बे में विश्व कप में पांचवें स्थान पर रहे थे और तब यह घास के मैदान पर ही खेला गया था। पाकिस्तान ने 1982 में हॉकी विश्व कप जीता था। तब हमारी टीम खासी बढिय़ा थी और हमारी अग्रिम पंक्ति में धार थी और तब टीम खासी संतुलित थी। मैं पलट कर जब इस पर निगाह डालता हूं तो हमें तब विश्व कप के सेमीफाइनल में स्थान बनाना चाहिए था।’

‘शाहिद की ड्रिब्लिंग और वैयक्तिक कौशल का जवाब नहीं था’
1982 में विश्व कप में खेलने वाली भारतीय हॉकी टीम में सोमाया के साथ अपनी ड्रिब्लिंग के लिए दुनिया को रिझाने वाले महरूम मोहम्मद शाहिद को भला कौन भुला सकता है। मोहम्मद शाहिद की बाबत सोमाया कहते हैं, ‘शाहिद भाई के वैयक्तिक हॉकी कौशल और ड्रिब्लिंग का जवाब नहीं था। शाहिद इसके बाद 1986 के विश्व कप में खेले ही और वह आगे बहुत समय के लिए भारत के लिए खेले। मेरी राय में शाहिद भारत के सर्वश्रेष्ठï हॉकी खिलाडिय़ों में थे। शाहिद बहुत तेजी से गेंद को ड्रिबल कर प्रतिद्वंद्वी टीम के कई खिलाडिय़ों को गच्चा दे देते थे। शाहिद और जफर इकबाल का अपने हॉकी कौशल से प्रतिद्वंद्वी टीम की रक्षापंक्ति को छकाने में कोई जवाब में है। तब हमारी हॉकी टीम में दुनिया के कई बेहतरीन ड्रिब्लर थे।’