गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में सात सीटों पर हो रहे विधानसभा उप चुनावों के लिए नामांकन भरने की अन्तिम तिथि से एक दिन पहले प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है। कांग्रेस ने देर रात अपने सातों उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी,वहीं भाजपा ने गुरुवार को अपने एक शेष प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया और चौरासी विधानसभा सीट से कारीलाल ननोमा को अपना प्रत्याशी बनाया है। दूसरी ओर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को खींवसर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में प्रत्याशी घोषित किया है। कांग्रेस ने इस बार सातों सीटों पर नए चेहरों पर दांव खेला हैं।
भाजपा ने सबसे पहले 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया था। बीजेपी ने दौसा से जगमोहन मीना, सलूंबर से शांता देवी मीना, झुंझनूं से राजेन्द्र भांबू, रामगढ़ में सुखवंत सिंह, खींवसर से रेवतराम डांगा और देवली-उनियारा से राजेन्द्र गुर्जर को चुनावी रण में उतारा है। वहीं, अब शेष बची चौरासी सीट पर भी उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। इधर, कांग्रेस ने दौसा से दीनदयाल बैरवा, सलूंबर से रेशमा मीणा, झुंझुनूं से अमित ओला, रामगढ़ से आर्यन जुबेर खान, खींवसर से रतन चौधरी, देवली उनियारा से कस्तूर चंद मीना और चौरासी से महेश रोत को टिकट दिया है। इसके साथ ही सभी सीटों पर पूरी तरह तस्वीर साफ हो चुकी है।
इसके साथ ही प्रदेश की सात सीटों में से चार सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने-सामने का सीधा मुकाबला तय हो गया है। वहीं तीन सीटों सलूंबर,चौरासी और खींवसर में इण्डिया गठबंधन के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने वाले भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के राज कुमार रोत और आरएलपी सुप्रीमों हनुमान बेनीवाल द्वारा अपने उम्मीदवार खड़े करने से त्रिकोणीय मुकाबला की स्थिति बन गई हैं।
दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल सलूंबर में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने महिला उम्मीदवारों पर भी दांव खेला है। वहीं, डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट पर दोनों पार्टियों ने अपने पुराने नेताओं पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा और पूर्व मंत्री सुशील कटारा के टिकट काट नए चेहरों को अजमाया है। कांग्रेस ने खींवसर से महिला उम्मीदवार के रुप में डॉ रतन चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। रतन चौधरी को कांग्रेस का टिकट मिलते ही उनके पति ने सवाई सिंह चौधरी ने भाजपा से अपना इस्तीफा दे दिया है।
दोनों दलों ने परिवारवाद को भी आगे बढ़ाया है जिसके अन्तर्गत भाजपा ने दौसा में पार्टी से नाराज भजन लाल शर्मा मंत्रिपरिषद के वरिष्ठ मंत्री डॉ किरोड़ी लाल के भाई रिटायर्ड आर ए एस जगमोहन मीणा,सलूंबर के दिवंगत विधायक अमृत लाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा और अलवर जिले के रामगढ़ में कांग्रेस ने मरहूम विधायक जुबेर खान के पुत्र आर्यन खान तथा झुंझुनू में सांसद बने बृजेन्द्र ओला के पुत्र अमित ओला को टिकट दिया हैं ।
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के प्रभाव वाले पूर्वी राजस्थान के टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट से बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर और कांग्रेस के कस्तूर चंद मीना के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है। भाजपा ने पिछले चुनाव में गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को टिकट दिया थाbलेकिन, वे चुनाव हार गए थे। हालांकि, पार्टी ने यहां जीत के लिए जातिगत समीकरण को साधते हुए पूर्व विधायक राजेन्द्र गुर्जर को मौका दिया है। वहीं, कांग्रेस ने हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड उदयपुर में अधिकारी पद पर रहे कस्तूर चंद मीना पर दांव खेला है।
