सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी में बुलडोजर पर सियासी घमासान, सपा और भाजपा आमने-सामने

After Supreme Court's decision, political conflict over bulldozers in UP, SP and BJP face to face

अजय कुमार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर के इस्तेमाल संबंधी आदेश के बाद सियासी माहौल गर्मा गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति पर आरोपित होने के बावजूद उसके निर्माण को बुलडोजर से गिराना उचित नहीं है, और ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, अदालत ने पुराने अवैध निर्माण और अतिक्रमण को अलग रखा है और इस पर कार्रवाई की अनुमति दी है।

इस आदेश के बाद राज्य की राजनीति में तकरार बढ़ गई है। समाजवादी पार्टी ने इस आदेश के बाद आरोप लगाया कि बुलडोजर की कार्रवाई का असल निशाना मुसलमानों को बनाया गया था। सपा प्रवक्ता अमीक जामई ने कहा कि पहले माफिया और अपराधियों पर बुलडोजर चलाने का दावा किया गया, लेकिन अब यह कार्रवाई मुसलमानों के खिलाफ हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों जैसे अकबरनगर में बुलडोजर चलाकर लोगों के घर तोड़े गए, जबकि इनके खिलाफ कोई ठोस अपराधीकरण नहीं था। सपा ने मांग की है कि बुलडोजर एक्शन के शिकार हुए लोगों को 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। पार्टी ने कहा कि यदि सरकार कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करती है, तो वे पीड़ितों के साथ खड़े होकर न्याय की लड़ाई लड़ेंगे।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। भाजपा विधि प्रकोष्ठ के नेता प्रशांत सिंह अटल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई पर कोई रोक नहीं लगाई है। उन्होंने बताया कि कोर्ट का आदेश केवल यह है कि इस प्रकार की कार्रवाई नियमों और मानकों के तहत की जाए। लखनऊ विकास प्राधिकरण को यह अधिकार है कि वह अवैध निर्माण पर कार्रवाई करे, बशर्ते यह पूरी तरह से कानून के तहत हो।

इस तरह से, सुप्रीम कोर्ट का आदेश उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई के कानूनी पहलुओं को लेकर एक नई बहस का कारण बना है। जबकि विपक्ष इसे उत्पीड़न का एक नया तरीका मानता है, सत्ताधारी पक्ष इसे कानून-व्यवस्था के तहत जरूरी कार्रवाई मानता है।