राजस्थान विधानसभा में नवाचारों की पहल कर रहे है विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी

Assembly Speaker Vasudev Devnani is initiating innovations in Rajasthan Assembly

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान विधानसभा के 18वें अध्यक्ष वासुदेव देवनानी विधानसभा में कई नए नवाचारों की पहल कर रहे है । वे सौहलवीं विधानसभा का निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए तथा इस माह अपना छह माह का कार्यकाल पूरा कर चुके है। वासुदेव देवनानी राजस्थान विधान सभा में पांचवी बार चुन कर आए है। वे वर्तमान में राजस्थान के हृदय स्थल और पृथ्वीराज चौहान तथा अंग्रेजों के शासन काल में राजपुताना का केन्द्र रहे एवं तीर्थ राज पुष्कर और अजमेर की प्रसिद्ध सूफी मोइनुद्दीन चिश्ती की ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर शरीफ दरगाह के लिए प्रसिद्ध अजमेर उत्तर के विधायक है। हमेशा मुस्कराने वाले सहज, सरल,सौम्य और शालीन स्वभाव वाले वासुदेव देवनानी एक अनुभवी राजनीतिज्ञ है। वे वर्षों से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए है।

पेश में अध्यापक देवनानी ने वर्षों तक उदयपुर की विद्या भवन सोसायटी में अपनी सेवाएं दी। बाद में वे जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य बने तथा पार्टी संगठन के विभिन्न पदों में रहने के साथ ही कालान्तर में विधायक एवं मंत्री बने। देश की नवीन शिक्षा नीति के निर्माण में उनका अतुल्य योगदान रहा है। भाजपा की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्रित्व काल में प्रदेश के शिक्षा मंत्री, संस्कृत अल्प भाषाई विभाग आदि के मंत्री रहते हुए उन्होंने स्कूलों के पाठ्यक्रम में आमूल चूल परिवर्तन कर तथा महाराणा प्रताप महान है और अन्य कई महान हस्तियों वीर सावरकर,पण्डित दीन दयाल उपायाय ,श्यामा प्रसाद मुखर्जी , सरदार वल्लभ भाई पटेल ए पी जे अब्दुल कलाम अटल बिहारी वाजपेई, के सी सुदर्शन आदि 200 से अधिक हस्तियों के चेप्टर स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करवा कर वे देश भर में चर्चित हुए थे। वे भारत सरकार द्वारा गठित देश के शिक्षा मंत्रियों की नो डिटेक्शन उप समिति के अध्यक्ष भी रहे। शिक्षा में गुणात्मक सुधार तथा राजस्थान को राष्ट्रीय रैंकिंग में देश के पहले दो प्रदेशों में लाने में उनका अतुलनीय योगदान रहा।

राजस्थान विधानसभा का निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना उनके विशाल व्यक्तित्व और कृतित्व को दर्शाता है। अपने ढाई माह के अल्प कार्यकाल में ही उन्होंने अपनी कार्य कुशलता और असीम क्षमताओं का बखूबी प्रदर्शन कर दिखाया है और प्रदेश की भजन लाल शर्मा की सरकार को असहज स्थिति से भी बाहर निकाला है। उन्होंने विधान सभा में अपने पहले उद्बोधन में ही स्पष्ट कर दिया था कि वे शिक्षक पृष्ठ भूमि से आए है और एक शिक्षक के लिए सभी विद्यार्थी एक समान होते है और शिक्षक परीक्षा की कॉपी में दिए गए सवालों के जवाब सही गलत होने के आधार पर बिना भेदभाव के उनका मूल्यांकन करता है। इसके साथ ही शिक्षक को अनुशासन सबसे प्रिय लगता है लेकिन कोई उसे तोड़ता है तो उसे सजा भी भुगती होती है। देवनानी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विधान सभा में ऐसी कोई दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां उत्पन्न नहीं होंगी और वे अपने पूर्ववती अध्यक्षों की तरह राजस्थान विधान सभा की गौरव शाली परंपराओं का निर्वहन करने में सफल होंगे। नवाचार पहलों को साकार करना शुरू किया विधान सभा अध्यक्ष बनते ही देवनानी ने राजस्थान विधानसभा में नवाचारों की शुरुआत करवा कर अपनी नवाचार पहलों को साकार करना शुरू कर दिया है।

सर्व प्रथम वासुदेव देवनानी ने जो नवाचार शुरू किए उनमें नए विधायकों का प्रशिक्षण शिविर शामिल है। इस बार विधानसभा में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा सहित अधिकांश नेता पहली बार विधायक बने है। राजस्थान की 16 वीं विधानसभा में दौ सौ विधायकों में से इस बार 71नए विधायक चुन कर आए हैं जिनमें कई युवा हैं,यहां तक कि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भी जयपुर के सांगानेर सीट से पहली बार विधायक (एमएलए) बने है। विधायकों के प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन राज्य सभा के सभापति उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और समापन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से कराया l शिविर में विधायकों को कई प्रकार के संसदीय टिप्स दिए गए। विधायकों की यह पाठशाला काफी सफल और नए विधायकों को विधायी प्रक्रियाओं नियमों कार्य प्रणाली प्रश्नोत्तर आदि के संदर्भ में उपयोगी रही। वक्ताओं ने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी पक्ष और विपक्ष दोनों की है,इसलिए हर विधायक की जिम्मेदारी बन जाती है कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के कल्याण और विकास की और वहां के लोगों के भरोसे पर खरा उतरें। साथ ही जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राज्य के प्रमुख विषयों को सदन में उठाएं। भले ही आप एक विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं, लेकिन आपके कंधों पर पूरे राजस्थान के कल्याण की जिम्मेदारी है। विधायको के प्रक्षिषण शिविर के अलावा देवनानी ने विधानसभा का हर सत्र प्रारंभ होने से पहले संसद की तरह सर्वदलीय बैठक कराने की परंपरा भी शुरू की। देवनानी की इस दूरदर्शी सोच का लाभ विधान सभा में रखे गए लेखानुदान अंतरिम बजट और सदन की अन्य बैठकों में भी दिखाई दिया।

