प्रो. नीलम महाजन सिंह
हर धर्म में नारी को ‘माँ स्वरुपा’ माना गया है। फ़िर भारत में महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया अभी भी धरातल पर नहीं उतरी। कोई भी महिला, किस प्रकार से अपना जीवन ज्ञापन करती है, यह उसका निजी निर्णय है। परंतु राजनीति में महिलाएं, पुरुषों और अपने आकाओं के कंधों पर चड़ कर आगे बढ़ती है, यह अनुचित सत्य अभी भी व्यावहारिक है। फ़िर ज़ुबान पर काबू ना रखने वाली तथा अनपढ, ड्रग्स का प्रयोग कर अनेक पुरुषों के साथ ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ को विषाक्तता से तोड़ कर, मंडी, हिमाचल प्रदेश की नवनिर्वाचित सांसद; कंगना रनौत के कई विवादित ब्यान बीजेपी को विवादों में फँसा रहा है। पिछले कुछ सालों में लगातार ‘केंगी’ के विवादस्पद ब्यान बाज़ी में बढ़ोतरी हुई है। नूपुर शर्मा ने मुसलामानों की भावनाओं को आहत किया था, जब उसने प्रोफेट मोहम्मद साहब व कुॅरान के लिए अपशब्द बोले। स्मृति मल्होत्रा ज़ुबिन ईरानी तो संसद में भी ताड़का का रूप धारण कर लेती है। यदि कोई और महिला राजनेता ऐसे ब्यान देती, तो कोई भी राजनीतिक दल, उसे पार्टी से उसे निष्कासित कर देता। अभिनत्री-सांसद कंगना रनौत ने 2021 में निरस्तित तीन कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग करने वाली; अपनी टिप्पणी वापस लेते हुए कहा है, कि उसे याद रखना चाहिए था कि वो केवल एक कलाकार ही नहीं बल्कि बीजेपी की सदस्या भी है। यह पहली बार नहीं है जब मंडी की सांसद अपनी टिप्पणी के कारण मुश्किलों में फंसी है। कंगना ने पहले कहा था कि, किसान आंदोलन में हिस्सा लेने वालीं महिलाओं को सो रुपये दे कर किराये पर लाया गया था। फ़िर (CISF) सीआईएसएफ की कांस्टेबल की माँ ने भी इस कृषक आंदोलन में हिस्सा लिया था। एक थप्पड़ तो इस बड़बोलेपन के लिए, कंगना को प्राप्त हो चुका है। इस नेत्री ने कहा था कि, किसानों ने अनेक बलात्कार वह हत्याकाण्ड किये हैं। एक ओर पीएम नरेंद्र मोदी, किसान को ‘अन्नदाता’ कहते हैं, तो दूसरी ओर उनकी चहेती, कंगना रनौत, उन्हें बलात्कारियों कहती है? पहले ही कॉंग्रेस पार्टी ने इस ब्यान की भर्त्सना की है। पंजाब में तो बीजेपी का सूपड़ा साफ़ ही है। अब हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले चुनावों में भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ‘क्वीन स्टार’ कंगना ने एक ओर खुद को विवादों के बीच पाया, जहां भाजपा ने खुद को इसके ब्यानों से खुद को अलग कर लिया और कांग्रेस ने उस पर हमला किया। यहां कंगना रनौत के कुछ अन्य राजनीतिक विवादों पर एक नज़र डालना आवश्यक है। कंगना ने कहा कि किसानों का आंदोलन “भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति” पैदा कर रहा है। रनौत, जिसे इस साल लोकसभा सांसद के रूप में चुना गया, ने आरोप लगाया था कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ़त किसानों का आंदोलन “भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति” पैदा कर रहा है, और विरोध प्रदर्शन स्थल पर “लाशें लटक रही थीं व बलात्कार हो रहे थे”। भाजपा ने उसकी टिप्पणियों की निंदा की और यह स्पष्ट किया है कि उसे पार्टी की नीतिगत मामलों पर टिप्पणी करने की न तो अनुमति है और न ही ऐसा करने का अधिकार है। फ़िर एक और टिप्पणी में, रानौत की नवीनतम फिल्म “आपातकाल” (Emergency) में वर्तमान में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पास अटकी हुई है और इसकी रिलीज़ की तारीख भी चूक गई है। रानौत, इस फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं, जिसे उन्होंने सह-लिखित, सह-निर्मित और निर्देशित किया है, लगातार सीबीएफसी पर निशाना साध रही है व एक बार उसने इसे “अनावश्यक निकाय” कहा था। फिल्म की कई सिख धार्मिक संस्थाओं ने आलोचना की है, जिनका दावा है कि यह ‘सांप्रदायिक तनाव भड़काने का प्रयास है और गलत सूचना फैला सकती है”। तीसरा विवादास्पद ब्यान, कंगना का यह कहना है कि भारत को 2014 में “असली आज़ादी” मिली। नवंबर 2021 में, नावीका कुमार के साथ ‘टाइम्स नाउ समाचार चैनल’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में रनौत की टिप्पणी की भरसक आलोचना की गई। जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई, कंगना ने कहा कि 1947 की स्वतंत्रता “भीख” थी। क्या ज्ञानी है ये चापलूस महिला? तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा ‘पद्म श्री’ प्रदान किए जाने के दो दिन बाद आए इस विवादास्पद ब्यानों ने कई क्षेत्रों से राजनेताओं, इतिहासकारों, शिक्षाविदों, साथी अभिनेताओं व अन्य कई लोगों की नाराज़गी को जन्म दिया, व कई लोगों ने कहा कि उन्हें अपना पुरस्कार वापस कर देना चाहिए।