राजस्थान और मध्यप्रदेश के मध्य ‘श्रीकृष्ण गमन-पथ’ के रूप विकसित करने की घोषणा

Announcement to develop 'Shri Krishna Gaman-Path' between Rajasthan and Madhya Pradesh

  • मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की राजस्थान और मध्यप्रदेश के मध्य पड़ने वाले श्रीकृष्ण’ से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों और धार्मिक स्थलों को दोनों प्रदेशों की सरकारों द्वारा‘श्रीकृष्ण गमन-पथ’ के रूप विकसित करने की घोषणा
  • मेवाड़ के श्रीनाथ जी से गुजरात के शामला जी तक नया कॉरिडोर बनाने तथा कृष्ण भक्त मीरा से जुड़े स्थलों के धार्मिक स्थलों को भी जोड़ने की जरूरत

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

ब्रज भूमि भरतपुर के मूल निवासी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर राजस्थान और मध्यप्रदेश के मध्य पड़ने वाले लोक आस्था के केंद्र ‘प्रभु श्रीकृष्ण’ से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों और धार्मिक स्थलों को दोनों प्रदेशों की सरकारों द्वारा मिल कर ‘श्रीकृष्ण गमन-पथ’ के रूप विकसित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर राजस्थान से मध्यप्रदेश के मार्ग में पड़ने वाले उन सभी पवित्र स्थलों के दर्शन किए जो भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए हैं। साथ ही उन्होंने उज्जैन में प्रथम वैष्णव भगवान श्री महाकाल के पावन दर्शन कर पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना की।

इस दौरान उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के साथ मेरी बैठक के दौरान, हमने निर्णय लिया था कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना के अनुसार, दोनों प्रदेशों की सरकारें ‘श्री कृष्ण गमन पथ’ को विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगी ताकि दोनों राज्यों के नागरिक इस आध्यात्मिक अनुभव का आनंद ले सकें।

मुख्यमंत्री ने बताया कि श्रीकृष्ण ने मथुरा से भरतपुर और कोटा के रास्ते उज्जैन तक आध्यात्मिक यात्रा की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने महर्षि सांदीपनि के आश्रम (उज्जैन) में शिक्षा ग्रहण की थी। इसलिए मथुरा से सांदीपनि आश्रम तक जाने वाले मार्ग को राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की सरकार संयुक्त रूप से विकसित करेंगी। इस ‘श्रीकृष्ण गमन पथ’ पर श्री कृष्ण के जीवन काल से जुड़े तथा पौराणिक आस्था के स्थानों को चिन्हित कर उनका विकास किया जाएगा।जहाँ-जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के पावन चरण पड़े, उन सभी स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा। जगद् गुरु भगवान श्री कृष्ण का लीलामयी जीवन ‘श्रीकृष्ण- गमन पथ’ के माध्यम से हमारे प्रेरणा केंद्र के रूप में स्थापित होगा।उन्होंने बताया कि हम इस ऐतिहासिक मार्ग को विकसित करने का काम करेंगे। लोक आस्था के केंद्र ‘प्रभु श्रीकृष्ण’ से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों एवं धार्मिक स्थलों को ‘श्रीकृष्ण गमन-पथ’ के रूप में विकसित करने के लिए मार्ग में पड़ने वाले मंदिरों जैसे भरतपुर में बांके बिहारी मंदिर, कोटा में श्री मथुराधीश मंदिर, झालरापाटन में श्री द्वारकाधीश मंदिर तथा अन्य तीर्थ स्थानो का सौंदर्यीकरण किया जाएगा, विकास कार्य किए जाएंगे और तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि भगवान कृष्ण धर्म के प्रतीक हैं और उनका जीवन आज भी हमें प्रेरित करता हैं। सुदर्शनधारी श्री कृष्ण भगवान ने भगवतगीता के माध्यम से पूरी दुनिया को कर्म एवं धर्म का संदेश दिया है। उनका भगवतगीता का संदेश पूरी मानव जाति के लिए अमूल्य धरोहर है।

इसके पूर्व मुख्यमंत्री शर्मा ने कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भरतपुर के डीग के पूंछरी का लौठा स्थित मुखारविंद मंदिर में सपत्नीक अभिषेक किया और श्रीनाथ जी मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए कामना की। शर्मा ने श्रीनाथजी के मंदिर में फल-फूल अर्पित कर श्री कृष्ण की आरती की तथा प्रदेश की 8 करोड़ जनता की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।

राजस्थान में ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का अम्बार है। विदेशी पर्यटकों के साथ देशी पर्यटक लाखों की संख्या में बारह मास राजस्थान की यात्रा करते है।प्रदेश के कई लक्खी मेले विश्व विख्यात है। राजस्थान सभी धर्मों और संस्कृतियों का केन्द्र स्थल है।धार्मिक पर्यटन से प्रदेश को खरबों की आमदनी होती है। धार्मिक पर्यटन को और अधिक सुनियोजित और सुव्यवस्थित करने के लिए राज्य सरकार को धार्मिक पर्यटन की एक नई नीति भी करनी घोषित करनी चाहिये।

राजस्थान सरकार को बृज से उज्जैन के ‘श्रीकृष्ण गमन-पथ’ की तर्ज़ पर मेवाड़ के चारभुजा ,श्रीनाथ जी , द्वारिकाधीश, एकलिंग जी , घसियार और ऋषभ देव तथा डूँगरपुर के श्रीनाथ जी मन्दिर से गुजरात के शामला जी मंदिर तक एक नया धार्मिक कॉरिडोर बनाने तथा प्रदेश में स्थित कृष्ण भक्त मीरा से जुड़े विभिन्न स्थलों को भी इससे जोड़ने की जरूरत है। वैसे आमेर स्थित कृष्ण मंदिर और जयपुर के गोविंद देव जी मन्दिर से जैसलमेर तक प्रदेश में अनेक ऐतिहासिक कृष्ण मंदिर हैं।प्रदेश को चार अलग अलग भागों में विभाजित कर धार्मिक सर्किट विकसित किया जा सकता गई। भजन लाल सरकार ने खाटू श्याम जी और सालासर मंदिर विकास के लिए राज्य के बजट में 100 करोड़ रू का प्रावधान भी किया हैं।

देखना है राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर प्रदेश में और कितने धार्मिक सर्किट विकसित करती गई जिससे लोगों की धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं की पूर्ति होने के साथ ही सरकार की राजस्व आमदनी में भी वृद्धि हो सकेंगी?