इंद्र वशिष्ठ
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 180 आतंकवादी मारे गए हैं. आतंकवादी घटनाओं में सुरक्षा बलों के 31 जवान शहीद हुए हैं. राज्य सभा में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सांसद जावेद अली खान और राम नाथ ठाकुर द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है. गृह राज्यमंत्री ने बताया कि देश भर में इस साल नवंबर तक 126 आतंकवादी घटनाएं हुई है. इनमें से जम्मू कश्मीर में हुई 123 घटनाओं में सुरक्षा बलों के 31 जवान शहीद हुए और 31 नागरिक मारे गए हैं. जम्मू कश्मीर में इस साल नवंबर तक सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 180 आतंकवादी मारे गए है. इसके अलावा पंजाब, तमिलनाडु और कर्नाटक में एक-एक आतंकवादी घटना हुई है.
कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा में विफल?-
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या सरकार कश्मीर में अल्पसंख्यकों विशेष कर कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है ? क्या कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में केंद्रीय सरकार की असमर्थता के कारण घाटी से बड़े पैमाने पर पलायन का आह्वान किया है?
पंडितों सहित 14 लोगों की हत्या-
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने इसके जवाब में बताया कि केंद्र सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है. जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. आतंकी हमलों में काफी कमी आई है, वर्ष 2018 में हुए 417 हमलों की तुलना में वर्ष 2021 में 229 हमले हुए हैं. इस साल 30 नवंबर तक कश्मीर में आतंकियों द्वारा 3 कश्मीरी पंडितों समेत अल्पसंख्यक समुदायों के 14 लोगों की हत्या की गई है.
मजबूत सुरक्षा तंत्र-
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने अपने लोगों की सुरक्षा चिंताओं का मुद्दा उठाया है. अल्पसंख्यकों के जीवन की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा विभिन्न उपाय किए गए हैं, जिनमें शामिल है सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था, महत्वपूर्ण स्थानों पर चौबीस घंटे नाकाबंदी, गश्त लगाना और सर्च ऑपरेशन आदि. आतंकियों के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए जम्मू कश्मीर में मज़बूत सुरक्षा और खुफिया तंत्र मौजूद हैं.
कश्मीर में पत्रकारों को धमकियां-
भाजपा के सुशील कुमार मोदी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि श्रीनगर में स्थानीय समाचार पत्रों में काम करने वाले आठ पत्रकारों को आतंकी ब्लॉग ‘कश्मीर फाइट’ के माध्यम से धमकी मिली. ‘राइजिंग कश्मीर’ नामक मीडिया हाउस से जुड़े चार पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया है.
सुरक्षा के लिए कदम-
सरकार ने आतंकवादी खतरे/ हमले से पत्रकारों सहित लोगों के जीवन की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं. सुरक्षा व्यवस्था के तहत पुलिस, सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और खुफिया एजेंसियों समेत सुरक्षा ग्रिड पूरे जम्मू कश्मीर में तैनात रहती है. ताकि आतंकियों या उनके हैंडलरो की ओर से किए जाने वाले किसी भी हमले/प्रयास को विफल किया जा सके. आतंकियों की तलाश करने और उन्हें गिरफ्तार करने/खात्मा करने/खदेड़ने के लिए सक्रिय अभियान चलाया है. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां पत्रकारों के जीवन की रक्षा के लिए उचित स्तर की सुरक्षा प्रदान कर रही हैं.