संसद की तरह सदस्यों की सुविधा के लिए मध्यान्ह भोजन अन्तराल रखने पर बनी सहमति
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : सोलहवीं राजस्थान विधान सभा के दूसरे सत्र की बैठक जयपुर में बुधवार 3 जुलाई से शुरू होंगी। इससे पहले राज्य विधानसभा भवन में मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। बैठक में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी मौजूद थे। बैठक में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल,सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली,बसपा के मनोज कुमार, भारत आदिवासी पार्टी के थावर चन्द और रालोद के डॉ. सुभाष गर्ग भी मौजूद थे।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने लोकसभा की तरह हर सत्र से पहले राजस्थान विधानसभा में भी सर्वदलीय बैठक का आयोजन करने की नई परंपरा आरंभ कराई है। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने बैठक में संसद सत्र की तरह सदस्यों की सुविधा के लिए मध्यान्ह भोजन अन्तराल के बारे में सभी दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि लोकसभा की तर्ज पर राजस्थान विधानसभा में भी भोजन अन्तराल का निश्चित समय तय किया जा सकता है। इससे एक ही समय पर सभी विधायकगण भोजन कर सकेंगे और उसके बाद पुनः सदन की कार्यवाही में भाग ले सकेंगे। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी के इस प्रस्ताव को बैठक में मौजूद सभी दल के प्रतिनिधियों ने एक अच्छी पहल बताते हुए अपनी सहमति व्यक्त की।
बैठक में वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा का यह पवित्र सदन प्रदेश की आठ करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करता है। सदन में सार्थक एयर सारगर्भित चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने आश्वस्त किया कि सदन में सभी सदस्यों को बोलने का मौका मिलेगा। विधानसभा का सदन अधिक से अधिक दिन चले इसके लिए सभी दलों के सभी सदस्यों को सकारात्मक सोच रखनी होगी। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने सदन को शांतिपूर्ण चलाने के लिए सभी दलों से सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सोलहवीं विधान सभा के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों की है। सदन की कार्यवाही को आम जनता देखती है। इसलिए चुनकर आये जनप्रतिनिधिगण अपने आचरण और व्यवहार को जन आकांक्षाओं के अनुकूल प्रस्तुत करें, ताकि विधान सभा का नाम रोशन हो सके। देवनानी ने कहा कि विधान सभा का सदन नियमों एवं मर्यादाओं से चलेगा। उन्होंने सभी दलों से सदन को शांतिपूर्वक चलाने में सहयोग करने और सार्थक बहस में अपनी बात समय सीमा में रखने का आग्रह किया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सभी दलों को चर्चा के लिए नियमानुसार समय आवंटित किया जायेगा। समय सीमा में ही सदस्य अधिक से अधिक अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि यह दलों के नेताओं कि जिम्मेदारी होगी कि उनके दल का सदस्य सदन में अपनी बात को आवंटित समय में ही रखने का प्रयास करे। देवनानी ने कहा कि सभी सदस्यगण शालीनता से मुद्दे उठाए।
जनहित के मुद्दों पर सदन देर तक भी चलेगा
देवनानी ने कहा कि यह सदन जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने का पवित्र स्थल है। इस स्थल की गरिमा को बनाएँ रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी। इसके लिए यदि सदन को देर तक चलाने की आवश्यकता होगी तो सदन को देर तक चलाया जायेगा। उन्होनें कहा कि समस्याओं का हल बातचीत से होता है। सदन में समस्याओं के निस्तारण का प्रयास होगा। यहां पर सदस्यों की बातों को गम्भीरता से लिया जायेगा, उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं का निस्तारण भी कराया जाएगा।
92 प्रतिशत प्रश्नों के जवाब प्राप्त
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बताया कि प्रथम सत्र के 2054 प्रश्नों में से 92 प्रतिशत प्रश्नों के जवाब विधान सभा को प्राप्त हो गये है। अब 177 प्रश्नों के जवाब आना शेष है। श्री देवनानी ने कहा कि यह शुभ लक्षण है। शेष रहे प्रश्नों के जवाब भी विधान सभा को शीघ्र प्राप्त होने की उम्मीद है। बैठक में तय किया गया कि नया सत्र आरम्भ होने से पहले गत सत्र के सभी प्रश्नों के जवाब विधान सभा को आवश्यक रूप से प्राप्त हो जाने चाहिए।
स्वस्थ आलोचनाओं से आयेगी नवीन गति
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि सदन में अपनी अपनी बात रखने के लिए पक्ष एवं प्रतिपक्ष के सभी सदस्यों की भावना एक समान होती है। सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका मिले इसके लिए पूरे प्रयास किये जाएँ। सदस्य भी अपनी बात समय सीमा में रखने का प्रयास करें। उन्होनें कहा कि स्वस्थ आलोचनाओं से कार्य में नवीन गति आती है।
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी की राजस्थान विधान सभा का सदन सुव्यवस्थित ढंग और शांतिपूर्ण चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक का आयोजन एक ऐतिहासिक पहल है।सदन संचालन में इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे।
बैठक में आये महत्वपूर्ण सुझाव
बैठक में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी आये और कहा गया कि सदन में पहले से चल रही पर्ची पर बोलने की व्यवस्था को फिर से लागू किया जाना चाहिये। इसके अलावा समितियों की रिपोर्ट पर बहस कराने, महत्वपूर्ण मुद्दों को शून्यकाल से पहले अध्यक्ष के ध्यान में लाने और अधिकारियों की उपस्थिति को सुनिश्चित किए जाने आदि सुझाव भी आए।