रविवार दिल्ली नेटवर्क
टोंक में सर्व समाज के लोगो ने पूर्वजो के साथ शहीदों को भी किया तर्पण… बनास नदी पर सर्व समाज का 10 वा सामूहिक तर्पण कार्यक्रम आयोजित
टोंक : सनातन मान्यताओं के अनुसार हिन्दू धर्म मे श्राद पक्ष के 15 दिनों का बड़ा महत्व है और इस दौरान लोग अपने घरों में पूर्वजो को भोग लगाकर ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ ही दान-पुण्य करते है वही सरोवर पर जाकर तर्पण करते है टोंक में पिछले 10 सालों से सर्व समाज के महिला-पुरुष और युवा एक साथ एकत्र होकर बनास नदी पर सामूहिक रूप से तर्पण करते है इस आयोजन की विशेषता यह है कि सामूहिक रूप से तर्पण के इस कार्यक्रम में सर्व समाज के सभी जातियों के लोग अपने अपने पूर्वजों के साथ ही देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर वीर गति को प्राप्त करने वाले शहीदों को भी तर्पण करते है।
हिन्दू धर्म मे श्राद्ध पक्ष के दौरान 15 दिनों में अपने पूर्वजों अर्थात पितरों को तर्पण करने की परम्परा है और इस दौरान लोग धार्मिक महत्व के स्थलों हरिद्वार, गया, सोरोजी, पुष्कर सहित कई धार्मिक स्थानों पर जाकर तर्पण करते है वही टोंक में पिछले 10 सालों से बनास नदी पर तर्पण के रूप में अमावस्या पर विशेष आयोजन होता है जिसमे सामाजिक सद्द्भावना का प्रमाण देखने को मिलता है तो वही देशभक्ति भी देखने को मिलती है टोंक में बनास नदी पर पिछले 10 सालों से निरन्तर जारी सर्वजातीय निशुल्क सामूहिक शहीद व पितृ तर्पण का कार्यक्रम अपनी अलग छाप छोड़ रहा है।
टोंक में जगदीश नारायण स्मृति मंच व वैदिक शोध संस्थान करता है आयोजन
टोंक में सर्व समाज के लिए पिछले 10 सालो से आश्विन कृष्णा अमावस्या (सर्व पितृ श्राद्ध) पर सर्व समाज के लिए सामूहिक तर्पण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। संयोजक डॉ. पंडित पवन सागर ने बताया कि जाति, धर्म में बंटें भारतीय समाज को एकजुट करने के लिए 2016 में ब्राह्मण विद्वानों की ओर से इस अनूठी परम्परा की शुरुआत की थी। पहले साल करीब 350 लोगों ने अलग-अलग चरण में विद्वान पंडितों के सानिध्य व मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से अपने-अपने पितरो को याद कर तर्पण किया था। इसके बाद हर साल संख्या में बढ़ोत्तरी होती गई और अब हजारों की संख्या में लोग इसमें जुट रहे है। टोंक बनास नदी पर आयोजित बुधवार को सर्व समाज के सामूहिक तर्पण कार्यक्रम में बनास नदी पर सर्वजातिय नि:शुल्क सामूहिक तर्पण का आयोजन किया गया, जिसमें सामाजिक समरसता का संगम देखने को मिला।
तर्पण में लगभग एक हजार से अधिक महिला-पुरुषों ने देश के वीर अमर शहीदों और राष्ट्रनायकों सहित अपने पूर्वजों को वैदिक रीति से जलांजली अर्पण कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा-भाव प्रकट किया।
सर्व समाज के सामूहिक तर्पण की परंपरा अब अन्य जिलों में भी शुरू हुई
सामाजिक सद्द्भावना को दर्शाती सामूहिक रूप से सर्व समाज के लोगो द्दारा एक साथ बनास नदी पर 2016 से शुरू हुई सामूहिक तर्पण के साथ शहीदों को तर्पण करने की यह अनोखी आज प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी प्रचलित हो चली है वह टोंक में सामूहिक तर्पण के सफल आयोजन से प्रेरित होकर अब प्रदेश के कोटा,बीकानेर और पुष्कर समेत कई हिस्सों में सामूहिक निशुल्क तर्पण का आयोजन होने लगा है। श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन सर्व पितृ तर्पण श्राद्ध करने से धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मानव जीवन में आने वाले कष्टों एवं अवरोधों का निवारण होता है और सुख शांति सम्पन्नता, वैभव, आरोग्यता मिलने के साथ ही पूर्वजों का आशिर्वाद मिलता है।