दीपक कुमार त्यागी
- संकट के समय में संकटमोचक की भूमिका का बार-बार निर्वहन करते ‘जनरल वीके सिंह
- कमांडो से सेनाध्यक्ष अब एक सफल राजनेता ‘जनरल वीके सिंह
- देश के दुश्मनों के साथ-साथ सियासी रणभूमि में भी विरोधियों को हराने में माहिर ‘जनरल वीके सिंह
हमारे यहां एक कहावत बहुत ही प्रचलित है कि एक फौजी अपने पूरे जीवन भर फौजी ही रहता है।
अपने सेवाकाल में एक फौजी के लिए देश के प्रति जो सेवा और समर्पण के भाव का जज्बा होता है, वही भाव सेवानिवृत्त होने के बाद भी जीवन काल में बिल्कुल भी कम नहीं होता है। देश में ऐसी ही एक शानदार व्यक्तित्व वाली बेहद प्रभावशाली शख्सियत हैं पूर्व सेनाध्यक्ष व मौजूदा केन्द्रीय मंत्री ‘जनरल वीके सिंह’ की, वह सेना में कमांडो व सेनाध्यक्ष के रूप मां भारती की सेवा करते हुए देश के दुश्मनों से टकराने में भी हमेशा आगे रहे हैं और सियासी रणभूमि में भी विरोधियों को हराने में आगे रहे हैं। उन्होंने सेना में सेवाकाल के दौरान राजस्थान के तपते रेगिस्तान से लेकर जम्मू कश्मीर व नार्थ ईस्ट भारत की जमा देने वाली बर्फ से ढकी दुर्गम पहाड़ियों और देश की समुद्री सरहद वाले क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक कार्य किया। वह आयेदिन चीन से होने वाली झड़प के सैन्य मोर्चा पर भी काम करते हुए सफल रहे, वहीं जम्मू-कश्मीर की दुर्गम पर्वत मालाओं पर भी उन्होंने देश के दुश्मनों के खिलाफ समय-समय पर सैन्य अभियान चलाकर आतंकियों का चुन-चुन कर सफलतापूर्वक सफाया करवाने का कार्य किया। उन्होंने बंग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भी भाग लिया, वहीं श्रीलंका में शांति स्थापित करने के लिए भी कार्य किया। वह देश-दुनिया की भूमि पर एक भारतीय सैन्य अधिकारी के रूप में अपने विभिन्न अभियानों को सफलतापूर्वक निभाने के बाद सेना के सर्वोच्च पद से सेवानिवृत्त हुए। लेकिन सेवानिवृत्त होने के वाबजूद भी एक जांबाज योद्धा की तरह ही ‘जनरल वीके सिंह’ संकटमोचक के रूप में देश की सेवा करने के लिए आज भी पूरी निष्ठा, ईमानदारी व तत्परता से निरंतर उपलब्ध हैं। वह सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी देश के एक देशभक्त व जागरूक आम नागरिक के रूप में आम जनमानस के सरोकारों के विभिन्न ज्वलंत मुद्दों को लेकर के तत्कालीन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार से भी टकराने में आगे रहे हैं। अब वह एक राजनेता के रूप में उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद लोकसभा से सांसद के रूप में दायित्व का निर्वहन कर रहें हैं। ‘जनरल वीके सिंह’ केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं और उनकी गिनती देश के एक ऐसे राजनेता के रूप में होती है, जो नरेंद्र मोदी सरकार में मिलने वाली प्रत्येक छोटी हो या बड़ी किसी भी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में भी हमेशा आगे ही रहते हैं। यहां आपको बता दें कि ‘जनरल वीके सिंह’ ने 31 मार्च 2010 को भारतीय सेना के बेहद महत्वपूर्ण सर्वोच्च पद थल सेना के सेनाध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी को संभालने का कार्य किया था, वह देश के ऐसे पहले कमांडो हैं जो सेनाध्यक्ष के सर्वोच्च पद तक पहुंचे और वह 31 मई 2012 को एक इतिहास में दर्ज होने वाले बेहद सफल सेनाध्यक्ष के रूप में इस पद से सेवानिवृत्त हो गए थे। ‘जनरल वीके सिंह’ को सेना में सेवा काल के दौरान सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल आदि से समय-समय पर नवाजा गया है। ‘जनरल वीके सिंह’ ने मार्च 2012 में सेना में व्याप्त समस्याओं व