दीप्ति अंगरीश
भारत इस वर्ष जी20 की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जहां भी आयोजन हो रहे हैं, उसमें पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। देश ही नहीं, पूरी दुनिया को पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत की ओर से आह्वान किया जा रहा है। ऐसे में ऐतिहासिक नगरी आगरा और फतेहपुर सीकरी आने वाले पर्यटकों के लिए ग्रीन बस और ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था की गई है। इसकी शुरुआत की जा चुकी है। औपचारिक शुरुआत होनी है। कर्टेन रेजर के तहत आगरा के कमिश्नर अमित कुमार ने हाल ही में ग्रीन बस को हरी झंडी दिखाई। लोगों में काफी उत्साह दिखा।
मेरे लिए सुखद अनुभव यह कर्टेन रेजन के दिन इस ग्रीन बस की सवारी की। मुहब्बत की निशानी ताज और उसके पूर्वी गेट पर बने नेचर पार्क से ग्रीन बस को आगरा के कमिश्नर अमित कुमार ने हरी झंडी दिखाई। इस बस का संचालन आगरा प्रशासन के सहयोग से हजरत सलीम चिश्ती फाउंडेशन कर रहा है। पहली यात्रा में हमारे साथ विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले करीब दो दर्जन गणमान्य लोग साथ रहे। सबसे खास यह भी रहा कि हजरत सलीम चिश्ती फाउंडेशन के सचिव अरशद फरीदी और दीपक शर्मा भी साथ रहे। जिस प्रकार से बस में हरेक व्यक्ति की सुविधाओं का ध्यान रखा गया। फतेहपुर सीकरी पहुंचने के बाद बादशाही गेट पर जिस प्रकार से सभी का स्वागत हुआ और पूरा सम्मान दिया गया, वह सभी पर्यटकों के लिए बेहद खास अनुभव रहा।
असल में, हाल के वर्षों में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर प्रबुद्ध वर्ग और सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले पर्यावरण की बात कर रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल आगरा और फतेहपुर सीकरी के बीच पर्यटकों के लिए एक नई शुरुआत की जा रही है। हज़रत सलीम चिश्ती फाउंडेशन और आगरा प्रशासन ने ग्रीन कॉरिडोर की कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया है। हज़रत सलीम चिश्ती फाउंडेशन के सचिव अरशद फरीदी का कहना है कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए भारत हमेशा ही पूरी दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत करता रहा है। वैश्विक मंचों पर एक नहीं, कई बार भारत सरकार की ओर से इसको लेकर प्रतिबद्धता दोहराई गई है। इस वर्ष भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रतिबद्धता दोहराते रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि जी-20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक बड़ा अवसर बनकर आई है। हमें इस मौके का पूरा उपयोग करते हुए विश्व कल्याण पर ध्यान केंद्रित करना है। चाहे शांति हो या एकता, पर्यावरण को लेकर संवेदनशीलता हो या फिर टिकाऊ विकास, भारत के पास इनसे जुड़ी चुनौतियों के समाधान हैं। हमने वन अर्थ (एक पृथ्वी), वन फैमिली (एक परिवार), वन फ्यूचर (एक भविष्य) का जो नारा दिया है, वह वसुधैव कटुम्बकम के प्रति हमारे संकल्प को प्रदर्शित करता है।
अरशद फरीदी ने कहा कि आगरा-फतेहुपर सीकरी कॉरिडोर दुनिया के सात आश्चर्यों में शुमार आगरा का ताजमहल पूरी दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। इसकी भव्यता स्वयंसिद्ध है। यहां जितने भी पर्यटक आते हैं, उनमें से अधिकतर फतेहपुर सीकरी जाते हैं। कई मथुरा-वृंदावन धाम की यात्रा भी करते हैं। ताजमहल से लेकर फतेहपुर सीकरी में हजरत सलीम चिश्ती के दरगाह तक ग्रीन कॉरिडोर बनकर तैयार है। यहां पर्यटकों के लिए बैटरी चालित और इलेक्ट्कि बसों का संचालन शुरू कर दिया गया है। इसके पीछे मंशा केवल एक है कि हम और आप अपने पर्यावरण का संरक्षण करें। पर्यावरण हितैषी बनें।
असल में, आगरा-फतेहपुर सीकरी के बीच इस ग्रीन कॉरिडोर को कल्पना श्री दीपक शर्मा ने की। उन्होंने हजरत सलीम चिश्ती फाउंडेशन के साथ मिलकर इसे पूरा किया है। अब इसकी जानकारी आगरा आने वाले हर पर्यटकों को दी जा रही है। पर्यटकों के बीच इसको लेकर बेहद उत्साह है। शुरुआती चरण में आगरा के ताजमहल से फतेहपुर में बुलंद दरवाजा और चिश्ती के दरगाह तक जाने का ग्रीन बस का किराया केवल 750 रुपये है। विदेशी मुद्रा के रूप में पर्यटकों को लेकर 15 अमेरिकी डॉलर देने होंगे। इसमें आने जाने का किराया और दोपहर का बेहतरीन भोजन शामिल है।
इस यात्रा में जानकारी हासिल हुई कि उत्तर प्रदेश सरकार फतेहपुर सीकरी को भी टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने के लिए गंभीर हो गई है। यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने फतेहपुर सीकरी को ताजमहल की तरह विकसित करने की घोषणा की ताकि यहां पर्यटकों की संख्या को बढ़ाया जा सके। बुलंद दरवाजा वाकई में फतेपुर सीकरी में अपनी ऊंचाई के लिए जाना जाता है इसकी ऊंचाई जमीन से ऊपर तक करीब 54 मीटर है जो अपने आप में कलाकारी का बेहतरीन नमूना है। इसका निर्माण 1601 में अकबर ने करवाया था। लाल बलुआ पत्थर के बने बुलंद दरवाजे को देखने हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।
शेख सलीम चिश्ती की समाधि ज़नाना रौजा के निकट, दक्षिण में बुलन्द दरवाजे़ की ओर मुख किये हुये, जामी मस्जिद की भीतर स्थित है। शेख सलीम चिश्ती एक सूफी संत थे उन्होंने अकबर और उसके बेटे को आशीर्वाद दिया था कि भविष्य में सलीम, जहांगीर के नाम से पहचाना जाएगा। जून 1573 में अकबर ने गुजरात विजय के साथ इस क्षेत्र को भी जीत लिया तो इसका नाम फतेहपुर सीकरी रखा गया। अकबर ने इस समाधि का निर्माण संत के सम्मान में वर्ष 1580 और 1581 के बीच करवाया। आज यह समाधि वास्तुकला और धर्म निरपेक्षता का अनुपम उदाहरण है, जहाँ इसके दर्शनार्थ विभिन्न समुदायों के लोग आते हैं।
जोधाबाई पैलेस अकबर की हिंदू पत्नी जोधाबाई का महल था। यह इमारत अपनी बेहतरीन वास्तुकला के लिए जानी जाती है। इसे बनाने में हिंदू और मुस्लिम दोनो वास्तुकला को शामिल किया गया है क्योंकि जोधाबाई राजपूत खानदान संबंध रखती थी।
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)