ललित गर्ग
एशिया का सबसे बड़ा एयर शो एयरो इंडिया के 14वें संस्करण में बेंगलुरु में स्थित येलहंका वायुसेना स्टेशन परिसर में भारत के दम, आत्मविश्वास, ताकत एवं आत्मनिर्भरता के बहुआयामी प्रदर्शन को देखकर कहा जा सकता है भारत सशक्त हो रहा है। युद्धक विमानों, रक्षा उपकरणों एवं तकनीक को प्रदर्शित करने वाली इस रक्षा प्रदर्शनी ने एक बार फिर यह इंगित किया कि भारत रक्षा क्षेत्र में भी एक बड़ी ताकत बन रहा है। इस आयोजन की महत्ता इससे समझी जा सकती है कि इसमें करीब सौ देशों की आठ सौ से अधिक कंपनियां भाग ले रही हैं। इनमें कई प्रमुख देशों की नामी कंपनियां हैं। सबसे बड़ी विशेषता एवं गर्व एवं गौरव करने की बात इससे बेहतर और कुछ नहीं कि रक्षा क्षेत्र की भारतीय कंपनियां इनसे होड़ ले रही हैं, बराबर का मुकाबला कर रही है। यह होड़ भारत के बढ़ते सामर्थ्य एवं रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को ही रेखांकित करती है, जो नये भारत एवं सशक्त भारत के निर्मित होने का संकेत है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एयरो इंडिया के उद्घाटन पर कहा कि मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि भारत में रक्षा क्षेत्र को मजबूती देने का सिलसिला आगे और भी तेज गति से बढ़ेगा। निश्चित ही देश अनुकूल एवं प्रभावी आर्थिक नीतियों के सहारे विश्व स्तर पर सैन्य साजोसामान के प्रमुख निर्यातकों में से एक बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो लगातार युद्ध की आशंकाओं को देखते हुए सुरक्षा एवं दुनिया की बड़ी सैन्य शक्ति बनने की ओर अग्रसर भारत की उजली एवं संतोषभरी तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है। पांच दिवसीय इस कार्यक्रम, ’द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटीज’ विषय पर एयरोस्पेस और रक्षा क्षमताओं में भारत की वृद्धि का प्रदर्शन भारत की नई ताकत और आकांक्षाओं को दर्शाता रहा है। भारत को दुनिया की सर्वोच्च आर्थिक महाशक्ति बनाने में उन्नत रक्षा सामग्री के निर्माण के लिए और अधिक ऊंचे लक्ष्य रखने होंगे ताकि उसका निर्यात करके अधिकाधिक विदेशी मुद्रा का अर्जन किया जा सके। इसी के साथ भारत की कोशिश यह भी होनी चाहिए कि आयातित युद्धक सामग्री पर निर्भरता कम से कम हो सके। इसकी पुष्टि एयरो शो का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री की ओर से दिए गए इस वक्तव्य से भी होती है कि भारत अगले कुछ वर्षों में अपने सैन्य साजो-सामान का निर्यात 1.5 अरब अमेरिकी डालर से बढ़ाकर पांच अरब अमेरिकी डालर करने की तैयारी कर रहा है। इस समय भारत लगभग 75 देशों को अपनी रक्षा सामग्री का निर्यात कर रहा है। उल्लेखनीय यह है कि भारत में निर्मित लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और अन्य रक्षा उपकरणों एवं तकनीक की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह रक्षा सामग्री के निर्माण में निजी कंपनियों की भागीदारी के चलते ही संभव हो सका है। अच्छा हो कि यह समझा जाए कि अन्य क्षेत्रों की तरह रक्षा क्षेत्र में भी निजी कंपनियों की भागीदारी कितनी आवश्यक है। इससे भारत का व्यापार भी उन्नत होगा एवं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार भारत में बने तेजस विमान और आईएनएस विक्रांत भारत की अनूठी एवं विलक्षण क्षमताओं के उदाहरण हैं। भारत ने पिछले आठ-नौ वर्षों में अपने रक्षा उत्पादन क्षेत्र का ’कायाकल्प’ किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि इक्कीसवीं सदी का नया भारत, अब नये अवसरों को तलाश कर उन्हें आकार देने में जुटा है। भारत विश्व की एक बड़ी ताकत बनने के लिये कमर कस चुका हैं। देश में हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं। अब तक हमारा देश पिछले कुछ दशकों से सबसे बड़ा रक्षा आयातक था, वो अब दुनिया के 75 देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है। बीते पांच वर्षों में देश का रक्षा निर्यात छह गुना बढ़ा है। रक्षा एक महत्वपूर्ण, चुनौतीपूर्ण एवं संवेदनशील क्षेत्र है जिसकी प्रौद्योगिकी को, जिसके बाजार को और जिसके व्यापार को सबसे जटिल माना जाता है। इसके बावजूद, भारत ने बीते 8-9 साल के भीतर-भीतर अपने यहां रक्षा क्षेत्र में ऐसे-ऐसे कीर्तिमान घटित किये हैं, देखकर संतोष ही नहीं हो, आश्चर्य भी होता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा एवं एयरोस्पेस के क्षेत्र में