खरीद में भ्रष्टाचार के मसलों को अपने साक्षात्कार व पत्र के माध्यम से दमदार ढंग से उठाने का कार्य किया था। उन्होंने संसाधनों व आधुनिक तकनीक की जबरदस्त कमी से जूझ रही भारतीय सेना की बेहद गंभीर हो चुकी समस्या को तुरंत पहचान कर तत्कालीन रक्षामंत्री व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी समस्या से अवगत करवाने का साहसिक कार्य किया था। उन्होंने देश की सेना के टैंकों में गोला-बारूद खत्म होने के कगार पर है और सिस्टम के बेहद ढुलमुल रवैए से अप्रचलित तकनीक फौजियों के जीवन व देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है, जैसे बहुत सारे सेना व देश की सुरक्षा के हित से जुड़े हुए बेहद महत्वपूर्ण ज्वलंत मसलों को उठाकर के कुंभकर्णी नींद लेने में व्यस्त देश के कर्ताधर्ताओं व नीतिनिर्माताओं को समय रहते हुए जगाने कार्य किया था।
सेना से सेवानिवृत्त होने के पश्चात ‘जनरल वीके सिंह’ ने देश की बेहद मजबूत नींव की जड़ों को खोखला कर रहे अपने चरम पर पहुंच चुके भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाने का कार्य शुरू किया था, भ्रष्टाचार विरोधी व जनहित के बहुत सारे मसलों को लेकर के वह देश में तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ चल रहे अन्ना हजारे के आंदोलन को अपना समर्थन देकर उसमें भाग लेने का कार्य किया था। देश के सियासी गलियारों में ऐसा माना जाता है कि उस वक्त अन्ना हजारे के आंदोलन को सफल बनाने में ‘जनरल वीके सिंह’ की भी बेहद अहम व महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। इसके पश्चात ‘जनरल वीके सिंह’ मार्च 2014 में अपनी आधिकारिक रूप से राजनीतिक पारी की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये थे और वर्ष 2014 के लोकसभा के चुनावों में वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनावी रणभूमि में उतर गये थे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में ‘जनरल वीके सिंह’ ने कांग्रेस के दिग्गज स्टार उम्मीदवार प्रसिद्ध फिल्म स्टार राज बब्बर को भारी मतों से हराने का कार्य किया था, उस वक्त ‘जनरल वीके सिंह’ को कुल 7 लाख 58 हजार 4 सौ 82 वोट मिले थे और राज बब्बर दूसरे नंबर पर रहे, ‘जनरल वीके सिंह’ ने 5 लाख 67 हजार 2 सौ 60 मतों के भारी अंतर से चुनावी जीत हासिल करके एक रिकॉर्ड बनाने का कार्य किया था। जिसके पश्चात उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में कार्य किया था। वहीं गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से ही वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में ‘जनरल वीके सिंह’ को 9 लाख 44 हजार 5 सौ 03 वोट मिले थे। उन्होंने गठबंधन प्रत्याशी सुरेश बंसल को 5 लाख 01 हजार 5 सौ मतों के भारी अंतर से हराकर जीत दर्ज करने का कार्य किया था, फिलहाल ‘जनरल वीके सिंह’ केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री के साथ-साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में अपने बेहद महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन अपनी लोकसभा के लोगों का पूरी तरह से ध्यान रखते हुए सफलतापूर्वक निर्वहन करने का कार्य कर रहे हैं।
जनरल वीके सिंह’ ने अपनी विशिष्ट कार्यशैली, मेहनत व जुझारू तेवरों का समय-समय पर देश व दुनिया को बखूबी परिचय देना का कार्य किया है। वह एक ऐसे जांबाज जिंदादिल योद्धा हैं जो चाहे वर्दी में रहे हों या फिर देश के एक आम आदमी के लिबास में या देश में एक राजनेता के रूप में हमेशा मान सम्मान व स्वाभिमान के साथ एक जिम्मेदार नागरिक की तरह अनुशासित जीवन यापन करते हुए मां भारती की सेवा करने के लिए तत्पर तैयार खड़े रहते हैं।
