मुस्लिम संगठनों के माफी मांगने के बाद उतर गया धार्मिक सियासत करने वाले सियासतदानों का चेहरा

रविवार दिल्ली नेटवर्क

लखनऊ। अवैध संपत्तियों पर गरजता बुलडोजर और धार्मिक स्थलों में बजता ये लाउडस्पीकर इन दिनों उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी बहस का मुद्दा बना हुआ है। सरकार ने अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर क्या चलाना शुरु किया। विरोधियों के सीने पर सांप लोटने लगे। मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया और मुसलमानों को लगा कि इस्लाम खतरे में आ गया है। इसी बीच कुछ मुस्लिम संगठनों ने कई बयान जारी कर प्रदेश फिजाओं में बह रही शांति की बयार को गर्म हवाओं के थपेड़ों में बदलने का काम शुरु कर दिया। लेकिन कल तक जो मुस्लिम संगठन बड़े-बड़े बयानवीर बने घूम रहे थे, वही आज पत्र जारी कर यह कहते फिर रहे हैं कि उनके बयानों को तोड़ मरोड़कर पेश किया जा रहा है।

हाल ही में अपने जहरीले बयानों के लिए कुख्यात मौलाना तौकीर रजा ने धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देते हुए बुलडोजर और लाउडस्पीकर विवाद पर मोदी सरकार को चेतावनी तक दे डाली। उन्होंने कहा है कि भारत में महाभारत होने से कोई नहीं रोक सकता। देश एक बार फिर बंटवारे की ओर जा रहा है। ये बयान मीडिया में आया तो जनता ने इनके बयानों को नकारने के काम शुरु कर दिया। जनता ने बयानों ने नकारा तो मुस्लिम संगठनों ने अपनों बयानों पर माफी मांगना शुरु कर दी। कई मुस्लिम संगठनों ने अपने इस विभाजनकारी बयान से किनारा कर लिया। इस पर कई मौलानाओं ने बकायादा एक पत्र जारी कर कहा कि मीडिया ने हमारे बयानों को तोड़ मरोड़कर पेश करने का काम किया है। हमने हमेशा से वतन में अमन शांति का माहौल बनाए रखने की बात कही है।

इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने हाल ही में दिए अपने एक बयान को मीडिया द्वारा गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया है। मोहतमिम नोमानी के मुताबिक उनके द्वारा अपने बयान में आत्मरक्षा (सेल्फ डिफेंस) के लिए पूरी हिम्मत और ताकत दिखाने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से अमन शांति, एकता और भाईचारे के पक्षधर रहे हैं। वहीं इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल ( आईएमसी) के मीडिया प्रभारी मुनीर इदरीसी ने पत्र जाहिर कर मीडिया पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि हमारे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। साथ ही हमारी छवि खराब करने का काम किया गया है।

जाहिर है मुस्लिम संगठनों के माफी मांगने के बाद से ही धार्मिक सियासत करने वाले सियासतदानों का चेहरा उतर गया है। इसके साथ ही जिन लोगों ने दिल्ली से लेकर यूपी तक धमकी भरे बयानों से माहे रमजान के पाक महीने को मई-जून की गर्मी बनाने की कोशिश की थी। उनकी ये सियासी तपिश पर पानी फिर गया है। यही नहीं देश की राजधानी में इन बयानों से भले ही दंगों की तस्वीर निकली हो लेकिन उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस की नीति का ही असर दिखा कि यहां दंगा करने की किसी में हिम्मत नहीं थी।