महाकुंभ में खामियां तलाश रहे हैं अखिलेश

Akhilesh is looking for flaws in Mahakumbh

अजय कुमार

लखनऊ : समाजवादी पार्टी आजकल दुविधा की सियासत से जूझ रही है। उसके एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई जैसी स्थिति है। इसी कारण समाजवादी पार्टी तुष्टिकरण की सियासत तो खुलकर कर रही है,लेकिन हिन्दूवादी राजनीति को लेकर कोई फैसला नहीं ले पा रही हैं। सपा की हालात यह हो गई है कि मोदी-योगी सरकार के हर फैसले में अखिलेश को साम्प्रदायिकता और खामियों के अलावा कुछ नजर नहीं आता है। धर्म की बात की जाये तो अखिलेश महाकुंभ में खामियां तलाश रहे हैं। हाल यह है कि महाकुंभ के सफल आयोजन को लेकर जहां बच्चा-बच्चा योगी की तारीफ कर रहा है। वहीं अखिलेश और उनकी टीम मौनी अमवस्या के शाही स्नान के समय मची भगदड़ में हुई तीस लोगों की मौत पर राजनीति करने से उबर नहीं पा रही है,जिस समाजवादी पार्टी की मुलायम सरकार ने 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर उन्हें मौत के घाट पर सुला दिया गया था,इसमें कितने लोग मरे थे यह आज भी रहस्य बना हुआ है। खास बात यह है कि योगी सरकार कह रही है कि भगदड़ में तीस लोग मरे हैं,वहीं समाजवादी पार्टी नेता इसे झूठ बता रहे है। सपा नेता तर्क दे रहे हैं हजारों जूते-चप्पलें और बैग घटना स्थल पर पड़े मिले थे,जिससे साबित होता है कि हजारों लोग मरे होंगे,लेकिन सवाल यह है कि यदि समाजवादी पार्टी के प्रमुख सहित अन्य तमाम नेताओं और कांग्रेस नेता राहुल गांधी आदि की यह बात मान भी ली जाये कि भगदड़ में हजारों लोग मरें हैं तो वह पीड़ित लोग सामने क्यों नहीं आ रहे हैं जिनके परिवार के लोग भगदड़ में मारे गये हैं। यही बात बताती है कि विपक्ष भगदड़ के नाम पर महाकुंभ और योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश में लगे हैं। इसीलिये अखिलेश का साथ दलित और पिछड़े लोग भी छोड़ने लगे हैं।आज अखिलेश सिर्फ मुस्लिमों के नेता बनकर रह गये हैं,उसमें भी उदारवादी और पढ़े लिखे मुसलमान बीजेपी के साथ जुड़ते जा रहे हैं।

वैसे यह भी नहीं भूलना चाहिए के अखिलेश यादव शुरू दिन से महाकंुभ का विरोध कर रहे हैं। यह बात विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कही कि पहले दिन से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अफवाह फैलाने में लगे हैं। अखिलेश सबसे पहले कहते हैं कि महाकुंभ को इतना पैसा और विस्तार देने की जरूरत क्या थी। फिर कहते हैं कि 65-70 के लोग महाकुंभ में स्नान नहीं कर पा रहे हैं। फिर कहते हैं महाकुंभ जैसा कोई शब्द ही नहीं है। महा सरकारी पैसा निकालने के लिये महाकुंभ शब्द रचा गया। अखिलेश तंज कसते हैं कि 50 नहीं 60 लोग आ चुके हैं। इसी तरह से लालू यादव महाकुंभ को फालतू बताते हैं तो पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महाकुंभ को मृत्यु कुंभ बताते हैं,लेकिन कोई इसका विरोध नहीं करता है।इसी तरह से सोशल मीडिया पर इधर-उधर की फोटो और वीडियो को महाकुंभ की घटना बता कर प्रचारित किया जा रहा है।

गौरतलब हो, आज महाकुंभ पर हो हल्ला मचाने वाले समाजवादी इससे पूर्व अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण के समय भी ऐसा करते नजर आये थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव तो मंदिर निर्माण के उदघाटन अवसर पर भी मौजूद नहीं रहे थे। कारण बहुत साफ था वहीं चुनाव के समय उन्हें ईवीएम और चुनाव आयोग में खामियां नजर आती हैं। योगी जब अवधी,भोजपुरी, बुंदेलखंडी भाषा को आगे बढ़ाने की बात करते हैं तो समाजवादी उर्दू को आगे बढ़ाने का राग अलापने लगते हैं।