हुई महंगी बहुत ही शराब तो थोड़ी – थोड़ी पिया करो…

Alcohol has become very expensive, so drink it in small quantities…

अशोक भाटिया

गायक पंकज उदास की यह ग़ज़ल हुई महंगी बहुत ही शराब तो थोड़ी – थोड़ी पिया करो … वर्षो से लोगों की जबान पर है पर यह तब सार्थक हो जाती है जब सरकार शराब के दाम बढ़ा देती है । आज इस ग़ज़ल को गुनगुनाने का समय तब आया जब समाचारों से लोगों को पता पड़ा कि शराब के दाम आज से बढ़ गए है । समाचारों के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की आबकारी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए शराब पर उत्पाद शुल्क में भारी बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इस फैसले का सीधा असर शराब की खुदरा कीमतों पर पड़ेगा, जिससे ग्राहकों को अब शराब खरीदने के लिए अपनी जेब और भी ज्यादा ढीली करनी होगी। कैबिनेट के नए फैसले के तहत, भारत में बनी अंग्रेजी शराब (IMFL) पर उत्पाद शुल्क को विनिर्माण लागत के तीन गुना से बढ़ाकर 4।5 गुना कर दिया गया है। इसका सबसे अधिक असर उन उत्पादों पर पड़ेगा जिनकी विनिर्माण लागत करीब 260 रुपये प्रति बल्क लीटर है। देशी शराब पर भी शुल्क बढ़ाकर 180 रुपये से 205 रुपये प्रति प्रूफ लीटर कर दिया गया है।

महाराष्ट्र में सरकार ने 180 एमएल बोतल की कीमतों में भी बदलाव किया है। इसके तहत पहले 70 रुपये में आने वाली देशी शराब 80 रुपये की होगी, एमएमएल 148 और IMFL 205 रुपये की होगी। साथ ही प्रीमियम विदेशी शराब जो पहले 210 रुपये की थी, उसे बढ़ाकर अब 360 रुपये करने का फैसला किया है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि ड्यूटी बढ़ाने के बाद सरकार के खजाने में 14 हजार करोड़ रुपये ज्यादा आ सकते हैं।

जून की शुरुआत में ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने माना कि पिछले साल शुरू हुई लाडकी बहिन योजना के तहत वित्तीय सहायता का भुगतान सभी महिला आवेदकों को करके “चूक” हुई। पवार ने कहा कि जांच के माध्यम से इस गलती को ठीक किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही सहायता प्राप्त हो।

वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे पवार ने बारामती में संवाददाताओं से कहा, “हमने सभी महिला आवेदकों को वित्तीय लाभ देकर गलती की। हमारे पास आवेदनों की जांच करने और अयोग्य लोगों की पहचान करने के लिए बहुत कम समय था। उस समय, दो से तीन महीने में चुनावों की घोषणा होनी थी।” हालांकि, उन्होंने कहा कि महिलाओं के बैंक खातों में जमा धनराशि वापस नहीं ली जाएगी।

पवार ने कहा, “जब इस योजना की शुरुआत की गई थी, तो सरकार ने अपील की थी कि केवल पात्र महिलाएं ही आवेदन करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसकी जांच की जा रही है। केवल जरूरतमंद महिलाओं को ही मासिक सहायता राशि मिलेगी।”

सरकार ने इसके साथ ही एक नई श्रेणी महाराष्ट्र निर्मित शराब (MML) शुरू करने की भी घोषणा की है, जो देशी और IMFL के बीच की कड़ी होगी। यह केवल अनाज आधारित शराब होगी और इसमें केवल राज्य के भीतर निर्मित और पंजीकृत उत्पाद ही शामिल किए जाएंगे। विदेशी या राष्ट्रीय ब्रांड इसमें शामिल नहीं होंगे। इस फैसले से शराब की खुदरा कीमतों में 50% तक की बढ़ोतरी की संभावना है। उदाहरण के लिए:

  • देशी शराब की 180ml बोतल अब 80 रुपये में मिलेगी, जो पहले 60-70 रुपये थी।
  • IMFL की बोतल की कीमत 115-130 रुपये से बढ़कर 205 रुपये हो जाएगी।
  • प्रीमियम विदेशी शराब की कीमत 210 रुपये से बढ़कर 360 रुपये तक पहुंच सकती है।

सरकार को उम्मीद है कि इस बदलाव से वार्षिक आबकारी संग्रह में 14,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी। साथ ही MML से अतिरिक्त 3,000 करोड़ रुपये के राजस्व की संभावना जताई गई है। वहीं, उद्योग विशेषज्ञों ने इस फैसले को ‘वास्तविकता से दूर’ बताया है। उनका कहना है कि भारी टैक्स से पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी बढ़ सकती है, जिससे राज्य को राजस्व नुकसान और स्थानीय कारोबारियों को चुनौती मिल सकती है। सरकार का तर्क है कि इससे स्थानीय किसानों को भी फायदा होगा क्योंकि अनाज की मांग बढ़ेगी, और जो 38 शराब निर्माता फिलहाल निष्क्रिय हैं, उन्हें MML से नया जीवन मिल सकता है।

