
विजय गर्ग
सड़क पर तेज रफ्तार दौड़ती कारों और अतिक्रमण की भेंट चढ़े फुटपाथों पर पैदल यात्रियों का चलना अब दुश्वार हो चला है। यही वजह है कि बुजुर्ग लोग सड़कों पर आने से डरते हैं और घरों तक सिमटकर रह जाते हैं। वे फुटपाथ न होने के कारण सड़कों पर चलते हैं और अनियंत्रित गति वाले वाहनों के शिकार हो जाते हैं। अदालत में दिए गए एक आंकड़े के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले करीब बीस फीसदी लोग पैदल यात्री होते हैं। इन हालात में दिव्यांग लोग कैसे सड़कों पर निकल सकते हैं, ये कल्पना से परे है। देश के करोड़ों मूक पैदल यात्रियों को आवाज देने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए.एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने सख्त लहजे में कहा कि फुटपाथ की सुविधा लोगों का संवैधानिक अधिकार है। पीठ ने केंद्र व राज्यों को कहा कि दो महीने में सुनिश्चत करें शहरों व गांवों में पैदल चलने वालों के लिये साफ, अतिक्रमण मुक्त और दिव्यांगों के अनुकूल फुटपाथ उपलब्ध हों। सभी सार्वजनिक सड़कों पर उपयुक्त फुटपाथ बनाना और उनसे अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से कहा कि वे बताएं पैदल यात्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए उसके पास क्या नीति है। कोर्ट ने दो महीने में रिपोर्ट देने को कहा है। शीर्ष अदालत ने मुंबई हाईकोर्ट की ओर से पहले से जारी दिशा-निर्देशों को आदर्श मानते हुए अन्य राज्यों से इसे अपनाने को कहा।
दरअसल, कोर्ट भी इस बात से सहमत दिखा कि जब फुटपाथ नहीं होते तो गरीब, बुजुर्ग,बच्चे और दिव्यांगजन मजबूरी में सड़कों पर चलते हैं। वे भीड़भाड़ में हादसों का शिकार हो जाते हैं। अदालत ने कहा कि यह केवल यातायात का मुद्दा नहीं है,यह जीवन का अधिकार है। ये उन करोड़ों भारतीयों के लिए एक उम्मीद है जो जान जोखिम में डालकर सड़कों पर चलते हैं। अब हर कदम पर सुरक्षित और जीवन की अहमियत होनी चाहिए। निस्संदेह, देश में फुटपाथों की दुर्दशा, अतिक्रमण और दिव्यांगों की लाचारी किसी से छिपी नहीं है। अकेले वर्ष 2022 में 77 हजार पैदल यात्रियों के साथ हुई दुर्घटना में करीब 32,797 की मृत्यु हुई और 34 हजार गंभीर रूप से घायल हुए। निस्संदेह, कोर्ट ने पैदल चलने वाली करोड़ों की मूक बिरादरी को संवैधानिक आवाज देने देने की सार्थक पहल की है। विडंबना यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में अस्सी फीसदी पैदल मार्गों पर रेहड़ी-पटरी वालों, दुकानदारों व गाड़ी वालों ने कब्जा कर रखा है। इस वर्ष हर माह करीब 48 पदयात्री सड़क दुर्घटना में मारे गए। यही वजह है कोर्ट ने फुटपाथ को संवैधानिक अधिकार बताते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीशुदा बताया। जिसे केंद्र व राज्य सरकारों को पैदल यात्रियों के लिये इसे सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन के लिए सिर्फ छह माह का समय दिया है।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब