‘बिकीनी’ के रंग में धर्म को तलाश करना कब से जिम्मेदारी बन गई नेता व साधु संतों की

संदीप ठाकुर

नेताओं और धर्म के कथित ठेकेदारों की नजर देश में पहाड़ की तरह खड़े जन
समस्याओं की ओर नहीं जाती। उनकी नजर जाती है ताे बिकीनी की तरफ। आप समझ
ही गए होंगे कि यहां बात शाहरुख खान की आने वाली फिल्म ‘पठान’ की
एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के सिजलिंग अंदाज और उसके बिकीनी की हो रही है।
ये वही बिकीनी है जिसका सिर्फ इसलिए विरोध हाे रहा है क्योंकि वह भगवा
रंग की है। विरोध करने वाले कौन लोग हैं, दक्षिणपंथी विचारधारा वाले चंद
नेता,मंत्री और कथित घर्मगुरू। सवाल यह है कि बिकीनी के रंगों में धर्म
को तलाश करना या फिर उसे भारतीय सभ्यता संस्कृति से जोड़ना कहां तक उचित
और तर्कसंगत है। क्या किसी हीरोइन ने पहली बार बिकीनी पहनी है ? क्या देश
में मुद्दे कम पड़ गए हैं कि अब हमारे नेताओं को बिकीनी में भी मुद्दा
दिखने लगा है ? क्या देश के नेताओं का यही काम रह गया है ? क्या जनता ने
उन्हें इसी काम के लिए चुन कर भेजा है ? नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करने और इसका ठेकेदार बनने का अधिकार इन्हें
किसने दिया है। अब बॉलीवुड काे क्या बिकीनी व हीराे हीराेईन के ड्रेस का
रंग धर्म के ठेकेदारों व नेताओं से पूछ कर तय करना पड़ेगा ? कहीं यह
विरोध सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका तो नहीं ?

दरअसल शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ का पहला टीजर गाना गत 12 दिसम्बर को
लॉन्च किया। गाने का टाइटल है ‘बेशर्म रंग’। दीपिका का यह गाना रिलीज हुआ
तो देखते ही कुछ लोगों ने उनके डांस स्टेप्स पर भौहें तान दी। कुछ नेताओं
और धर्म के ठेकेदारों की निगाहों दीपिका की ऑरेंज यानी भगवा कलर की
बिकीनी पर ठहर गई। मिल गया मुद्दा। शुरू हुई बिकीनी के रंगों में धर्म को
तलाशने की कहानी । 2014 के बाद धर्म और राजनीति काे मिक्स कर इस देश में
चलने का अपना मजा है। आग लगाने के लिए गाेदी और सोशल मीडिया है ही। शुरू
हाे गई फिल्म के बॉयकॉट से लेकर सिनेमा हॉल को फूंकने तक की। मध्य
प्रदेश के गृह मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने
चेतावनी दी है,‘पठान फिल्म के गाने में अभिनेत्री की वेशभूषा और दृश्यों
को ठीक करें, नहीं तो फिल्म को प्रदेश में अनुमति दी जाए अथवा नहीं, इस
पर फैसला किया जाएगा।’ यूपी के अयोध्या में भी ‘पठान’ में दिखे इस भगवा
बिकीनी का विरोध हुआ और महंत राजू दास ने कहा कि मैं दर्शकों से अपील
करता हूं कि जिन भी थिएटर में पठान दिखाई जाए उन्हें फूंक दो। कुछ
छुटभैय्ये नेता माैके का फायदा उठा गले में भगवा पट्टा डाल बेलगाम यू
ट्यूब चैनलों के माध्यम से जहर उगलने लगे। लगे हाथ ट्विटर पर हैशटैग
‘बॉयकॉट पठान’ ट्रेंड करने लगा। अब सवाल यह भी उठता है कि फिल्मों में
इससे पहले भी हिरोइनें भगवा रंग की बिकिनी में नजर आई हैं और सेंसेशनल
पोज़ भी दे चुकी हैं। ऐसे में दीपिका की ही बिकीनी पर सवाल क्यों?

कला का सबसे लोकप्रिय माध्यम सिनेमा है, जिसका सीधा और साधारण सा मतलब
मनोरंजन है। यह मनोरंजन कभी धार्मिक हाे सकता है,कभी राजनीतिक,कभी
रोमांटिक ताे कभी एडवेंचर से भरा हुआ। क्यों न फिल्मों को सिर्फ फिल्म ही
रहने दिया जाय। इसे एंटरटेनमेंट और मस्ती तक सीमित रखा जाए। क्यों इसके
एक-एक पहलू व दृश्याें काे देश की राजनीति और धर्म से जोड़ कर देखा जाए।
अश्लीलता पर लंबी बहस हो सकती है और अलग-अलग नजरिए से अश्लीलता का पैमाना
भी तय हो सकता है। वैसे भी देश में अभिव्यक्ति की आजादी है। हाल ही में
कोलकाता के एक फिल्म फेस्टिवल में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी
कहा कि सिल्वर स्क्रीन तेजी से अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं का युद्ध
क्षेत्र बनता जा रहा है। इस पर नजरिया बदलने की जरूरत है।