2000 का नोट एक मोदी ने चलाया, दूसरे मोदी ने बंद करने की आवाज उठाई

संदीप ठाकुर

काला धन,भ्रष्टाचार ,जाली नोट, नक्सलवाद व आतंकवाद को नियंत्रित करने का
तर्क देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 साल पहले यानी 2016 में
रातों रात नोटबंदी की घोषणा कर दी थी। घोषणा के तहत 1000 व 500 के नोट
लीगल टेंडर नहीं रहे थे। देश में हड़कंप मच गया था। इस हड़कंप काे बेकाबू
हाेने से रोकने के लिए 2,000 रुपये के नोट जारी किए थे। अब वही 2000 के
नोट सरकार की गले की हड्डी बन गए हैं। भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने
राज्यसभा में कहा है कि बड़े पैमाने पर लोगों ने इस नोट की जमाखोरी कर
रखी है। केवल अवैध व्यापार में इसका इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने दावा
किया कि 2,000 रुपये के नोटों का आपराधिक गतिविधियों व अवैध व्यापार में
बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है, लिहाजा सरकार को इसे चरणबद्ध तरीके
से बंद कर देना चाहिए।

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने उच्च
सदन में शून्यकाल के दौरान गत 12 दिसंबर काे यह मुद्दा उठाया। उन्होंने
कहा, ‘बाजार में गुलाबी रंग के 2,000 रुपये के नोटों का दर्शन दुर्लभ हो
गया है। एटीएम व बैंक कहीं से यह नहीं निकल रहा है। इस चलते यह अफवाह जोर
पकड़ रही है कि 2000 के नाेट काे सरकार ने बंद कर दिया है। इसलिए यह अब
यह गुलाबी नोट लीगल टेंडर नहीं रहा। कई छोटे शहरों व गांव में तो 2000 के
नाेट काे लेने से दुकानदार मना भी करने लगे हैं। ऐसी शिकायतें आईं हैं।
सुशील मोदी ने सरकार से इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि 2016 में 500 और 1,000 रुपये के पुराने
नोटों को तेज गति से बदलने के लिए आरबीआई द्वारा 2000 रुपये के नोट पेश
किए गए थे। कई चुनौतियों के कारण पिछले तीन वर्ष से आरबीआई ने 2,000
रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है। बड़ी संख्या में 2,000 रुपये के
नकली नोट जब्त भी किए जा रहे हैं। 2000 रुपये के नोटों की जमाखोरी और
कालाबाजारी के मामले सामने आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि केवल अवैध व्यापार में इसका इस्तेमाल हो रहा है। कुछ
जगहों पर यह प्रीमियम पर बिक रहा है। उन्होंने संसद में कहा कि मादक
पदार्थों, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद सहित कई अन्य अपराधों में 2000 के
नोटों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा, ‘बड़े पैमाने
पर लोगों ने 2,000 के नोटों की जमाखोरी कर रखी है। इसलिए सरकार काे इसे
घीरे घीरे बंद कर देना चाहिए।

सनद रहे कि नकली नोट, काला धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को नियंत्रित करने
की बात कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा
की थी। इसके तहत 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर चलन से
बाहर कर दिया गया था। सरकार ने कुछ दिनों के बाद उनके स्थान पर 500 रुपये
और 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए थे। बकाैल सुशील मोदी अब इसका कोई
औचित्य नहीं रह गया है। वैसे भी यदि काले धन पर रोक लगानी है तो सरकार
काे 2,000 के नोट को बंद कर देना चाहिए। 2000 के नाेट काे लेकर यही सवाल
बार बार अर्थशास्त्री भी मोदी सरकार से पूछ रहे थे लेकिन उन्हें इसका
जवाब आज तक नहीं मिला। नोटबंदी काे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है।
केंद्र सरकार से सवाल जवाब जारी है। देश काे कोर्ट की टिप्पणी का इंतजार
है।