गोपेंद्र नाथ भट्ट
राजस्थान में विभिन्न दलों के उम्मीदवारों के लिए एग्जिट पोल्स के बाद शनिवार की रात कत्ल की रात की तरह बहुत भारी पड़ने वाली है। तीन दिसम्बर रविवार को सुबह ईवीएम मशीने खुलने तक हर उम्मीदवार का दिल धक-धक करता रहेगा।विशेष कर काँटे की टक्कर वाली विधान सभा सीटों के चुनाव परिणाम पर हर किसी की नजर लगी हुई हैं।
राजस्थान में इस बार कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों की धड़कने इसलिए अधिक बढ़ गई है क्योंकि विभिन्न एग्जिट पोल्स ने दोनों दलों के मध्य लगभग बराबर की अथवा उन्नीस-बीस की टक्कर बताई है।
एग्जिट पोल्स में सबसे सटीक परिणाम देने का दावा करने वाले आज तक एक्सिस माय के राजस्थान के बारे में अपने सर्वे में कांग्रेस को सबसे अधिक 26 सीटें ढूँढाड़-जयपुर में मिलने का अनुमान बताया है जबकि भाजपा को यहाँ 17 सीटें मिलने का अनुमान है। पिछलें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहाँ 25 सीटें मिली थी जबकि भाजपा को 12 सीटें ही मिली थी। इस प्रकार दोनों दलों की सीटें इस अंचल में बढ़ने की उम्मीद हैं। सर्वे के अनुसार प्रदेश के हाड़ौती अंचल में इस बार कांग्रेस की सीटें पिछलें चुनाव में मिली 15 सीटें से घट कर 12 सीटें होने का अनुमान है जबकि भाजपा की पिछलीं 4 सीटों से बढ़ कर इस बार 7 सीटें होने का अनुमान है।इसी प्रकार अहीरवार-मेवात में भी कांग्रेस की सीटें पिछलें चुनाव में मिली 12 सीटों से घट कर 10 सीटें होने का अनुमान है जबकि भाजपा की 3 सीटों से बढ़ कर 9 सीटें होने का अनुमान है।कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले शेखावाटी अंचल में भी कांग्रेस की अनुमानित 6 सीटों के मुक़ाबले भाजपा को 11 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।सर्वे में मारवाड़-गोडवाड़ में भी इस बार पिछली बार से उलट भाजपा को 20 और कांग्रेस को 18 सीटें मिलने का अंदाज़ा लगाया गया है।इसके अलावा जैसलमेर-बीकानेर अंचल में भाजपा की सीटें 8 से घट कर 6 तथा कांग्रेस को 11 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है जबकि मेवाड़-वागड़ अँचल में पिछलें विधान सभा चुनाव की भाँति यथा स्थिति रहने तथा भाजपा को 20 सीटें और कांग्रेस को 12 सीटें मिलने का अनुमान है। हालाँकि राजस्थान के सन्दर्भ में अधिकांश सर्वेक्षणों के एग्जिट पोल्स ने चुनाव परिणामों में कांग्रेस के मुक़ाबलें भाजपा की बढ़त दिखाई गई है लेकिन उसमें भी करीब 29 सीटें ऐसी बताई गई जिनमें कड़ा मुक़ाबला बताया गया है और इन सीटों के चुनाव परिणाम कांग्रेस और भाजपा किसी भी दल के पक्ष में पलड़ा भारी कर सकते है।
राजनीतिक पण्डितों का भी मानना है कि भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) और बीटीपी वागड़ अंचल की सीमाओं से आगे बढ़ कर अब मेवाड़ अंचल में भी कुछ सीटों के समीकरण बिगाड़ रही है।इसी प्रकार मारवाड़ अंचल में आरएलपी और माकपा भी ऐसा ही कर रहें हैं।पूरे प्रदेश में निर्दलीय भी भाजपा एवं कांग्रेस के वोटों में सेंधमारी करने से नही चुक रहें हैं।
प्रदेश में सरदारपुरा, टोंक, झालरापाटन, नाथद्वारा, तारा नगर, लक्ष्मण गढ़, टोंक, पोकरण, तिजारा,सवाई माधोपुर, नोखा, सादुल शहर, भादरा,सादुल पुर, नागौर, डीडवाना,बीकानेर पूर्व एवं पश्चिम, कोलायत, खण्डेला, मंडावा, धोंद,चोमूं, शाहपुरा, जयपुर जिले की आमेर, झोटवाड़ा,विद्याधर नगर, सिविल लाइन, हवा महल, किशनपोल,आदर्श नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बस्सी, बानसूर के साथ ही राजगढ़, दौसा, भरतपुर, बयाना, हिंडौन, सपोटरा, अजमेर उत्तर एवं दक्षिण,केकडी,किशन गढ़, डीडवाना, खीवसर, शाहपुरा, औसिंया, शिव, बाड़मेर, बायतूँ, सिवाना, सिरोही, धरियावाद, डूंगरपुर,चौरासी, सागवाडा, बाँसवाड़ा, बागीदौरा, उदयपुर, धरियावाद, चितौड़गढ़ आदि विधान सभा सीटों के चुनाव परिणाम पर सभी की नज़रें हैं।
देखना होंगा कि तीन दिसम्बर को आने वाला विधान सभा चुनाव परिणाम राजस्थान की राजनीति में क्या उलट फेर करेगा?