संजय सक्सेना
समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता अखिलेश यादव ने आज 09 दिसंबर को लोकसभा में अपना भाषण देते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था का स्वरूप खो चुका है और सत्ताधारी दल के इशारों पर नाच रहा है। विशेष वोटर सूची संशोधन प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हो रही हैं, जिससे विपक्षी दलों के समर्थकों के वोट कटने की साजिश रची जा रही है। अखिलेश ने स्पष्ट शब्दों में आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और उसके सहयोगियों ने जिन सीटों पर जीत हासिल की थी, उन क्षेत्रों में पांच हजार से अधिक वोट जानबूझकर डिलीट करने की तैयारी चल रही है। उन्होंने चुनाव आयोग को चेतावनी दी कि यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है और जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
भाषण की शुरुआत में ही अखिलेश ने लोकसभा अध्यक्ष से अपील की कि सदन का माहौल शांत रखा जाए ताकि उनकी बात सुनी जा सके। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में स्वतंत्र वोटर सूची संशोधन के नाम पर सत्ताधारी दल विपक्ष को कमजोर करने का कुचक्र चला रहा है। बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में यह प्रक्रिया तेज हो गई है और मुस्लिम, दलित, पिछड़े तथा अति पिछड़े वर्गों के इलाकों में मतदान केंद्र अधिकारी घर-घर जाकर वोटरों के नाम मिटाने का काम कर रहे हैं। अखिलेश ने उदाहरण देते हुए बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह की चालाकी से समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने की राह में रोड़ा अटकाया गया था। उन्होंने दावा किया कि अब 2027 के चुनाव से पहले यही सिलसिला दोहराया जा रहा है, जिससे डेढ़ से दो करोड़ वोट प्रभावित हो सकते हैं।
भाषण के दौरान अखिलेश ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि योगी सरकार घुसपैठियों को पकड़ने के नाम पर डिटेंशन सेंटर बना रही है, लेकिन असल में यह अल्पसंख्यक समुदाय को डराने का हथकंडा है। अखिलेश ने तंज कसते हुए पूछा कि अगर घुसपैठिए इतने खतरनाक हैं तो इन्हें पकड़ने के बजाय क्यों निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाजवादी पार्टी घुसपैठ के खिलाफ है, लेकिन निर्दोषों को सताने का विरोध करेगी। योगी सरकार के डिटेंशन सेंटरों को अखिलेश ने अमानवीय बताया और कहा कि इससे प्रदेश की शांति भंग होगी। उन्होंने सदन के सदस्यों से अपील की कि इस मुद्दे पर एकजुट होकर आवाज उठाएं।
अखिलेश ने चुनाव आयोग की कमियों को गिनाते हुए कहा कि आयोग ने बिना किसी तैयारी के स्वतंत्र वोटर सूची संशोधन शुरू कर दिया। मतदान केंद्र अधिकारियों पर इतना दबाव बनाया गया कि गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में कई ने आत्महत्या तक कर ली। उन्होंने आयोग से मांग की कि इस प्रक्रिया को स्थगित कर समय बढ़ाया जाए ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। भाषण में अखिलेश ने सत्ताधारी दल पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद भाजपा भ्रष्टाचार की चरम सीमा पर पहुंच गई है। भाजपा भविष्य की बातें करती है, लेकिन वर्तमान में जनता की पीड़ा को नजरअंदाज कर रही है। अखिलेश ने चार सौ चौदह दिनों में उत्तर प्रदेश चुनाव होने की बात कही और दावा किया कि समाजवादी पार्टी इस साजिश का डटकर मुकाबला करेगी। उन्होंने विपक्षी दलों से एकता की अपील की और कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए सबको साथ आना होगा।
अखिलेश के भाषण के बीच में सत्ताधारी दल के सदस्यों ने हंगामा किया, लेकिन अखिलेश ने शांत स्वर में अपनी बात जारी रखी। उन्होंने कहा कि सच्चाई से सरकार डर रही है, इसलिए हंगामा कर रही है। अखिलेश ने बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान का हवाला देते हुए कहा कि आरक्षण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जातीय जनगणना जरूरी है। उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा कि अगर पहले साथ देते तो आज यह मांग न करनी पड़ती। भाषण में ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया गया। अखिलेश ने सेना की बहादुरी की तारीफ की, लेकिन सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पुलवामा जैसी घटनाओं में खुफिया तंत्र की नाकामी की जिम्मेदारी कौन लेगा। सीजफायर का फैसला किस दबाव में हुआ, इसका जवाब सरकार दे। अखिलेश ने आर्थिक नीतियों पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ रही मार को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। रक्षा बजट को सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत करना चाहिए और इसे गैर-लंचेपदह बनाना चाहिए। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत की बात करते हुए कहा कि देश को अपनी रक्षा सामग्री खुद बनाने पर जोर देना होगा।
भाषण के अंत में अखिलेश ने सुझाव दिए कि पाकिस्तान और आतंकवाद पर दस-पंद्रह वर्षीय रणनीति बनानी चाहिए। उन्होंने चीन सीमा विवाद का जिक्र किया और सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर पर स्पष्टता मांगी। अखिलेश का यह भाषण करीब पैंतालीस मिनट चला और सदन में जोरदार प्रतिक्रिया पैदा की। विपक्ष ने तालियां बजाईं तो सत्ताधारी दल ने विरोध जताया। गृह मंत्री अमित शाह ने भी जवाब में कई बातें कहीं। अखिलेश के भाषण ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता इसे चुनावी हथियार के रूप में देख रहे हैं। अखिलेश ने साबित कर दिया कि वे मुद्दों पर सीधी बात कहने से पीछे नहीं हटते। चुनाव आयोग पर आरोपों ने विपक्ष को मजबूत एकजुटता का संदेश दिया। डिटेंशन सेंटरों पर टिप्पणी से योगी सरकार पर दबाव बढ़ गया। अखिलेश का यह आक्रामक रुख 2027 के चुनावों की दिशा तय कर सकता है। उन्होंने जनता से अपील की कि सच्चाई के साथ रहें और साजिशों को नाकाम करें। भाषण ने राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा छेड़ दी है। मीडिया चैनलों पर इसे प्रमुखता से दिखाया जा रहा है। समाजवादी पार्टी का आधार मजबूत करने में यह भाषण मील का पत्थर साबित होगा। अखिलेश ने सिद्ध किया कि वे न केवल कुशल वक्ता हैं बल्कि मुद्दों के जानकार भी।