‘जनरल वीके सिंह’ ने सेना में रहते हुए एक आम सैनिक से लेकर सर्वोच्च पदों पर आसीन जांबाजों की विकट परिस्थितियों में काम करने की क्षमता से देश दुनिया को अवगत करवाने का कार्य बखूबी किया था। उन्होंने देश के सामने विकट परिस्थितियों में मां भारती की सेवा का कार्य करने वाले सेना के जांबाज़ सैन्यकर्मियों के वर्षों से लंबित दुख-दर्द व समस्याओं को लाकर के उनके निदान के लिए अपने कार्यकाल में धरातल पर बहुत सारे सकारात्मक प्रयास किये थे। उन्होंने सेनाध्यक्ष के रूप में जंग लगे दशकों पुराने खस्ताहाल हथियारों के भरोसे संघर्ष कर रही वीर जांबाज़ भारतीय सेना के आधुनिकीकरण करने पर पूरा जोर दिया था और उसके लिए धरातल पर कारगर कार्य करने का काम किया था। ‘जनरल वीके सिंह’ ने सेना में सेवा के उस काल खंड के दौरान सेना के शीर्ष व निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार की आयेदिन पोल खोलकर भ्रष्टाचार की गंदगी को साफ करने का कार्य बखूबी से किया था, हालांकि उनके इस साहसिक कदम ने उस वक्त देश-दुनिया की मीडिया में बहुत ही जबरदस्त चर्चा बटोरने का कार्य भी किया था। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय सेना की रीढ़ माने जाने वाले लाखों पैदल सैनिकों के दर्द को समझा, क्योंकि वह बेहद निम्नस्तर की गुणवत्तापूर्ण वाले कपड़ों और घटिया उपकरणों आदि से लैस थे, उनको बेहतर आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित करवाने की पहल करने के एक बहुत बड़े असंभव कार्य को दृढ़ संकल्प के दम पर ‘जनरल वीके सिंह’ ने संभव करके देश-दुनिया को दिखाया था, क्योंकि देश की सुरक्षा से जुड़ा यह महत्वपूर्ण कार्य भी ग़लत नीतियों, भ्रष्टाचार व लालफीताशाही के चलते दशकों से फाइलों से बाहर निकल कर धरातल पर मूर्त रूप लेने के लिए तैयार ही नहीं था। सबसे बड़ी बात यह है कि ‘जनरल वीके सिंह’ ने ही देश के तत्कालीन नीति निर्माताओं को याद दिलवाने का कार्य किया कि हमारी जांबाज सेना के पास अब मात्र चंद दिनों की ही युद्ध लड़ने की सामग्री बची है, जिसके बाद से ही दशकों से सोए हुए सिस्टम अपनी कुंभकर्णी नींद से जागा और देश में सेना के लिए एकाएक युद्ध सामग्री खरीद कर एकत्र करने के लिए विभिन्न रक्षा सौदों को धरातल पर अंतिम रूप देने में बहुत तेजी आयी थी।
वैसे देखा जाए तो भारतीय सेना को 21वीं सदी की अत्याधुनिक सेना बनाने की मजबूत नींव रखने का श्रेय ‘जनरल वीके सिंह’ को ही जाता है, इस उपलब्धि के लिए उनका नाम पर हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है, उनको हमेशा भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए याद रखा जायेगा।
जनरल वीके सिंह’ ने समय-समय पर दुनिया के अलग-अलग देशों की युद्धग्रस्त व हिंसाग्रस्त विदेशी भूमि पर भारत सरकार के द्वारा देश के लोगों को वहां से निकालने के लिए चलाए गये बेहद जटिल व चुनौतीपूर्ण राहत अभियानों को अपनी कुशल कारगर रणनीति व नेतृत्व क्षमता के दम पर बेहद विपरीत परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक चलाकर-
देश दुनिया को यह संदेश देने का कार्य किया है कि ‘‘भारत का एक फौजी, जीवनपर्यंत हमेशा फौजी ही रहता है, वह विकट से विकट परिस्थितियों में देश की सेवा करने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना ही ‘जनरल वीके सिंह’ की तरह तत्पर खड़ा रहता है।