चौथा सनसनीखेज़, घृणित आचरण व अपमानजनक व्यवहार नीतियों के “बार-बार उल्लंघन” के लिए कंगना का ट्विटर अकाउंट मई 2021 निलंबित किया गया। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर, जिसे अब ‘एक्स’ कहा जाता है, ने घोषणा की कि “उसने अपने घृणित आचरण व अपमानजनक व्यवहार नीतियों के “बार-बार उल्लंघन” के लिए रनौत के खाते को स्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। पांचवां, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की भाजपा पर जीत व उस वर्ष चुनाव के बाद की हिंसात्मक घटनाओं के बाद अभिनेत्री ने कई भड़काऊ संदेश पोस्ट किए। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ने पहले उनकी बहन रंगोली चंदेल का अकाउंट निलंबित कर दिया था, जिसके बाद रनौत ट्विटर पर सक्रिय हो गई थी। 2020-2021 में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान, रनौत ने कई अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं, जिसमें एक उदाहरण में विरोध करने वाले किसानों को “आतंकवादी” कहा गया। वो पंजाबी अभिनेता-गायक दिलजीत दोसांझ के साथ तीखे शब्दों के युद्ध में उलझी हुई थीं, जब उन्होंने पंजाब की एक महिला किसान की पहचान, ‘बिलकिस बानो के रूप’ में की थी, जो 80 साल की थीं और जिन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियाँ बटोरी थीं। छटा चिंताजनक ब्यान, कंगना रनौत बनाम जावेद अख्तर, नवंबर 2020 में, अनुभवी पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने रनौत के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज की, जिसमें दावा किया गया कि अभिनेत्री ने जुलाई 2020 में एक समाचार चैनल को दिए गए अपने साक्षात्कार में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत में उनका नाम घसीटकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया और उन्हें बदनाम किया है। रणौत ने अख्तर के खिलाफ मजिस्ट्रेट की अदालत में जवाबी शिकायत दर्ज करके आपराधिक धमकी और शीलता का अपमान करने का आरोप लगाया है।अभिनेत्री ने आरोप लगाया था कि 2016 में अपने आवास पर गीतकार के साथ मुलाकात के दौरान, उन्होंने उन्हें एक सह-कलाकार से माफ़ी मांगने की मांग करते हुए आपराधिक रूप से धमकाया था। मामला फिलहाल अदालत में लंबित है। सातवां विवाद, कंगना ने ‘मुंबई की तुलना पीओके से की’ थी। इसके कारण उसे महाराष्ट्र राज्य सरकार की नाराज़गी का सामना करना पड़ा। सितंबर 2020 में वे, शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के साथ तब विवादों में घिर गई थी, जब उन्होंने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से की थी और मुंबई पुलिस की आलोचना की थी। इसके बाद, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने बांद्रा के पाली हिल इलाके में उसके बंगले में “अवैध बदलाव” को ध्वस्त कर दिया था। आठवां ब्यान, सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद कंगना ने कहा कि बॉलीवुड में ‘हर कोई ड्रगी है व मादक पदार्थ का सेवन करता है”। वो खुद तो मादक व ड्रग्स का सेवन करती है, यह स्वयं उसने ही कहा है। अगस्त 2020 में, रनौत ने यह दावा करके मुसीबत मोल ले ली थी कि बॉलीवुड में 99 प्रतिशत लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं। सारांशार्थ यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारतीय जनता पार्टी, जो अपने को संस्कारी व मरमर्यादित मानती है, इस प्रकार की घिनौनी महिला को इतना महत्व क्यों दे रही है? कौन हैँ भाजपा में इसके माई बाप कि, इसे विशेष रूप से, मुंबई से बुला कर, हिमाचल प्रदेश की मंडी लोक सभा क्षेत्र का प्रत्याशी चुना गया। भाजपा नेताओं की पूरी फ़ौज मंडी चुनाव प्रचार में लगा दी गई। स्वयं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंडी में प्रचार किया। क्या विडंबनाओं से युक्तिसंगत है बीजेपी का यह महिला सशक्तिकरण का चित्रण है? अभी स्मृति ईरानी के बहुचर्चित बड़बोलेपन से राहत ही मिली थी, कि यह कंगना रनौत ने दिमाग़ खपाना शुरू कर दिया है। इस पर हमारे भारत देश की महिलाओं की प्रखर प्रतिक्रियाएं आई हैं। राजनीति में कंगना एक विषाक्त चापलूसी का प्रतिनिधित्व करती है ना कि राजनीत में महिलाओं को सशक्त करने का! यह महिला, राजनीतिक संवाद में गिरावट को अधिक महत्व दे रही है। क्या हो गया है, हमारे राजनेताओं को, इसका सभी को अंतरात्माक विवेचन करना चाहिए।
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, शिक्षाविद, सालिसिटर फाॅर ह्यूमन राइट्स, दूरदर्शन व्यक्तित्व व परोपकारक)