बदलते भारत की सशक्त तस्वीर: महिला क्रिकेट टीम की उड़ान

A powerful image of a changing India: The rise of the women's cricket team

दिलीप कुमार पाठक

महिला वर्ल्ड कप 2025 सेमीफाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के 338 रनों का लक्ष्य चेज कर 5 विकेट से जीत हासिल की है और फाइनल में प्रवेश किया। अब तक यह कारनामा कभी नहीं हुआ था l ये हमारी बेटियों की प्रतिभा एवं मेहनत का प्रतिफल है l कुछ हासिल करने में वक़्त लगता है l अब जब हम आईसीसी मुख्यालय देखने जाएंगे तो आईसीसी ने अपने मुख्यालय के मुख्य दरवाज़े पर एक तस्वीर लगा रखी है, उस तस्वीर में दिख रही है गाँव की एक छोटी सी लड़की हाथ में बैट – गेंद लेकर क्रिकेट खेल रही है, ये तस्वीर आईसीसी के विज़न को दर्शाती है l आईसीसी चाहता है कि क्रिकेट दुनिया की आख़िरी लड़की तक पहुंचें और उसी दिन क्रिकेट की प्रमुख सफ़लता होगी l

आईसीसी चाहता तो सर डॉन ब्रैडमैन, सचिन तेंदुलकर, शेन वार्न की तस्वीरें लगा सकता था, परंतु आईसीसी चाहता है कि दुनिया में ये संदेश जाए कि क्रिकेट केवल पुरुषों का खेल नहीं है l इस जेंटलमैन खेल का लिंग से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि शारीरिक फिटनेस एवं इच्छाशक्ति मायने रखती है l हमारे देश में जहां आम तौर पर बेटियाँ क्रिकेट नही खेलतीं चूंकि हमारे यहां लोगों की धारणाएं हैं कि ये खेल तो लड़कों का है, हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियां न तो क्रिकेट खेलती हैं, और न देखती हैं, यही कारण है कि पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में क्रिकेट की समझ विकसित नहीं हुई है l इस बार बेटियों की सफ़लता भारत की ग्रामीण ल़डकियों के लिए भी दरवाजे खोल देगी l हमारे देश में हर क्षेत्र में बेटियों ने अब तक परचम लहराया है, परंतु क्रिकेट के क्षेत्र में हमारे देश की बेटियाँ दशकों से संघर्ष कर रहीं हैं, हालांकि इस बार फाइनल में पहुँचने के बाद उम्मीदें बढ़ गईं हैं l भारतीय महिला क्रिकेट टीम इतिहास रचने के करीब है, यह बदलते हुए भारत की सशक्त तस्वीर है l पहले भारत में महिला क्रिकेटरों में केवल अंजुम चोपड़ा ही फेमस थीं, परंतु धीरे-धीरे ही सही आज पूरी टीम की लड़कियां दुनिया भर में अपनी पहिचान रखती हैं, जिनका दर्जा किसी सुपरस्टार से ज़्यादा है l महिला टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर, ओपनर स्मृति मन्धना, शेफाली, दीप्ति शर्मा, ऋचा घोष हरलीन देओल सहित स्टार महिला क्रिकेट पूरी दुनिया में भारत की क्रिकेट का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनमे मिताली राज, झूलन गोस्वामी जैसी पूर्व स्टार क्रिकेटर्स भी शामिल हैं l

महिला वनडे विश्व कप 2025 के दूसरे सेमीफाइनल में गुरुवार को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बना ली है। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए फोबे लिचफील्ड के 119 रनों की मदद से 338 रन बनाए। जवाब में भारत ने जेमिमाह रोड्रिगेज की नाबाद 127 और कप्तान हरमनप्रीत कौर की 89 रनों की पारी के दम पर 48.3 ओवर में 341/5 रन बनाकर लक्ष्य हासिल कर लिया। यह महिला वनडे क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा सफल लक्ष्य पीछा है, साथ ही वनडे विश्व कप (पुरुष-महिला) के नॉकआउट मुकाबले में पहली बार 300 से अधिक रनों का चेज हुआ है। इस मैच की शुरुआत भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रही। पावरप्ले में शेफाली वर्मा (10) और स्मृति मंधाना (24) जल्दी आउट हो गईं। लेकिन जेमिमाह और हरमनप्रीत ने तीसरे विकेट के लिए 167 रनों की साझेदारी कर मैच को संभाला। जेमिमाह ने 134 गेंदों में 17 चौके जड़ते हुए नाबाद 127 रन बनाए, जबकि हरमनप्रीत ने 88 गेंदों पर 89 रन ठोके। बाद में दीप्ति शर्मा, ऋचा घोष और अमनजोत कौर ने उपयोगी योगदान दिया। अंतिम ओवरों में भारत ने दबाव में भी संयम बनाए रखा और 7 गेंद शेष रहते जीत दर्ज की। यह जीत ऑस्ट्रेलिया के 15 मैचों के विश्व कप अजेय क्रम को भी समाप्त करने वाली साबित हुई। इस जीत ने कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। महिला वनडे में सबसे बड़ा सफल लक्ष्य चेज अब भारत के नाम है और ऑस्ट्रेलिया के 331 रनों के पुराने रिकॉर्ड को भारतीय खिलाड़ियों ने पीछे छोड़ दिया है। वनडे विश्व कप के नॉकआउट चरण में यह पहला मौका है जब 300 से अधिक रनों का लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल किया गया हो। इससे पहले पुरुष वर्ग में 2015 विश्व कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 298 रनों का लक्ष्य चेज किया था। यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के लिए मील का पत्थर है। 2005 और 2017 के फाइनल हार के बाद तीसरी बार फाइनल में पहुंची टीम अब खिताब की प्रबल दावेदार है। 3 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल मुकाबला होगा। स्टेडियम में गूंजे ‘भारत माता की जय’ के नारों ने इस ऐतिहासिक जीत को और भी यादगार बना दिया। यह चेज अब रिकॉर्ड बुक में दर्ज है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।

एक एतिहासिक विजय क्रिकेट को बदल कर रख देती है, जिस तरह से भारतीय क्रिकेट 1983 की विजय के बाद गाँव – गाँव पहुँच गया था, ठीक इस बार भी बेटियों की विजय बने बनाए प्रतिमानों को तोड़ देगी कि क्रिकेट लड़कों का खेल है और यह यह बदलते हुए भारत की सशक्त तस्वीर होगी, पूरा भारत अपनी बेटियों के विजय की राह देख रहा है l