सुरेन्द्र अग्निहोत्री
वरिष्ठ साहित्यकार त्रिवेणी प्रसाद दूबे मनीष की पुस्तक त्रिवेणी कथा कानन में बीस कहानियां शामिल हैं, जो विविध मनोभावों को व्यक्त करती हैं। इन कहानियों में ज्यादातर किरदार सोचने पर विवश करता है।कहानी ‘इच्छा शक्ति’ में लालमणि के संघर्ष और मासूम मित्रता के भावुक करने वाले है। त्रिवेणी कथा कानन कहानियों का ऐसा अनूठा संग्रह है, जो इच्छाशक्ति से प्रारंभ होकर उत्तराधिकार तक पहुँचता है। कहानी अर्धांगिनी के अस्तित्व के साथ, उसकी मानसिक पीड़ा और उसके बलिदान भी हैं । इसमें ऐसे लोगों की भी सच्चाई है जो दशकों के अथक प्रयास के बाद भी अपनी वास्तविक पहचान करने और बनाने में असफल हो चुके हैं। इसमें पारंपरिक एवं पौराणिक उत्सवों के विशिष्ट एवं सम्मोहक रंग भी विद्यमान हैं। साथ ही इसमें इसमें नर-नारी संबंध के नवीन आयामों का यथार्थवादी स्पर्श भी शामिल है।
खडाऊँ कहानी में ऐसे अनन्य व्यक्तित्व की खडाऊँ भी है जिसे आज भी पूजा जाता है और संभवत हमेशा पूजा जाता रहेगा और ऐसे बाबा मृत्युंजय भी हैं जो समग्र विश्व को अमरत्व का वरदान सुलभ कराने के लिए, सदैव भ्रमणशील रहते हैं।आज विश्व के अधिकांश लोग किसी न किसी प्रकार के अंतर्द्वंद्व से जूझ रहे हैं।अत इस शीर्षक की कथा विशेष प्रासंगिक है।
अत इस कहानी संग्रह की विषय-वस्तु और इसकी भावनाओं एवं संवेदनाओं का आयाम विस्तृत और व्यापक है ।लेखक की शैली नाटक रचनाओं जैसी है। बीच-बीच में दृश्य का वर्णन होता है।इन कहानियों के केंद्र में शिल्प और कला का अद्भुत मेल व्याप्त है।
पुस्तक : त्रिवेणी कथा कानन
लेखक : त्रिवेणी प्रसाद दूबे मनीष
प्रकाशक : उकियोटो प्रकाशन
पृष्ठ : 250
मूल्य : रु. 300.