
सुनील कुमार महला
जापान, पूर्वी एशिया में स्थित एक द्वीपसमूह देश है, जो प्रशांत महासागर में स्थित है । यह देश 6,852 द्वीपों से मिलकर बना है, जिनमें होक्काइडो, होंशू, शिकोकू, क्यूशू और ओकिनावा मुख्य द्वीप हैं।अपनी शक्तिशाली अर्थव्यवस्था, उन्नत प्रौद्योगिकी व नवाचारों, दुनिया के सबसे बड़े वाहन निर्माताओं में से एक, और जिसकी ट्रेनें दुनिया में सबसे सटीक समय पर चलने वाली मानी जाती है तथा जो अपनी अद्वितीय व अनूठी संस्कृति के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध रहा है; ऑटोमोबाइल, रोबोटिक्स,इलेक्ट्रॉनिक्स, विनिर्माण, और शिक्षा के क्षेत्र में जापान आज एक वैश्विक नेता है। हाल ही में जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (एनआईसीटी) के रिसर्चर्स ने 1.02 पेटाबिट्स(पेटाबाइट) प्रति सेकेंड की अविश्वसनीय इंटरनेट स्पीड हासिल करके विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है,जो अपने आप में एक मिसाल है।जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (एनआइसीटी) ने सुमितोमो इलेक्ट्रिक और यूरोपीय पार्टनर के साथ मिलकर यह रिकॉर्ड बनाने वाली उपलब्धि हासिल की है। उनके यूनिक 19 कोर ऑप्टिकल फाइबर केबल ने 1,808 किलोमीटर से ज्यादा की दमदार स्पीड से डाटा ट्रांसमिट किया, जो कि करीब लंदन से रोम की दूरी के बराबर है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 1.02 मिलियन गीगाबाइट (जीबी) डाटा एक सेकंड में डाउनलोड किया गया है। यह स्पीड इतनी ज्यादा है कि इसके बारे में सोच पाना भी मुश्किल है।
जापान की इस तकनीक को वैश्विक रूप से डाटा ट्रांसफर, स्ट्रीमिंग और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में एक उज्जवल भविष्य के रूप में देखा जा रहा है। पाठकों को बताता चलूं कि जापान की लेटेस्ट इंटरनेट नेटवर्क की स्पीड 1.02 पेटाबाइट पर सेकंड है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह करीब 10 लाख जीबी पर सेकेंड के बराबर है। यह इंटरनेट स्पीड इतनी फास्ट है कि इस स्पीड का इस्तेमाल करके कुछ ही सेकंड्स में फिल्म ही नहीं, बल्कि पूरी की पूरी लाइब्रेरी तक डाउनलोड की जा सकती है। वास्तव में, जापान की यह उपलब्धि डेटा ट्रांसमिशन तकनीक में एक महत्वपूर्ण व बड़ा कदम है।जापान की यह स्पीड अमेरिका की एवरेज इंटरनेट स्पीड से 3.5 गुना है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह स्पीड अमेरिका के औसत इंटरनेट कनेक्शन से 35 लाख गुना ज्यादा है। भारत की औसत इंटरनेट गति से यह 1.6 करोड़ गुना तेज बताई जा रही है। रिसर्चर्स के अनुसार इतनी स्पीड से 1.27 लाख साल की म्यूजिक लाइब्रेरी या एक साथ 1 करोड़ 8K वीडियो भी स्ट्रीम किए जा सकते हैं।यानी 10 लाख GB प्रति सेकेंड के हिसाब से यह स्पीड मिलेगी,जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। आज भारत जैसे देश में बफरिंग, नेटवर्क डाउन और स्लो इंटरनेट एक बड़ी समस्या है, ऐसे में जापान द्वारा हाइ स्पीड इंटरनेट तकनीक का विकास आने वाले समय में 6G नेटवर्क, क्लाउड सिस्टम्स, अंडरसी डेटा केबल्स और एआई जैसे उभरते क्षेत्रों में नई क्रांति लेकर आएगा। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि जापान ने सिंगल कोर के बजाय 19 कोर ऑप्टिकल फाइबर सिस्टम व उन्नत एम्प्लीफायर तकनीक की मदद से इतनी तेज इंटरनेट स्पीड को हासिल करने में सफलता मिली है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इन स्पेशल केबल का इस्तेमाल कर शोधकर्ताओं की टीम ने बिना किसी स्पीड लॉस के 1800 किलोमीटर से भी अधिक की दूरी तक भारी मात्रा में डेटा भेजने में सक्षम रही है। उन्होंने ट्रांसमीटर, रिसीवर और लूपिंग सर्किट के सेटअप का उपयोग किया जिससे डेटा फुल पॉवर से फ्लो रखने में मदद मिली।इस ऐतिहासिक उपलब्धि का अर्थ है कि एक सेकंड में 10,000 से अधिक 4K फिल्में डाउनलोड की जा सकती हैं। गौरतलब है कि मार्च 2024 में भी जापान ने ही 402 टेराबिट्स प्रति सेकंड (यानी 50,250 जीबीपीएस) की स्पीड का रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन इस बार नई तकनीक ने इस आंकड़े को दोगुना से अधिक कर दिया। कहना ग़लत नहीं होगा कि जैसे-जैसे एआइ, 8K स्ट्रीमिंग, क्लाउड गेमिंग और ऑगमेंटेड रियलिटी जैसे सेक्टर आगे बढ़ेंगे, ऐसे ब्रेकथ्रू तकनीकों की जरूरत और भी बढ़ेगी। वास्तव में यह तकनीक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) और वैश्विक डिजिटलीकरण की बढ़ती मांगों को पूरा करने में मदद करेगी। ज्यादा तेज इंटरनेट, ज्यादा तेज विकास भी लेकर आएगा। स्मार्ट सिटी, रिमोट हेल्थ केयर और ऑनलाइन शिक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। गौरतलब है कि इंटरनेट की स्पीड के मामले में भारत टॉप-10 के देशों में भी शामिल नहीं है। यहां पर मोबाइल इंटरनेट स्पीड 100.78 एमबीपीएस है। जबकि, एवरेज ब्रॉडबैंड स्पीड 63.55 एमबीपीएस है। वास्तव में यह स्पीड विश्व के बाकी देशों के मुकाबले काफी कम है। पाठकों को बताता चलूं कि दुबई इंटरनेट की स्पीड के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर, तथा हॉन्गकॉन्ग तीसरे नंबर पर, फ्रांस चौथे नंबर पर तथा आइसलैंड पांचवें नंबर पर आता है, जहां इंटरनेट की स्पीड क्रमशः 318.63 एमबीपीएस, 312.60 एमबीपीएस, 308.01एमबीपीएस तथा 306.22एमबीपीएस है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि जापान ने अपने तकनीकी नवाचार से ग्लोबल डिजिटल डिफरेंस को भी उजागर किया है। आज एआइ का दौर है, दुनिया में ज्यादातर कामकाज इंटरनेट, तकनीक से किए जा रहे हैं।