राजस्थान की दो रेल परियोजनाओ बांसवाड़ा-डूंगरपुर-रतलाम और टोंक-चौथ का बरवाड़ा,सवाई माधोपुर का काम रुकने का प्रमुख कारण राजस्थान सरकार द्वारा परियोजना लागत में 50:50 में भागीदारी को मंजूर करने से इंकार करना रहा है
रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्ली। केंद्रीय रेल,संचार, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौधोगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद कनक मल कटारा के एक तारांकित प्रश्न के जवाब में बताया है कि भारत सरकार ने राजस्थान की दो रेल परियोजनाओ बांसवाड़ा-डूंगरपुर-रतलाम (188.85 किमी) और टोंक- चौथ का बरवाड़ा,सवाई माधोपुर (165 किमी) नई रेल लाइन परियोजनाओं को रेल मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच 50:50 लागत में भागीदारी से शुरू कराया था लेकिन कालान्तर में राजस्थान सरकार के परियोजना की लागत को साझा करने के लिए सहमत नहीं होने के कारण इन दोनों परियोजनाओं का कार्य निष्पादन अभी भी रुका हुआ है।
उन्होंने बताया कि रतलाम-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा ब्रॉड गेज लाइन को रेल मंत्रालय और राजस्थान सरकार के मध्य लागत में 50:50 प्रतिशत की भागीदारी के साथ वर्ष 2011 में मंजूर किया गया था और राज्य सरकार को इसके लिए निःशुल्क भूमि भी मुहैया कराई जानी थी। बहरहाल, राजस्थान सरकार ने बाद में परियोजना की लागत में भागीदारी के लिए अपनी असमर्थतता जाहिर कर दी। रेल मंत्रालय ने इस रेल लाइन का व्यवहारता अध्ययन भी कराया जिसके अनुसार भूमि की लागत को छोड़ कर वर्ष 2020 में इस परियोजना कि लागत 4,262 करोड़ रुपये आंकी गई थी। रेल मंत्रालय ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव से परियोजना को विशेष प्रयोजन वाहन (एसएसपी) अथवा राज्य सयुंक्त उद्यम (जेवी ) के माध्यम से क्रियान्वित करने और परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए नि शुल्क भूमि प्रदान करने की संभावनाओं को तलाशने का अनुरोध भी किया था लेकिन राजस्थान-सरकार परियोजना की लागत को साझा करने के लिए सहमत नहीं हुई है। इस कारण से पररयोजना का निष्पादन रुका हुआ है।
रेल मंत्री ने बताया कि अजमेर-सवाई माधोपुर (चौथ का बरवाड़ा ) वाया टोंक (165 कि मी) नई लाइन पररयोजना को भी रेल मंत्रालय और राजस्थान सरकार के मध्य लागत में 50:50 प्रतिशत की भागीदारी के साथ वर्ष 2014 में स्वीकृत किया गया था और इसके लिए भी राजस्थान सरकार को निः शुल्क भूमि मुहैया कराई जानी थी। रेल मंत्रालय ने इस रेल लाइन का भी व्यवहारता अध्ययन कराया जिसके अनुसार वर्ष 2020 में भूमि की लागत को छोड़ कर इस परियोजना की लागत 1823.13 करोड़ रु. और भूमि सहित 4,262 करोड़ रुपये आंकी गई थी लेकिन राजस्थान-सरकार परियोजना की लागत को साझा करने के लिए सहमत नहीं हुई है। इस कारण से पररयोजना का निष्पादन रुका हुआ है।
सांसद पी पी चौधरी, देवजी पटेल, सी पी जोशी, दीया कुमारी, सुमेधानन्द सरस्वती, सुखबीर सिंह जौनपुरिया और प्रदेश के अन्य सांसदों के प्रश्नों का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में (2014 से 2022 ) में भारत सरकार ने पिछले मार्च के आकड़ों के अनुसार राजस्थान में 2322 कि.मी. लंबाई की रेल परियोजनाओं के विभिन्न कार्य कराये है जिनमें 176 कि.मी. नई लाइन, 771 कि.मी. आमान पररिततन और 1,375 कि.मी. दोहरीकरण के कार्य शामिल हैं जो कि 2009-14 के दौरान कराये गए कार्यों से 82 प्रतिशत अधिक है।