रविवार दिल्ली नेटवर्क
भोपाल : किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि भारतीय डाक विभाग और कृषि विभाग के मध्य हुआ एमओयू सुशासन की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इससे पौध-संरक्षण औषधियों के नमूनों की जाँच भारतीय डाक विभाग द्वारा आधुनिक फेसलेस तकनीक से कराई जायेगी। कृषि मंत्री श्री पटेल की उपस्थिति में एमओयू पर संचालक कृषि श्रीमती प्रीति मैथिल नायक और डाक विभाग के सहायक निदेशक श्री मनोज शुक्ला ने हस्ताक्षर किये।
कृषि मंत्री श्री पटेल ने बताया कि डाक विभाग से किये गये एमओयू से किसानों को दुकानदारों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी से बचाया जा सकेगा। आधुनिक फेसलेस तकनीक का उपयोग कर कृषि रसायनों और पौध-संरक्षण औषधियों के नमूने एकत्रित किये जाकर पोस्ट-ऑफिस द्वारा क्यूआर कोड प्रणाली का उपयोग कर प्रयोगशालाओं को भेजा जायेगा। इससे यह पता लगाया जाना संभव नहीं होगा कि किस दुकान का सैम्पल किस लैब में जाँच के लिये भेजा गया है। इससे पेस्टीसाइड की सैम्पलिंग प्रक्रिया पारदर्शी होगी। सैम्पलिंग में ईमानदारी और निष्पक्षता रहेगी। प्रक्रिया पूर्णत: गोपनीय भी होगी।
संचालक कृषि श्रीमती नायक ने बताया कि पूर्व में विक्रेताओं और वितरकों से संकलित किये गये कृषि रसायनों के नमूने विशेष वाहक, कोरियर अथवा पंजीकृत डाक से प्रयोगशालाओं को भेजे जाते थे। अब विभाग द्वारा कीटनाशक गुणवत्ता नियंत्रण के क्रियान्वयन तथा नियमित अनुश्रवण के लिये ऑनलाइन एकीकृत नमूने ट्रेकिंग एवं निगरानी प्रणाली प्रारंभ की गई है। इस प्रणाली में राज्य स्तर से गुणवत्ता के लक्ष्य निर्धारण, नमूना लेने एवं प्रयोगशाला को प्रेषित किये जाने की प्रक्रिया, विश्लेषण रिपोर्ट का जारी किया जाना आदि को डिजिटाइज किया गया है।
औषधियों के सैम्पल की जाँच प्रणाली में क्यूआर कोड प्रणाली का उपयोग कर सुरक्षित कोडिंग प्रक्रिया सुनिश्चित की गई है। कीटनाशक गुण नियंत्रण प्रयोगशाला द्वारा नमूने प्राप्त करने से लेकर विश्लेषण रिपोर्ट तक की प्रक्रिया को डिजिटाइज किया गया है, जिससे विश्लेषण रिपोर्ट तत्काल संबंधितों तक उपलब्ध होगी।