उसानस फाउंडेशन, महाराणा प्रताप का वार्षिक जियोपॉलिटिकल डायलॉग-2025 सम्पन्न

Annual Geopolitical Dialogue-2025 of Usanas Foundation, Maharana Pratap concluded

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली/उदयपुर /जयपुर : उसानस फाउंडेशन द्वारा विदेश मंत्रालय की साझेदारी में आयोजित महाराणा प्रताप वार्षिक जियोपॉलिटिकल डायलॉग-2025 का चौथा संस्करण हाल ही जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में केन्द्रीय विदेश एवं पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह, इजराइल के भारत में राजदूत रूवेन अज़ार,अर्मेनिआ के राजदूत अफयान और नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।

अमेरिका, ग्रीस, आर्मेनिया, यूरोप, इजराइल सहित कई देशों के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि और विशिष्ट गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए. इसके अतिरिक्त, सम्मेलन में फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत एंबेसडर मोहन कुमार, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल श्री तेजेंद्र खन्ना, पूर्व अमेरिकी पेंटागन अधिकारी डॉ. माइकल रबिन, जीवविज्ञानी क्रिस्टीनामार्डी, इजराइल की सेवानिवृत्त कर्नल मिरयम रूथ, आर्मेनियाके प्रधानमंत्री कार्यालय के जनसंपर्क और सूचना केंद्र के निदेशक गोर त्सारुक्यान, पूर्व बांग्लादेशी राजनयिक एस. एम. सैफुल हक सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ शामिल हुए।

“बिल्डिंग टुमारो-शेपिंग द फ्यूचर“

थीम पर केंद्रित इस उच्च स्तरीय सम्मेलन का शुभारम्भ करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने महाराणा प्रताप को श्रद्धांजलि अर्पित की और कूटनीति और राज्य की संप्रभुता बनाए रखने की उनकी बेजोड़ प्रतिबद्धता पर महाराणा प्रताप के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रौद्योगिकी, बहुध्रुवीयता, आपसी सम्मान, और नई विश्व व्यवस्था में पुरानी सभ्यताओं की भूमिका पर भी विचार साझा किए।

इजराइल के राजदूत रूवेन अज़ार ने आतंकवाद को विश्व की सबसे गंभीर समस्या बताते हुए भारत और इजराइल के द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने पर बल दिया।अर्मेनिआ के राजदूर अफयान ने अर्मेनिआ के साथ भारत के सम्बंधों पर चर्चा की। एम्बेसडर अनिल त्रिगुणायत ने रूस, चीन, अमेरिका के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ब्रिक्स और डब्ल्यूटीओ से बाहर रहने के निर्णय पर गहन चर्चा की।

उसानस फाउंडेशन के संस्थापक डॉ अभिनव पंड्या ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में वैश्विक चुनौतियों जैसे आतंकवाद, यूरोप में अस्थिरता, साइबर कूटनीति, और जलवायु परिवर्तन आदि विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया । डॉ पंड्या ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के फायदे और उभरते चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की गई ।