‘जनरल वीके सिंह’ ने युद्धग्रस्त यमन से भारतीयों को निकलने के अभियान की निगरानी करने का कार्य सफलतापूर्वक किया था। यमन में मार्च 15 में गृह युद्ध छिड़ने के कारण संकट की स्थिति पैदा हो जाने पर जब भारत सरकार ने देखा कि यमन में जगह-जगह लगभग 4000 भारतीयों को तत्काल वहां से सुरक्षित निकालने की जरूरत है। तो उस वक्त विदेश मंत्रालय, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना और एयर इंडिया ने ‘जनरल वीके सिंह’ की देखरेख में मिलकर भारतीय नागरिकों को निकालने की एक संयुक्त योजना बनाई थी। भारतीय नौसेना के जहाजों ने भारतीयों को यमन के बंदरगाहों से जिबूती पहुंचाया और एयर इंडिया ने साना में फंसे भारतीयों को जिबूती पहुंचाया, भारतीय वायु सेना ने भारतीय नागरिकों को जिबूती से कोच्चि और मुंबई पहुंचाने के लिए तीन सी-17 वायुयानों को तैनात किया। इस अभियान से 4,741 भारतीय नागरिकों के साथ-साथ अत्यंत कठिन परिस्थितियों में 48 देशों के 1,947 विदेशी नागरिकों को भी सुरक्षित बाहर निकाला गया था, जिसको अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बेहद सराहने का कार्य किया था। वहीं देश की जनता ने ‘जनरल वीके सिंह’ को संकटमोचक की उपाधि से नवाजने का कार्य किया था।
वहीं 13 जुलाई, 2016 को केंद्र सरकार ने जब हिंसाग्रस्त दक्षिण सूडान में जारी गृहयुद्ध में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के उद्देश्य से एक बड़ा “ऑपरेशन संकटमोचन” शुरू किया था। तो उस वक्त भी इस बेहद ख़तरनाक अभियान की अगुवाई देश के संकटमोचक योद्धा बन चुके ‘जनरल वीके सिंह’ ने ही की थी, 14-15 जुलाई 2016 को इस अभियान के तहत दक्षिण सूडान के शहर जूबा के लिए दो सी-17 सैन्य परिवहन विमानों से 153 भारतीयों और नेपाल के 2 नागरिकों को हिंसाग्रस्त इलाकों से सफलतापूर्वक निकाला गया था, यह अभियान राजनेता के रूप में ‘जनरल वीके सिंह’ के नाम पर एक बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
‘जनरल वीके सिंह’ ने कुछ माह पूर्व फरवरी 2022 में भी भारत सरकार ने जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाल कर लाने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ चलाया था, उस वक्त भी ‘जनरल वीके सिंह’ ने पोलैंड में जाकर भारतीय नागरिकों को युद्ध भूमि से सुरक्षित सफलतापूर्वक निकालने का कार्य किया था, विदेशी धरती पर फंसे भारतीयों को सुरक्षित देश वापस लाने के अभियान चलाने के ‘जनरल वीके सिंह’ सबसे बड़े विशेषज्ञ बन गये हैं।
‘जनरल वीके सिंह’ के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी यह है कि देश-दुनिया में समय-समय पर अपनी विभिन्न प्रकार की भूमिका को सफलतापूर्वक निभाने के साथ-साथ भी वह हमेशा अपने लोकसभा क्षेत्र गाजियाबाद की जनता से सीधे जुड़े रहते हैं, वह नियमित रूप से क्षेत्रवासियों के सुख व दुःख दोनों में शामिल होते रहते हैं। उन्होंने अपने छोटे से कार्यकाल में गाजियाबाद जनपद के विकास को विश्व स्तरीय नये आयाम देने के लिए निरंतर केंद्र व प्रदेश सरकार के स्तर पर प्रयास करके क्षेत्र में विकास कराने का कार्य किया है। ‘जनरल वीके सिंह’ ने गाजियाबाद जनपद को विश्व स्तरीय दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे की सौगात देकर के, ना केवल जाम के झाम से रोजाना जूझने वाली उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की जनता को बहुत बडी राहत दिलवाने का कार्य किया है। बल्कि उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र में हिंडन एयरपोर्ट का निर्माण करवा कर विभिन्न शहरों के लिए फ्लाइट चलवाने का कार्य किया है। उन्होंने गाजियाबाद से लखनऊ तक ग्रीनफील्ड इकोनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी दिलवाने का कार्य किया है, इस 