आईटी अधिनियम में संशोधन आवश्यक: भाजपा विधायक ने अनैतिक सामग्री पर सख्त सजा की मांग की

Amendment necessary in IT Act: BJP MLA demands strict punishment on immoral content

रविवार दिल्ली नेटवर्क

लखनऊ : हाल ही में यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया द्वारा सार्वजनिक मंच पर दिए गए अनुचित बयान से उपजे विवाद को लेकर डॉ. राजेश्वर सिंह ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) में कड़े संशोधनों की मांग की है। इस घटना ने व्यापक जन आक्रोश और कानूनी बहस को जन्म दिया है, जिससे ऑनलाइन अश्लील और अनैतिक सामग्री के बढ़ते प्रसार पर लगाम लगाने की आवश्यकता स्पष्ट होती है।

डॉ. सिंह ने आईटी अधिनियम की धारा 66E और 67 में संशोधन का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि इससे अनैतिक व आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा।

धारा 66E में संशोधन: वर्तमान स्थिति: यह धारा किसी व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन करने, निजी छवियों या वीडियो को अवैध रूप से प्रकाशित या प्रसारित करने से संबंधित है। प्रस्तावित परिवर्तन: इस धारा के दायरे को बढ़ाकर अश्लील और अनैतिक सामग्री के निर्माण और प्रसार को शामिल किया जाए। इसे संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-Bailable) अपराध घोषित किया जाए। 10 साल की सजा और ₹5 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जाए।

धारा 67 में संशोधन: वर्तमान स्थिति: यह धारा किसी भी प्रकार की अश्लील सामग्री के ऑनलाइन प्रकाशन या प्रसारण को दंडनीय बनाती है। प्रस्तावित परिवर्तन: दंड को कड़ा करते हुए इसे संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाया जाए।
₹5 करोड़ तक का जुर्माना और 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया जाए।

विशेष प्रावधान जोड़ने का प्रस्ताव: अनैतिक और अश्लील सामग्री के निर्माण और प्रसार, साइबर बुलिंग (Cyberbullying) और शोषण (Exploitation) को स्पष्ट रूप से दंडनीय अपराध घोषित किया जाए। त्वरित न्यायिक प्रक्रिया (Summary Trial) का प्रावधान किया जाए ताकि ऐसे मामलों में शीघ्र कार्रवाई हो सके।

डॉ. सिंह ने कहा कि इन संशोधनों से डिजिटल दुनिया में नैतिकता और मर्यादा बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि इन सुधारों को प्राथमिकता दी जाए, ताकि भारत को साइबर अपराधों से सुरक्षित और डिजिटल रूप से सशक्त राष्ट्र बनाया जा सके।

बता दें कि, डॉ. राजेश्वर सिंह लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से विधायक होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता भी हैं। वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए भी जाने जाते हैं।