धर्मेंद्र मिश्र
ब्राह्मण, अनुसूचित जनजाति या फिर मुस्लिम ? कौन होगा देश का नया राष्ट्रपति? आगामी 25 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिलना है I वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो जायेगा और उससे पहले नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है I राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। एक तरह भाजपा विरोधी दल अपने हिसाब से उम्मीदवार उतारने के लिए एकजुट हो रहे हैं, वही भाजपा में भी नए उम्मीदवार को लेकर मंथन जारी है I
सूत्रों के अनुसार भाजपा में इन तथ्य को लेकर मंथन जारी है कि उम्मीदवार ब्राह्मण होगा या अनुसूचित जनजाति का या फिर मुस्लिम ? इस आधार पर जहा ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में कलराज मिश्रा, तो अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के रूप में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके और मुस्लिम उम्मीदवार के रूप में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के नाम अब तक चर्चा में सामने आये हैं I हालाँकि अभी तक किसी भी नाम पर सहमति नहीं बनी है I इसके बावजूद भाजपा यह चाहती है कि अपनी ओर से वह ऐसे उम्मीदवार को सामने लाये, जिससे विपक्ष जिस तरह की खेमेबाजी करने की कोशिश कर रहा है, उसे तोडा जा सके I
फ़िलहाल संख्याबल के आधार पर भाजपा को राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी तरह की कोई समस्या होगी, ऐसा दिखाई नहीं देता है I इसके बावजूद विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के लिए समस्या पैदा करने की कोशिश में जुटे है I पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस को दरकिनार कर एक अलग खेमा बनाने में जुटी हुई है I उनकी इस मुहिम में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन पूरी तरह साथ दे रहे हैं I पिछले दिनों इन नेताओं ने अपने खेमे में आंध्रप्रदेश की मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी और उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को अपने खेमे में लाने के लिए बातचीत की थी I लेकिन सूत्रों का कहना है कि आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के मुख्यमंत्री ने भाजपा के विरुद्ध जाने से इंकार कर दिया है I
ममता बनर्जी की तरह कांग्रेस भी अपने ढंग से पूरी कोशिश कर रही है कि राष्ट्रपति चुनाव में वह विपक्ष के मुख्य चेहरे के रूप में सामने आये I लेकिन कांग्रेस की इस उम्मीद पर ममता बनर्जी पलीता लगाने में जुटी हैं, वही ममता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का पूरा जोर यह है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार को विपक्षी उम्मीदवार के रूप में सामने लाये जाए, जिससे भाजपा उम्मीदवार की जीत खतरे में पड़ सके I यह बात सच है कि एक राजनेता के रूप में शरद पवार का अपना एक कद है और हर दल के साथ उनके सम्बन्ध सहज भी है I अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस को भी कहीं न कहीं झुक कर पवार का ही समर्थन करना होगा I यही कारन है कि कांग्रेस किसी भी तरह राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की मुहिम की अगुवाई करने की कोशिश में अपना उम्मीदवार सामने लाने की तैयारी में है, जिसके आधार पर विपक्ष कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट हो सके I इस बारे में कांग्रेस के होने वाले चिंतन शिविर में चर्चा होने की पूरी उम्मीद व्यक्त की जा रही है I कहना गलत नहीं होगा कि चिंतन शिविर के बाद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और इस चुनाव के लिए गठबंधन की राजनीति में कांग्रेस दूसरी भूमिका में नजर आ सकती है।
विपक्ष की उम्मीद अबकी बार इस तथ्य पर टिकी हुई है कि अबकी बार भाजपा और उसके समर्थन वाले दलों के वोट पिछले चुनाव से काफी कम है I जानकारी के अनुसार 2017 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद चुने गए थे, तो 21 राज्यों में भाजपा गठबंधन की सरकार थी I उस समय राष्ट्रपति कोविंद 65.65 प्रतिशत वोट से चुनाव जीतने में सफल हुए थे और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को मात्र 34.35 प्रतिशत वोट ही मिले थे I लेकिन अबकी बार भाजपा और उसके समर्थक दलों की 17 राज्यों में ही सरकारें हैं। एक तरह महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्य में अब भाजपा विरोधी दलों की सरकार है, तो शिवसेना, टीडीपी और अकाली दल जैसे दल भी भाजपा खेमे से बाहर हैं। सिर्फ जेडीयू भाजपा के साथ आई है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में जेडीयू किसका समर्थन करेगी? अभी यह कहना जल्दबाजी ही होगी I स्थितियों को भाजपा के रणनीतिकार भी समझ रहे हैं I इसीलिए वह ऐसे उम्मीदवार को सामने लाने का मन बना रहे हैं जिससे विपक्ष की मुहिम को झटका दिया जा सके I देखना यह होगा कि आने वाले समय में भाजपा किसको अपना उम्मीदवार घोषित करती है ? फिलहाल अब तक आरिफ मोहम्मद खान, अनुसुइया उइके और कलराज मिश्रा के नाम पर ही सबकी निगाह टिकी है I कारण यह है कि आरिफ मोहम्मद खान जहां एक निष्पक्ष अल्पसंख्यक के रूप मंं पहचाने जाते हैं, वहीं अनुसूचित जाति की महिला के रूप में अनुसुइया उइके राष्ट्रपति पद की दावेदारी के रूप में विपक्ष की रणनीति को तोड़ने में सफल हो सकती हैं I इसके साथ ही ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में कलराज मिश्रा का नाम इसलिए भी सामने आ रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए चुनाव में ब्राह्मण मतदाताओं के नाराज होने की कई खबरे सामने आयी थीI हालाँकि भाजपा ने चुनाव में जीत तो हासिल कर ली पर आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा पूरी कोशिश करेगी की उत्तर भारत में ब्राह्मण मतदाता पार्टी से दूर न जाने पाए I ऐसे में कलराज मिश्रा की उम्मीदवारी भविष्य में भाजपा के लिए रामबाण सिद्ध हो सकती है I फ़िलहाल देखना यह होगा कि आने वाले समय में सत्ता पक्ष और विपक्ष के उमीदवार के रूप में ऐसा कौन सा नाम सामने आता है, जो देश के राष्ट्रपति पद को सुशोभित करेगा I