380 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के बनने के बाद गाजियाबाद, हापुड़ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से से जुड़े लोगों को यमुना एक्सप्रेसवे पर जाने की जरूरत नहीं होगी और गाजियाबाद से लखनऊ के बीच की दूरी 3 से 4 घंटे में कार से तय की जा सकती है। उनके प्रयासों से ही एनएच-9 का दिल्ली से पिलखुवा तक 14 लेन हाईवे का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य को लगभग 4200 करोड़ की लागत से पूर्ण किया गया है। उनके प्रयासों से ही एनएच-58 का चौड़ीकरण हुआ। उनके प्रयासों से ही एनएच-9, दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे और ईस्टन पेरीफेल को बनाते समय गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र की क्षतिग्रस्त 20 सड़कों का एनएचएआई द्वारा निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने दिल्ली ज्ञानी बोर्ड से लाल कुँआ (पुराना जीटी रोड़) का वन टाइम सौन्दर्यकरण के लगभग 14 किलोमीटर का निर्माण कार्य एनएचएआई से स्वीकृत करवाया है। उन्होंने दिल्ली-सहारनपुर एनएच-709बी का निर्माण कार्य, गाजियाबाद को जोड़ते हुए ईस्टन पेरीफेल एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य, दिल्ली से मेरठ पुराने एनएच-58 को जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए सौंदा अपर गंगनहर से नाले की पटरी व सुल्तानपुर माईनर का बांई पटरी का चौड़ीकरण कर वाया काकड़ा, साई मंदिर सलेमाबाद की झाल, मिलक चाकपुर होते हुए पाईप लाईन को क्रास करते हुये भोवापुर रोड़ से राजनगर एक्सटेंशन तक के मार्ग का निर्माण कार्य स्वीकृत करवाया। उन्होंने पाईप लाईन रोड का निर्माण कार्य, बंथला फलाईओवर का निर्माण कार्य, लोनी और मुरादनगर को जोड़ने के लिए हिंडन नदी पर दो पुलों का निर्माण कार्य, दिल्ली खजुरी पुस्ता रोड़ से लोनी शहर तक डबल रोड़ का निर्माण कार्य, दशकों से लंबित चली आ रही विजय नगर लाइनपार क्षेत्र की जनता की मांग को पूरा करवाते हुए विजयनगर लाईनपार क्षेत्र से गाजियाबाद शहर को जोड़ने के लिए गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर आरओबी (ROB) का निर्माण कार्य शुरू करवाया। गाजियाबाद में रेलवे स्टेशन को हवाई अड्डे की तर्ज पर बनाने की स्वीकृति, एलीवेटेड, रिज़नल रैपिड़ रेल का निर्माण कार्य, मुरादनगर में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री पर आरओबी (ROB) का निर्माण कार्य, इंदिरापुरम में कैलाश मानसरोवर भवन का निर्माण, इसके साथ ही ‘जनरल वीके सिंह’ अपने संसदीय क्षेत्र में शिक्षा, सुरक्षा, चिकित्सा, खेलकूद आदि के लिए बड़े पैमाने पर कार्य करके लोकसभा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि निष्पक्ष व दलगत राजनीति से ऊपर उठकर आज के दौर के नेताओं के व्यवहार का आंकलन किया जाए तो भारतीय राजनीति में ऐसी बहुत ही कम शख्सियत देखने को मिलती हैं जोकि केन्द्रीय मंत्री के रूप में भी अपनी अधिकांश जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन भी करते हो और साथ ही साथ वह अपनी लोकसभा क्षेत्र में भी आम जनमानस से लगातार जनसंपर्क करके उनकी समस्याओं का निस्तारण व क्षेत्र के विकास के लिए निरंतर कार्य करते हो। लेकिन इस मामले में जनता की अदालत में ‘जनरल वीके सिंह’ इन दोनों मापदंड पर पूर्ण रूप से खरें उतरते हैं। वह अपनी मातृभूमि व कर्मभूमि दोनों की सेवा को सबसे बड़ी अपनी जिम्मेदारी मानकर हर वक्त उसके लिए तत्पर खड़े रहते हैं, भारतीय राजनीति के आज के दौर में ऐसे शानदार व्यक्तित्व वाली बेहतरीन शख्सियत विरले ही देखने को मिलती है।