आने वाले समय में इंटरनेट व तकनीक का उपयोग निश्चित ही और अधिक बढ़ेगा, ऐसे में जापान की इंटरनेट स्पीड से जापान के साथ ही साथ दुनिया के अन्य देशों को भी इसके लाभ मिल सकेंगे। आने वाले समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 6जी नेटवर्क, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी उभरती तकनीकों के लिए अत्यधिक डाटा ट्रांसमिशन की जरूरत होगी। जापान की यह तकनीक इन जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, यह तकनीक अभी प्रयोगशाला तक ही सीमित है, और इसे आम उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जाने में वक्त लगेगा, लेकिन भविष्य की इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिहाज से यह एक मजबूत नींव तो रखती ही है। कहना ग़लत नहीं होगा कि इतनी तेज इंटरनेट स्पीड को अपनाने में भी मनुष्य को अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मसलन, इस तकनीक को आम जनता तक पहुंचाने के लिए भारी निवेश की जरूरत होगी। सच तो यह है कि इसके लिए मल्टी-कोर फाइबर और नए हार्डवेयर की जरूरत है। साथ ही, इसे किफायती और स्टेबल बनाना भी एक बड़ी चुनौती है।जापान की यह उपलब्धि हमें भी अपनी इंटरनेट गति को बढ़ाने की जरूरत की याद दिलाती है। आज भारत लगातार डिजिटाइजेशन की ओर बढ़ रहा है। पाठकों को बताता चलूं कि 1 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए डिजिटल इंडिया का उद्देश्य डिजिटल बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना और तकनीक के माध्यम से सरकारी सेवाओं में सुधार करना है। यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने, कैशलेस लेनदेन को प्रोत्साहित करने और बेहतर पारदर्शिता और दक्षता के लिए ई-गवर्नेंस सुनिश्चित करने पर केंद्रित है, लेकिन आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में उतनी इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है, जितनी की होनी चाहिए। आज भी भारतीय ग्रामीण व दूर-दराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी और 5जी नेटवर्क का विस्तार काफी चुनौतियों से भरा है। इंटरनेट शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक विकास के लिए नए अवसर खोल सकता है। डिजिटल इंडिया रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहा है और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच डिजिटल अंतर को पाट रहा है । इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ने से अनेक प्रकार के अवसर देश में पैदा होंगे। स्मार्ट सिटी, टेलीमेडिसिन और ऑनलाइन शिक्षा पद्धति जैसी पहलें तेज और विश्वसनीय इंटरनेट के बगैर अधूरी हैं। इंटरनेट स्पीड बढ़ेगी तो डिजिटल इंडिया को गति मिलेगी और डिजिटल इंडिया से रोज़गार के अवसर बढ़ने, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने और बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण की उम्मीद है।सच तो यह है कि तेज़ इंटरनेट स्पीड के कई फायदे हैं, जिनमें बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव, बढ़ी हुई उत्पादकता, बेहतर ऑनलाइन गेमिंग और स्ट्रीमिंग, और बेहतर दूरस्थ कार्य और संचार आदि शामिल हैं। अंत में यही कहूंगा कि आज जरूरत इस बात की है कि हम अपने देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाएं और तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास को प्रोत्साहित करें।हाई-स्पीड इंटरनेट नेटवर्क की मौजूदगी सभी की उत्पादकता बढ़ा सकती है।सुचारू इंटरनेट कनेक्शन से कार्य कुशलता भी बढ़ती है, क्योंकि सभी कार्य आसानी से और तेज़ी से किए जा सकते हैं। न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी, व्यावसायिक पहुँच बढ़ाने के लिए हाई-स्पीड इंटरनेट ज़रूरी है। कहना ग़लत नहीं होगा कि इस डिजिटल युग में, इंटरनेट लगभग सभी के लिए एक बुनियादी ज़रूरत बन गया है।उत्पादकता बढ़ाने के अलावा, हाई-स्पीड इंटरनेट नेटवर्क विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार विकास को भी बढ़ावा देते हैं। अतः इस क्रम में हमें जरूरत इस बात की है कि हम वैश्विक सहयोग को मजबूत करें, ताकि हम भी जापान जैसी तकनीकी क्रांति का हिस्सा बन सकें और अपने देश को लगातार ऊंचाइयों व उन्नयन की ओर अग्रसर कर सकें।