आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से स्वास्थ्य क्षेत्र में आएगी क्रांति

डॉ रघुवीर चारण

पिछला दशक तकनीक विकास के मामले में हमारी जिंदगी में क्रांति लेकर आया है इसमें दो प्रमुख है औद्योगिक क्रांति और इंटरनेट क्रांति | औद्योगिक क्रांति ने कई नई विचारधाराओं को जन्म दिया। अगर ओद्योगिक क्रांति की शुरुआत नहीं होती, तो शायद ही कम्युनिज्म और पूंजीवाद जैसी विचारधारा आधुनिक विश्व के पटल पर अपना साकार रूप ले पाती। औद्योगिक क्रांति के चलते ही कई नई खोजों को अंजाम दिया गया। इसने आज के इस आधुनिक विश्व को गढ़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इंटरनेट क्रांति में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग विषय चर्चा का विषय बना हुआ है।

स्वास्थ्य सेवाओं में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल हो तो स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो सकती है अब वो दिन दूर नहीं है जब रोबॉटिक्स डॉक्टर व नर्सिंग उपचार करते चिकित्सालय में मिल जायेंगे। स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई के आगमन से नई क्रांति इज़ाद हुई है विकसित देशों के साथ साथ विकासशील देशों में भी एआई से स्वास्थ्य ढाँचे में नवाचार आया है ।

हालही में अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक सिंगल एक्स रे की सहायता से हृदय रोग से सम्बंधित विकार हार्ट अटैक, स्ट्रोक व भविष्य में होने वाले रोगों का पता चल सकेगा यानि आने वाले 10 सालों में आपकी हृदय प्रणाली कैसे काम करेगी । इन अनुमानों के पीछे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक काम करेगी इस अध्ययन में करीब 11 हजार लोगों पर सर्वे किया गया।

एआई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अर्थात कृत्रिम बुद्धिमता वह होती है जिसके द्वारा कंप्यूटर में मानव बुद्धि के समान सोचने, समझने तर्क वितर्क करने की क्षमता विकसित करना। इसकी खोज 1950 के दशक में जॉन मैकार्थी ने की। बीते कुछ सालों में एआई सेक्टर में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली आज खेल, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, पर्यावरण में भी एआई की अहम् भूमिका है।
स्वास्थ्य में रोग का सटीक नेदानिक परीक्षण समय पर हो तो मृत्यु दर को कम किया जा सकता है एआई से व्याधियों की पहचान को गति मिलेगी जिससे रोगों का उपचार जल्द होगा । विकासशील देशों में जहाँ स्वास्थ्य का आधारभूत ढांचा कमजोर हैं वहाँ पर इस आधुनिक तकनीक का प्रयोग मील का पत्थर साबित होगी। हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या स्वास्थ्य संसाधनों की कमी प्रमुख समस्या है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से इनके बीच समनव्य स्थापित किया जा सकेगा।

यदि हमें जीनोम सिक्वेंसिंग करनी हो तो मानव बुद्धि से इस कार्य में कई त्रुटियां मिलेंगी समय भी अधिक लगेगा इसी कार्य को कम्प्यूटर या मशीनों (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से किया जाए तो शीघ्रता से सटीक परिणाम मिलेंगे। महामारी काल में इसका अनुप्रयोग विभिन्न देशों में किया गया।

भारत में एआई से स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार मिलेगा ग्रामीण एवम् शहरी क्षेत्रों के बीच असमानता को दूर किया जा सकेगा देश का स्वास्थ्य ढाँचा तभी मजबूत होगा जब हमारी प्राथमिक स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएँ सुदृढ होंगी योग्य पेशेवरों और योग्य डॉक्टरों, नर्सों, टेक्नीशियन और बुनियादी ढांचे जैसी सेवाओं की कमी को दूर किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से स्वास्थ्य सेवा सस्ती और सुलभ हो जाएगी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता और पहुंच में अत्यधिक वृद्धि होगी।

एआई से अप्रशिक्षित कर्मियों व प्रयोगशाला बाधाओं को दूर किया जायेगा इस तकनीक से असाध्य बीमारियों का का शीघ्र निदान , परीक्षण करने से उपचार व रोकथाम में सहायता मिलेगी । कैंसर जैसी घातक बीमारी में ट्यूमर का पता करना बहुत कठिन है एआई से इसका पता जल्द मिलेगा जिससे रोगियों को समय पर उपचार मिलेगा स्तन कैंसर के रोगियों की मेमोग्राफी के ऐतिहासिक डेटा का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है। एआई घातक बीमारीयों के बेहतर उपचार की योजना बनाने में मदद करेगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बीमारियों के बारे में समय पर संकेत मिल जाते हैं- जैसे कि सांस लेने का अनियमित पैटर्न, रक्तचाप के पैटर्न में बदलाव, या वजन में तेजी से कमी, हृदय, मधुमेह और महामारी काल में विषाणु, जीवाणु संक्रमण की रफ़्तार व स्वरूप का पता मिलेगा । नैदानिक परीक्षणों में आने वाली गलतियां कम होगी चिकित्सकों को उपचार करने में आसानी होगी।
कृत्रिम चश्मों, कृत्रिम रोबॉट, यंत्रों से विंकलांगता बहरापन आँखों से संब्ंधित् विकारों में आधुनिक तकनीक से कार्य सुगम होगा। चिकित्सा में अनुसंधान में तेजी आएगी।

विकसित देश अमेरिका, रूस ने तकनीक में महाशक्तिशाली बनने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सालाना खर्च में काफी वृद्धि की है एआई तकनीक पर विकसित देशों में आपसी कड़ी प्रतिस्पर्धा है क्योंकी रक्षा क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का योगदान अहम है।

नीति आयोग के अनुमान के अनुसार एआई को अपनाने और बढ़ावा देने से साल 2035 तक भारत की जीडीपी 957 बिलियन डॉलर वृद्धि के साथ भारत की वार्षिक वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से आमजन को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध होगी।।