अल्जाइमर: जब यादें खोने लगती हैं

Alzheimer's: When memories begin to fade

दिलीप कुमार पाठक

अल्जाइमर एक न्यूरोलॉजिक डिसऑर्डर है, जिसमें दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। जिसकी वजह से याद्दाश्त कमजोर होने लगती हैं। जिसे आम भाषा में भूलने की बीमारी भी कहा जाता है। आज ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ है, जो पूरे विश्व में मनाया जाने वाला दिवस है। अल्जाइमर रोग का सबसे समान्य रूप डिमेंशिया है। यह निरंतर प्रगतिशील होने वाला मस्तिष्क का रोग है 21 सितंबर को यह दिवस अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया के बारे में जागरूकता प्रसारित करने के लिए मनाया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है, वैसे भी बीमारियों से लड़ने के लिए जागरुकता की आवश्यकता होती है l

हम कल्पना करें कि कोई व्यक्ति सब कुछ भूल जाए, उसे कुछ याद ही न रहे। जाहिर है, ऐसे में ज़िन्दगी कठिन हो जाती है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि बढ़ती उम्र के साथ लोगों में भूलने की आदत आम हो जाती है। ऐसे में लोगों को कुछ भी याद नहीं रहता है, किसी को पहचानने में भी मुश्किल होती है, तो कई बार ऐसा होता है कि बुजुर्ग यदि टहल कर भी आते हैं तो उनको अपना घर पहचानने में दिक्क़त होती है। समझना मुश्किल नहीं है कि ऐसे में पीड़ित व्यक्ति की मन: स्थिति पर क्या असर पड़ता होगा l मन किस कदर जद्दोजहद करता होगा? इन सारी परेशानियों को हम बहुत ही हल्के में लेते हैं और सोचते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ ऐसा होता ही है, परन्तु हकीकत यह है कि यह अल्जाइमर नाम की बीमारी है, जिसमें लोग सब कुछ भूलने लगते हैं। 1906 में जर्मन के न्यूरोलॉजिस्ट एलोइस अल्जाइमर ने इस बीमारी का पता लगाया था और इन्हीं के नाम पर इस बीमारी को ‘अल्जाइमर’ कहा जाता है। दुनिया भर में लोगों को इस भूलने वाली बीमारी ‘अल्जाइमर’ के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के मक़सद से प्रत्येक साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। स्मरण शक्ति कमज़ोर करने वाली यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों को होती है, लेकिन कई बार इसके लक्षण युवाओं में भी पाये जाते हैं, इसलिए जागरूकता और इसका उचित इलाज बेहद आवश्यक है। हालाँकि, इस बीमारी के लिए कोई प्रॉपर इलाज अब तक विकसित नहीं किया जा सका है, लेकिन इसके लिए सावधानियां और व्यायाम ज़रूर हैं, जो इस बीमारी में काफ़ी हद तक सहायक साबित होते हैं l

अल्जाइमर रोग का सबसे समान्य रूप डिमेंशिया है। यह निरंतर प्रगतिशील होने वाला मस्तिष्क का रोग है, जिसके परिणामस्वरूप याददाश्त और सोचने की क्षमता में कमी होती है। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जिसके कारण याददाश्त में कमी और परिवर्तन, अनियमित व्यवहार तथा शरीर की प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचता है। सामान्य शब्दों में, अल्जाइमर सामान्य की तुलना में अधिकांशत: याददाश्त विकार वाला रोग है। अल्जाइमर से पीड़ित रोगी अक्सर लोगों के नाम, जैसे- कि पुराने दोस्तों, पता, यहाँ तक कि सड़कों तथा अन्य वस्तुओं के नाम भी भूल जाते हैं। यह रोग ज्यादातर बुजुर्ग लोगों को प्रभावित करता है। आज भारत में बुजुर्ग लोगों की आबादी बढ़ रहीं है। इस रोग के सही कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है l इस बीमारी का कारण मस्तिष्क में प्रकट होने वाली कुछ जटिल घटनाएँ हैं l अल्जाइमर रोग का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। पीड़ित रोगी का प्रभावी ढंग से उपचार करने हेतु रोग की जल्दी जानकारी प्राप्त होने द्वारा लाभ मिलता है। उपचार के तौर-तरीकों में औषधीय, मनोवैज्ञानिक और देखभाल करने के तमाम पहलू शामिल हैं। इस बीमारी के उपचार में पारिवारिक और सामाजिक समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अल्जाइमर बीमारी का सबसे समान्य रूप डिमेंशिया है। याददाश्त में कमी, जो कि दैनिक जीवन को बाधित करती है l योजना या समस्याओं को सुलझाने में चुनौतियाँ। घर – ऑफिस में कई बार जानी हुई वस्तुओ को भूल जाना l समय या स्थान को लेकर भ्रम होना l शब्दों को बोलने या लिखने में नई तरह की समस्या होना l बार – बार अनिर्णय की स्थिति उत्पन्न होना l हरबार चीजें रखकर भूलना सामाजिक कटाव होना l मन एवं सोच में भारी अन्तर जैसे तरह तरह के बदलाव शरीर में उभरते हैं जिससे ज़िन्दगी दुश्वार हो जाती है l

अल्जाइमर से बचने के लिए खुद को व्यस्त रखना चाहिए, योग, व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करना चाहिए l अपनी रुचिप्रद कार्यों में खुद को संलग्न रखना चाहिए l घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों में भाग लेना चाहिए l थोड़ा टहलना चाहिए l