आठ साल बाद रियल एस्टेट क्षेत्र ने बनाया रिकॉर्ड; घरों की बिक्री 54 फीसदी बढ़ी

उमेश जोशी

कुछ घंटों बाद विदा हो रहे वर्ष 2022 में रियल एस्टेट बाजार कीमत और माँग के बीच पारंपरिक संबंध को दरकिनार करते हुए अनोखी चाल चला है। आवास ऋण दरों में वृद्धि के बाद रियल एस्टेट बाजार में मंदी आनी चाहिए थी लेकिन इसका उलट हुआ। बाजार ना गिरा, ना थमा बल्कि तेज रफ्तार से आगे बढ़ा है। इस साल सात बड़े शहरों में आवासीय घरों की बिक्री में 54 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। इन शहरों में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगरीय क्षेत्र (एमएमआर), चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे शामिल हैं।

देश के बड़े शहरों के 2022 के मांग-आपूर्ति के आंकड़ों के मुताबिक कोविड महामारी के बाद घरों की मांग बढ़ी; साथ ही उत्पादन लागत में भी बढ़ोतरी हुई। लागत बढ़ने से आवासीय संपत्तियों के दाम चार से सात प्रतिशत तक बढ़ गए। दाम बढ़ने के बाद संपत्तियों की माँग गिरनी चाहिए थी। अर्थशास्त्र का तो यही नियम है- जब दाम बढ़ते हैं तो माँग गिरती है। लेकिन देश के संपत्ति बाजार ने इस नियम के विपरीत रंग दिखाए हैं यानी एक अपवाद की स्थिति बनी है। दाम बढ़ने के साथ-साथ होम लोन पर ब्याज दरों में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने मई से दिसंबर 2022 के बीच पाँच बार रेपो रेट बढ़ाई। इस अवधि में रेपो रेट में 190 बेसिस पॉइंट्स की संचयी वृद्धि हुई जिससे रेपो रेट 5.90 प्रतिशत से बढ़कर 6.25 प्रतिशत हो गया। दाम वृद्धि और महंगे होम लोन के बावजूद सात बड़े शहरों में संपत्ति बिक्री में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। प्रमुख सात शहरों में 2021 में 2,36,500 इकाइयों की तुलना में इस साल आवासीय इकाइयों की बिक्री 54 प्रतिशत बढ़कर 3,64,900 इकाई हो गई। इससे पहले 2014 में रिकॉर्ड बना था। तब 3.43 लाख घरों की बिक्री हुई थी।

मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) 1,09,700 घरों की बिक्री के साथ अव्वल रहा। एमएमआर बाजार में इस वर्ष 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। बीते वर्ष 2021 कैलेंडर वर्ष में 76,396 इकाइयों की बिक्री हुई थी।

दिल्ली-एनसीआर दूसरे नंबर पर है। आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में घरों की बिक्री 2022 में 59 प्रतिशत बढ़कर 63,712 इकाई हो गई जो 2021 में 40,053 इकाई थी।

आँकड़े बताते हैं कि पुणे में 2021 में 35,975 घरों की बिक्री हुई थी जो 2022 में 59 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 57,146 इकाई हो गई। बेंगलुरु में आवासीय घरों की बिक्री में 50 फीसदी इजाफा हुआ है। 2021 में 33,084 इकाइयों के मुकाबले 2022 में 49,478 इकाई हो गई।

प्रतिशत के हिसाब से बाजार को आँका जाए तो हैदराबाद अव्वल है। वहाँ आवासीय संपत्तियों की बिक्री 2022 में 87 प्रतिशत बढ़कर 47,487 इकाई हो गई, जो पिछले साल 25,406 इकाई थी। चेन्नई में आवासीय संपत्तियों की बिक्री 12,525 इकाइयों से 29 प्रतिशत बढ़कर 16,097 इकाई हो गई।

कोलकाता के संपत्ति बाजार में बिक्री इस साल 62 फीसदी बढ़कर 21,220 इकाई रही, जो पिछले साल 13,077 इकाई थी।
आपूर्ति के ताजा आँकड़ों के अनुसार इन सात शहरों में 2022 में नई लॉन्च की गई इकाइयों की संख्या 3,57,600 है जो 2021 में 2,36,700 यूनिट थी। इस हिसाब से 51 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

रियल एस्टेट पर पैनी नजर रखने वालों का कहना है कि संपत्ति की बढ़ती कीमतों और ब्याज दरों में बढ़ोतरी जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आवासीय रियल एस्टेट के लिए 2022 एक यादगार वर्ष रहा है। हालांकि वर्ष 2022 के शुरू में अनुमान लगाया गया था कि दूसरी छमाही में संपत्ति की लागत और ब्याज दरों में वृद्धि का आवासीय बिक्री पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन यह अनुमान गलत साबित हुआ।

रियल एस्टेट क्षेत्र 2013-14 से कठिन दौर से गुजर रहा था लेकिन वर्ष 2022 रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष साबित हुआ है। इसकी कई वजह हैं। कोविड-19 की समाप्ति के बाद लोगों ने बड़ी राहत की साँस ली; आय के साधन बढ़ने लगे इसलिए बड़े घरों की ओर रुझान बढ़ने लगा।

मकानों के किराये में वृद्धि के कारण भी घरों की बिक्री बढ़ी है। लोग किराये पर घर लेने के बजाय होम लोन लेकर किराये की रकम के बराबर या थोड़ी अधिक रकम देकर ईएमआई चुकाना मुनाफे का सौदा मानने लगे हैं। बैंकों की होम लोन देने की नीति भी अब जटिल नहीं रही। असानी से होम लोन मिल जाता है।

दिल्ली में रियल एस्टेट के एक कारोबारी ने बताया कि सरकारी नीतियों का दुरुपयोग करने की नीयत रखने वाले ज्यादातर लोग होम लोन लेकर घर खरीद रहे हैं। मान लो, 40 लाख का घर है। उसमें 10 लाख देकर घर ले लेते हैं। 30 लाख का होम लोन ले लेते हैं। साल-छह महीने ईएमआई भरते हैं; उसके बाद नदारद हो जाते हैं। बाद में बैकों से ब्याज माफ करवा कर सैटलमेंट कर लेते हैं।
हाल में छोटे शहरों में भी संपत्ति में तेजी देखी जा रही है। कई राज्यों ने लैंड यूज़ (ज़मीन का उपयोग) के नियम सरल बना दिए हैं इसलिए अब कृषि भूमि को आवासीय भूमि में तब्दील करवा कर बिल्डर कॉलोनी बना रहे हैं। कृषि भूमि जिस दाम पर बिकती थी वो लैंड यूज़ बदलने के बाद कई गुणा दाम पर बिक रही है। इस नीति से नई इकाइयों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। उन इकाइयों पर बैंक से लोन लेना बहुत आसान हो गया है।

राजकोषीय स्थिति में सुधार के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में 7 प्रतिशत या उससे अधिक बढ़ने की संभावना है। अनुमान लगाया जा सकता है कि लक्जरी घरों और अच्छी संपत्ति की मांग ब्याज दरों या मूल्य में वृद्धि की परवाह किए बिना स्थिर रहेगी। 2022 के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि यह बाजार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित है; रियल एस्टेट क्षेत्र हाल के वर्षों में जबरदस्त वृद्धि हुई है और आने वाले वर्षों में भी वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है। रिपोर्टों के मुताबिक, भारत का रियल एस्टेट बाजार 2023 में 13 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। यह वृद्धि बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती आय और बढ़ते शहरीकरण के कारण होगी।