किए गए प्रयास भारत के लिए एक लांच पैड की तरह काम कर रहे हैं। रक्षा-शिल्पी के रूप में उन्होंने हर नयी संभावनाओं को तलाशा है और उसे यथार्थ में ढाला है। दुनिया की बड़ी रक्षा-शक्तियों से चर्चाओं एवं वार्ताओं के द्वारा भारत की ताकत से रू-ब-रू कराया है। भारत में रक्षा क्षेत्र में हर निवेश, भारत के अलावा, दुनिया के अनेक देशों में एक प्रकार से व्यापार-कारोबार के नए रास्ते बना रहा है, नयी संभावनाएं, नए अवसर सामने आ रहे हैं। ‘एयरो इंडिया’ की गगनभेदी गर्जना में भी भारत के नये सुधारों, उपलब्धियों, और परिवर्तनों की गूंज सुनकर हर हिन्दुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है। आज भारत में जैसी निर्णायक सरकार है, जैसी स्थायी नीतियां हैं, जैसी विकासमूलक सोच है, नीतियों में जैसी साफ नीयत है, वह अभूतपूर्व है, अनूठी है। आखिर भारत को परम वैभव, शक्ति-सम्पन्नता, आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी दर्शन के पथ पर ले जाने, समर्थ एवं शक्तिशाली बनाने की स्थितियां नये भारत बनने का स्पष्ट उद्घोष है।
मेरा भारत महान् बनने की ओर अग्रसर है। लेकिन महानता के लिये सतत जागरूकता, प्रयास, जिजीविषा, नयी सोच एवं कर्म जरूरी होते हैं। रक्षा क्षेत्र में स्वावलम्बी बनने के लिये भारत को एक साथ दो मोर्चों पर काम करने की आवश्यकता है। एक तो परंपरागत हथियारों के निर्माण में उसे और अधिक सक्षम होना होगा और दूसरे, आधुनिक तकनीक से लैस युद्धक सामग्री तैयार करने में भी महारत हासिल करनी होगी। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि भविष्य के युद्ध परंपरागत हथियारों से कम, आधुनिक तकनीक आधारित उपकरणों से अधिक लड़े जाएंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध ने यदि कुछ स्पष्ट किया है तो यही कि आने वाले समय में उन्हीं देशों की सैन्य शक्ति श्रेष्ठ मानी जाएगी, जो आधुनिक तकनीक और विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित रक्षा उपकरणों से लैस होंगे। इस दृष्टि से भारत को अभी लम्बी यात्रा करनी है। भारत के पास कुछ ऐसे भी आधुनिक उपकरण होने चाहिए, जैसे किसी और के पास न हों। स्पष्ट है कि रक्षा उपकरण और तकनीक विकसित कर रहीं भारतीय कंपनियों को शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में विशेष काम करना होगा। जैसी उन्नत युद्धक सामग्री अमेरिका एवं इजरायल की रक्षा कंपनियां बना रही हैं, वैसी ही भारतीय कंपनियों को भी बनानी होगी और उनकी गुणवत्ता के मामले में उदाहरण पेश करना होगा।
आजादी के अमृत काल में भारत एक क्षेत्रीय अधिशक्ति (रीजनल सुपर पावर) बनने के साथ विश्व की बड़ी ताकत बनने की ओर अग्रसर है। एयरो इंडिया में प्रदर्शित रक्षा ताकत से भारत के निवासी ही चकित नहीं हुए, बल्कि देश के दोस्त-दुश्मन दोनों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। निश्चित ही ”मेरा भारत महान्“ है। नये भारत को निर्मित करते हुए कुछ स्मृतियां एवं कुछ स्वप्न हर भारतवासी के दिमाग में एक साथ उभरते हैं। जो बीत गया। जो आने वाला है। स्मृतियां सदैव मीठी होती हैं, स्वप्न सदैव आशावादी होते हैं। पर वर्तमान से कोई कभी सन्तुष्ट नहीं होता। लेकिन वर्तमान सरकार ने वर्तमान से संतुष्ट होने की स्थितियां निर्मित की है। हम स्वर्ग को जमीन पर नहीं उतार सकते, पर अपनी कमियों से तो लड़ अवश्य सकते हैं, यह लोकभावना, प्रशासन भावना एवं राजनीतिक भावना जागे। महानता की लोरियाँ गाने से किसी राष्ट्र का भाग्य नहीं बदलता, बल्कि तन्द्रा आती है। इसे तो जगाना होगा, भैरवी गाकर। रक्षा क्षेत्र में हो रहे नये-नये प्रयोग हमारे जागने की स्थिति को दर्शा रहे हैं। महानता को सिर्फ छूने का प्रयास जिसने किया वह स्वयं बौना हो गया और जिसने संकल्पित होकर स्वयं को ऊंचा उठाया, महानता उसके लिए स्वयं झुकी है। एयरो इंडिया जैसे प्रदर्शनों से जाहिर हो रहा है कि हमारे संकल्पों एवं प्रयत्नों को देखते हुए महानता नतमस्तक हो रही है। ऐसे प्रदर्शन वो खिड़की है जो केवल ताजी हवा का ही अहसास नहीं करा रही है, बल्कि दुनिया को भारत की ताकत का भी अहसास करा रही है, नए भारत के नये दृष्टिकोण को भी प्रतिबिंबित कर रही है। बेंगलुरु का आसमान आज नए भारत के सामर्थ्य का साक्षी बना है, इस साक्षीभाव को जीवंत करते हुए इस बात की गवाही दे रहा है कि नयी ऊंचाई, नए भारत की सच्चाई है। आज देश नयी ऊंचाइयों को छू भी रहा है और उन्हें पार भी कर रहा है।