दूसरे राज्यों से आने वाली शराब को रोकने तथा कर चोरी रोकने के लिए मंत्रिमंडल ने राज्य आबकारी विभाग को 744 नए पद और 479 पर्यवेक्षक पद सहित कुल 1,223 नए पद की मंजूरी दी है। आबकारी विभाग की संशोधित संरचना और विभाग के एक एकीकृत नियंत्रण कक्ष स्थापना को मंजूरी दी गई। इस कक्ष के माध्यम से राज्य में डिस्टलरी, शराब कारखानों, थोक विक्रेताओं आदि को एआई प्रणाली के माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा। विभाग की संशोधित संरचना के अनुसार, मुंबई शहर और उपनगरों में एक नया विभागीय कार्यालय शुरू किया जाएगा और मुंबई उपनगर, ठाणे, पुणे, नाशिक, नागपुर और अहिल्यानगर जैसे छह जिलों के लिए एक-एक अतिरिक्त अधीक्षक कार्यालय शुरू किया जाएगा।

शराब को लेकर लोगों की अपनी-अपनी राय है। गुजरात बिहार जैसे राज्य में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं, ज्यादातर राज्यों में शराब की बिक्री सालों से जारी है। इसके पीछे की मुख्य वजह शराब पर लगने वाले टैक्स से राज्यों की कमाई है। शराब पर लगे टैक्स राज्यों की कमाई का सबसे अहम जरिया है। अगर कोई व्यक्ति शराब की एक बोतल खरीदता है तो उसमें आधे से ज्यादा पैसा टैक्स के रुप में सरकार के खजाने में चला जाता है। बता दें कि पेट्रोल-डीजल की तरह शराब जीएसटी से बाहर है। इसलिए राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से शराब पर टैक्स वसूलती है। राज्य एक्साइज ड्यूटी के नाम पर शराब बनाने और बेचने पर टैक्स लगाते हैं। कोई राज्य वैट के जरिए टैक्स वसूलता है। इसके अलावा शराब पर स्पेशल सेस, ट्रांस्पोर्ट फीस, लेबल और रजिस्ट्रेशन जैसे कई कर लगाए जाते हैं।

ज्यादातर राज्य शराब पर वैट या उत्पादन शुल्क या फिर दोनों ही लगाते हैं। इसको ऐसे समझिए अगर कोई व्यक्ति 1 लीटर शराब खरीदता है तो उसको 15 रुपये फिक्स एक्साइज ड्यूटी देनी होती है। वहीं, अगर एक शराब की बोतल की कीमत 100 रुपये है तो राज्य उसपर 10 प्रतिशत वैट लगाता है, तो कीमत बढ़कर 110 रुपये हो जाती है। ज्ञात हो कि भारत के 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शराब पर अलग-अलग तरीके से टैक्स लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, गुजरात ने 1961 से अपने नागरिकों के शराब के सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन विशेष लाइसेंस वाले बाहरी लोग अभी भी शराब खरीद सकते हैं। वहीं, पुडुचेरी को अपना अधिकांश राजस्व शराब के व्यापार से प्राप्त होता है। जबकि पंजाब ने चालू वित्त वर्ष में अपने उत्पाद शुल्क को नहीं बदलने का फैसला किया है। उसने अपने बिक्री कोटा में वृद्धि की है और अगले वित्त वर्ष में 7,000 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र करने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में राजस्व से 40 प्रतिशत अधिक है।

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु देश में बिकने वाली शराब का 45 प्रतिशत तक खपत करते हैं। इसके बाद, ये राज्य अपने राजस्व का लगभग 15 प्रतिशत उत्पाद शुल्क से कमाते हैं। हांलाकि, आंध्र प्रदेश ने 2019 में शराबबंदी की घोषणा की थी लेकिन वह शराबबंदी कर के साथ मादक पेय बेचता है। केरल के लिए, शराब पर कर इसका सबसे बड़ा राजस्व स्रोत है। राज्य में सबसे अधिक शराब बिक्री कर भी है – लगभग 250 प्रतिशत केरल में ही वसूला जाता है। राज्य अपनी एजेंसी, केरल राज्य पेय पदार्थ निगम के साथ शराब बाजार को नियंत्रित करता है। केरल में शराब की बढ़ती मांग को देखते हुए इस महीने शराब की कीमत में 7 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। महाराष्ट्र पूरे देश में शराब पर लगने वाले टैक्स के रूप में उच्चतम दर वसूल करता है लेकिन अपनी बिक्री से अपने राजस्व का केवल एक हिस्सा प्राप्त करता है। केरल की तरह तमिलनाडु भी अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा शराब की बिक्री से कमाता है। इसने विदेशी शराब पर वैट, उत्पाद शुल्क और एक विशेष शुल्क लगाया हुआ है। वहीं, दिल्ली शराब की कीमतों में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि करने के लिए उत्पाद शुल्क बढ़ाने की योजना बना रही है। गोवा में देश में सबसे कम शराब कर की दर है, राज्य ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ये कदम उठाया है।

अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार