’कलाकार‘ ललित उपाध्याय ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को कहा अलविदा

'Artist' Lalit Upadhyay said goodbye to international hockey

  • पेनल्टी शूटआउट में अखरेगी की ललित की कलाकारी से गोल करने की कला
  • ललित का स्थान लेने के लिए अब रहेगी उत्तम और अरिजित हुंडल में होड़

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : दद्दा ध्यानचंद के बाद भारत ही नहीं दुनिया के हॉकी के सबसे बड़े कलाकारों में एक मोहम्मद शाहिद जैसे कलाकारों की नगरी कहे जाने वाले बनारस (वाराणसी) के बाशिंदे उन्हीं की तरह अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में एक दशक से अपनी कलाकारी दिखा भारतीय हॉकी प्रेमियों को मोहित करने वाले लगातार दो बार ओलंपिक में कांसा जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय ने रविवार रात अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने की घोषणा कर दी। ललित उपाध्याय की हॉकी पर गेंद के साथ उनकी रफ्तार भले ही अब कुछ कम हो गई हो लेकिन उनकी हॉकी की कलाकारी में आज भी पहले जैसी है। ललित ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने की घोषणा भारत के बेल्जियम के खिलाफ एफआईएच प्रो हॉकी लीग 2024-25 के यूरोपीय चरण के खिलाफ आखिरी मैच के बाद सोशल मीडिया पर की। ललित एफआईएच प्रो लीग 2024 25 के यूरोपीय चरण में आठ में चार मैच खेले और भारत के लिए आखिरी मैच 15 जून का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला और इसमें भारत को 2-3 से हार झेलनी पड़ी थी। इसके साथ ही ललित के शानदार अंतर्राष्ट्रीय हॉकी करियर का समापन हो गया। ललित उपाध्याय ने भारत के लिए अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच 31 मई, 2014 को बेल्जियम के खिलाफ एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप में हेग (नीदरलैंड) में खेला और इसमें भी उनके आखिरी मैच की तरह भारत को 2-3 से हार झेलनी पड़ी थी। अब भारत के लिए ललित उपाध्याय की जगह लेने के लिए उन्हीं तरह बनारस के ही उत्तम सिंह, जूनियर भारतीय हॉकी टीम के कप्तान अरिजित सिंह हुंडल में खासी होड़ रहेगी।

बनारस के भक्तापुर गाव के 31 बरस के ओलंपियन ललित उपाध्याय ने भारत के लिए अपना अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच व टूर्नामेंट 2014 में हेग (नीदरलैंड) में ओलंपियन सरदार सिंह की कप्तानी में एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप के रूप में खेला। तभी से ललित से मेरा परिचय हुआ तो तभी से मैंने उन्हें बराबर ‘पंडित’ कह कर पुकारा और उसी शालीनता से , हां भाई साहब कह कर हॉकी पर हर सवाल का उन्होंने जवाब दिया। ललित ने भारत के 183 अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच खेले और 67 गोल किए। 2011 से हॉकी में मैच के निर्धारित समय में ड्रॉ रहने पर फैसले के लिए पेनल्टी स्ट्रोक के जरिए टाईब्रेकर का नियम खत्म होने के बाद पेनल्टी शूटआउट का नियम लागू किया गया। पेनल्टी शूटआउट में स्ट्राइकर को 23 मीटर अथवा 25 गज की रेखा से आठ सेकंड के भीतर गोलरक्षक को छका गोल करना होता है। पेनल्टी शूटआउट में अपनी हॉकी की कलाकारी से गोल करने में ललित उपाध्याय बेजोड़ और बराबर गोल करने में कामयाब रहे। भारत को ललित उपाध्याय के मैदानी गोल करने और पेनल्टी कॉर्नर दिलाने के साथ अब -पेनल्टी शूटआउट में उनकी कलाकारी से गोल करने की कला।

ललित उपाध्याय के पास हॉकी की कलाकारी के साथ वक्त पर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को डी के डॉज देकर गोल करने की कला तो थी उन्होंने पेनल्टी कॉर्नर बनाना भी खूब आता था। भारत को बतौर स्ट्राइकर ललित उपाध्याय की हॉकी की कलाकारी और डी के भीतर चतुराई बहुत अखरेगी। ललित उपाध्याय भारत की 2020 की टोक्यो ओलंपिक और 2024 में पेरिस ओलंपिक में कांसा जीतने वाली टीम के सदस्य रहे। टोक्यो ओलंपिक में चोट के चलते हालांकि वह कुछ ही मैचों में खेल पाए लेकिन जिन भी मैचों में खेले उनमें उन्होंने अपनी कलाकारी दिखाई। ललित उपाध्याय ने हॉकी का ककाहरा उन्होंने अपने गांव के भगतपुर करीब 45 किलोमीटर दूर कर्मपुर के तेजू (तेज बहादुर सिंह) भाई की हॉकी एकादमी से सीखा। शुरू में ललित कर्मपुर में ही रहे और पढ़े भी। तेजू भाई की अकादमी ने भारत को राज कुमार पाल और उत्तम सिंह जैसे बेहतरीन हॉकी स्ट्राइकर और स्कीमर दिए। ललित उपाध्याय तेजू भाई की हॉकी अकादमी में हॉकी की बेसिक्स सीखने के बाद बनारस के देश को विवेक सिंह और राहुल सिंह सेंटर हाफ की विरासत को बढ़ाने वाले यूपी(उदय प्रताप ) इंटर कॉलेज में परमानंद मिश्रा के मार्गदर्शन में हॉकी खेलने और अपना हॉकी कौशल मांजने चले आए। भारतीय हॉकी टीम में ललित उपाध्याय को उनकी हॉकी की कलाकारी और खुद गोल करने के साथ गोल के अभियान बनाने वाले बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी के रूप में की जाएगी।

ललित उपाध्याय ने भारत को दो ओलंपिक में कांसा जितरने के साथ 2016 में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में एशिया कप खिताब, 2017 में हॉकी वर्ल्ड र्लीग फाइनल में कांसा, 2018 में एफआईएच पुरुष चैंपियंस ट्रॉफी में रजत, 2018 के एशियाई खेलों में कांसा, 2018 पुरुष एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण, 2020-21 एफआईएच प्रो लीग में तीसरे स्थान तथा 2022 में हांगजू एशियाइर् खेलो में स्वर्ण पदक जीतने वाली भातरीय टीम के सदस्य रहे और 2021 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया।
ललित उपाध्याय दुनिया के टैरी वाल्श, रोलेंट ओल्टमैंस, हरेन्द्र सिंह, ग्राहम रीड और क्रेग फुल्टन जैसे धुरंधर हॉकी उस्तादों के मार्गदर्शन में भारत के लिए खेले। ललित उपाध्याय से पहले बनारस (वाराणसी) के मोहम्मद शाहिद (1980,1984 ,1988) लगातार तीन , विवेक सिंह (1988) और उनके छोटे भाई राहुल सिंह (1996) भारत की ओलंपिक में हॉकी में नुमाइंदगी की।

ललित उपाध्याय ने रविवार 22 जून को अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने की घोषणा करते हुए कहा, ‘मेरी हॉकी यात्रा बनारस के पास एक छोटे से गांव से सीमित संसाधनों से शुरू से अपने लिए अनंत सपनों के साथ शुरू हुई। स्टिंग ऑपरेशन का सामना करने से लेकर ओलंपिक में एक बार नहीं दो बार- 2020 टोक्यो और 2024 पेरिस ओलंपिक- में भारत को कांसा जैसे चुनौतियों से गुजरते हुए भारतीय हॉकी के लिए गौरव गाथा लिखना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं अपने शहर बनारस से 28 बरस बाद ओलंपिक में खेलने वाला हॉकी खिलाड़ी बना। यह मेरे लिए गर्व की बात है। मेरे करियर को संवारने में मेरे शुरुआती दिनों के कोच तेजू भाईया, यूपी कॉलेज में परमानंद मिश्र, हरेन्द्र सर, जिन्होंने मुझे एयर इंडिया में पहला ब्रेक दिया का अहम योगदान रहा। मैं भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) का भी आभारी हूं, जहां मैंने आठ बरस नौकरी की और अपना खेल निखारा। मैं हॉकी इंडिया का भी आभारी हूं, जिसने मुझे भारत की अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में नुमाइंदगी करने का मौका दिया। साथ ही मैं उत्तर प्रदेश सरकार का आभारी हूं,जिसने मरी हॉकी यात्रा का सम्मान कर मुझे डीएसपी नियुक्त किया, जिसे मैं पूरी शिद्दत से निभाने को तत्पर हूं।‘