पूर्वी राजस्थान की ही दौसा विधानसभा सीट पार्क बीजेपी नेता और राज्य की भजन लाल सरकार के सबसे सीनियर मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीना के भाई जगमोहन मीना और कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट पर पायलट का वर्चस्व है। वहीं, मंत्री किरोड़ी मीणा की सांख दांव पर है। बीजेपी नेता जगमोहन ने पिछले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में दावेदारी की थी। लेकिन पार्टी ने दोनों बार उन्हें टिकट नहीं दिया। इस कारण मंत्री किरोड़ी मीणा नाराज हो गए।अब पूर्वी राजस्थान में पार्टी किरोड़ी मीना के प्रभाव का फायदा लेना चाहती है। इसलिए उनके भाई को उतारा गया है। भाजपा लगातार दो बार से यह सीट हार रही है। जगमोहन मीना रिटायर्ड आरएएस हैं और करीब दस साल से राजनीति में सक्रिय हैं। वहीं, कांग्रेस ने दौसा के पूर्व प्रधान रह चुके दीनदयाल बैरवा पर दांव खेला हैं। वर्तमान में उनकी पत्नी बीना बैरवा प्रधान हैं। दीनदयाल बैरवा पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। वे सचिन पायलट और पूर्व मंत्री सांसद मुरारीलाल मीना के नजदीकी हैं।
प्रदेश के शेखावाटी की झुंझनूं विधानसभा सीट पर बीजेपी के राजेन्द्र भांबू और कांग्रेस के अमित ओला आमने-सामने है। झुंझुनूं सीट पर भाजपा राजेन्द्र भांबू की वजह से पिछले चुनाव में हार झेल चुकी है। भांबू पिछले चुनाव में टिकट कटने के बाद बागी हो गए थे। वहीं, कांग्रेस ने झुंझुनूं से अमित ओला को प्रत्याशी बनाया है। उनके दादा शीशराम ओला पांच बार सांसद व आठ बार विधायक रह चुके हैं। पिता बृजेन्द्र ओला झुंझुनूं से लगातार चार बार विधायक व दो बार मंत्री रह चुके। विधानसभा चुनाव के लिए ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी मैदान में है।
इसी प्रकार अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी के सुखवंत सिंह और कांग्रेस के आर्यन जुबेर खान के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। सुखवंत सिंह की वजह से भाजपा को पिछले चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी। ऐसे में अब बीजेपी ने उन पर विश्वास जताया है। वहीं, दिवंगत विधायक जुबेर खान के छोटे आर्यन जुबेर खान को कांग्रेस ने चुनावी रण में उतारा है। बीते 4 दशक से रामगढ़ की कांग्रेस की राजनीति में इस परिवार का दबदबा है।
नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर बीजेपी के रेवतराम डांगा और कांग्रेस के डाॅ. रतन चौधरी के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। रेवतराम डांगा एक मात्र प्रत्याशी हैं, जिन पर बीजेपी ने लगातार दूसरी बार दांव खेला है। डांगा पिछली बार मात्र 2 हजार 59 वोटों से हनुमान बेनीवाल से हार गए थे। वहीं, कांग्रेस ने सेवानिवृत्त डीआईजी सवाईसिंह चौधरी की पत्नी डाॅ. रतन चौधरी को चुनावी रण में उतारा है।
दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल सलूंबर विधानसभा सीट पर बीजेपी की शांता देवी मीना और कांग्रेस की रेशमा मीणा आमने-सामने है। अमृतलाल मीना के निधन के बाद खाली हुई सलूम्बर सीट से उनकी पत्नी को उतारा गया है। वह सेमारी से दो बार सरपंच रह चुकी हैं। सेमारी को नगर पालिका का दर्जा मिला तो शांता देवी को नगर पालिका अध्यक्ष मनोनीत किया गया। ये वर्तमान में भी इसी पद पर हैं। पार्टी यहां सहानुभूति का सहारा लेकर चुनाव जीतना चाहती है। वहीं, सलूंबर से 2018 में बागी होकर चुनाव लड़ी रेशमा मीणा पर कांग्रेस ने विश्वास जताया है।
वहीं डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट: इस सीट पर बीजेपी के कारीलाल ननोमा और कांग्रेस के महेश रोत आमने-सामने होंगे। बीजेपी ने पूर्व मंत्री सुशील कटारा का टिकट काटकर चौरासी सीट से नए चेहरे को चुनावी रण में उतारा है। कारीलाल ननोमा सीमलवाड़ा पंचायत समिति के प्रधान हैं। वहीं, कांग्रेस ने महेश रोत को युवा चेहरे के तौर पर मौका दिया गया है। महेश रोत छात्र नेता रहे हैं, पहले एनएसयूआई और फिर यूथ कांग्रेस में रहे। महेश रोत सांसरपुर पंचायत से सरपंच हैं।
राज्य की सात विधानसभा सीटों झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूंबर और रामगढ़ में होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है। उसके बाद ही उम्मीदवारों की वास्तविक तस्वीर साफ होगी तथा इन सभी सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
देखना है राजस्थान का चुनावी रण इस बार कितना संघर्षमय रहेगा?