विधानसभध्यक्ष देवनानी ने संसद की तरह राजस्थान विधानसभा का अपना टीवी भी शुरू कराया है जिस पर विधानसभा से जुड़ी खबरें और सत्र का सजीव प्रसारण कराया गया। प्रारंभ में यह चैनल डिजिटल फॉर्मेट में शुरू हुआ हैं। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी विधानसभा से जुड़े नवाचार के बारे में बताते है कि विधान सभा में पक्ष विपक्ष कैसे कार्य करें और कितने दिन विधानसभा चले, कितने समय के लिए चले इसकी एक रूपरेखा तय की जा रही है। उन्होंने कहा कहा कि मेरी राय में विधानसभा 60 दिन चलनी चाहिए, लेकिन विधानसभा 25 से 30 दिन तक ही चलती है। इसलिए मेरा प्रयास होगा कि विधान सभा कम से कम 40 से 45 दिन चले और धीरे धीरे हम उसे 50 से 60 लेकर जाए। साथ ही देवनानी ने कहा कि विधानसभा का टीवी चैनल, विधान सभा की कार्यवाही का डिजिटलाइजेशन सहित विधानसभा में कई अन्य नवाचार भी किए जाने उनके जेहन और प्राथमिकताओं में शामिल है। वासुदेव देवनानी ने कहा कि मेरा मानना ही कि विधानसभा सभा में सार्थक बहस हो, जनता के सारे मुद्दे उसमें उठे और सब लोग उसमें मिल कर जनता की समस्याओं के समाधान के कारक बने। सत्ताधारी दल भी विपक्ष की बात सुने और विपक्ष भी सत्ताधारी दल के निर्णय को लागू कराने में सहयोग करें, तो निश्चित विधानसभा अच्छी चलेगी।

विधानसभा को पेपरलेस बनाने की कोशिश वासुदेव देवनानी ने एक और नवाचार की चर्चा करते हुए कहा कि जब विधायक था तब देखा कि सरकारें एक ही दिन में 8-8 बिल पारित करवाती थी जोकि उचित नही कहा जा सकता। एक दिन में एक ही बिल पास होना चाहिए, ताकि हर विधायक तैयारी करके आ सकें. उन्होंने बताया कि विधान सभा में पहली बार सर्वदलीय बैठक का आयोजन भी किया है। साथ ही हमारा प्रयास है कि विधान सभा की विभिन्न समितियों का काम भी प्रभावी ढंग से हो उसके लिए भी नई-नई बातें सोची जा रही है। धीरे-धीरे विधानसभाएं पेपरलेस हो रही है और राजस्थान विधानसभा भी 80 प्रतिशत तक पेपर लेस हो चुकी है तथा प्रयास है कि इस बार पूरी पेपर लेस हो जाए। विधायकों के टेबल पर लगेगी स्क्रीन देवनानी ने बताया कि हमारा प्रयास है कि नई संसद की तरह हर विधानसभा सदस्य के टेबल पर एक स्क्रीन और लेपटॉप लग जाए, जिससे सदस्य का काम आसान हो जाएगा। देवनानी ने बताया कि विधान सभा प्रश्नों के लिए हमने प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के निर्देश दिए हैं कि एक सदन के सारे प्रश्नों के उत्तर अगले सत्र से पहले विधायकों को उपलब्ध कराएं जाने चाहिए। साथ ही आम जनता तक डिजिटल माध्यम से विधानसभा की बात पहुंचे,इसके लिए हम हेल्प डेस्क शुरू कर रहे हैं। साथ ही व्हाट्सएप चैनल भी तुरंत शुरू करने का विचार हैं। विधान सभा के टी वी चैनल के माध्यम से हर सदस्य जो अपने क्षेत्र के मुद्दे विधानसभा में उठा रहा है, उसका सीधा प्रसारण, जैसे लोकसभा और राज्यसभा का चैनल से होता है उसी प्रकार के प्रसारण की व्यवस्था की जा रही है। यहीं नहीं जो सदस्य अपने क्षेत्र में उद्भूत काम कर रहा है, उसकी चर्चा भी सदन में होनी चाहिए।जैसे कर्नाटक विधानसभा में सत्र के एक या दो दिन ऐसे रखे जाते है जिसमें विधायको द्वारा सामाजिक क्षेत्र में किए जा रहें कामों पर चर्चा होती है।

विधान सभा का डिजिटल म्यूजियम विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर विधान सभा का डिजिटल म्यूजियम राजनैतिक आख्यान संग्रहालय देश के पर्यटन नक्शे में जोड़ा गया हैं। यह संग्रहालय राज्य की समृद्ध संस्कृति और राजनैतिक इतिहास को प्रदर्शित करता है।इस संग्रहालय में राजस्थान राज्य के निर्माण में भागीदार रहें निर्माताओं के योगदान, वर्तमान राजस्थान एवं उसकी संरचना, विधान सभा की कार्यप्रणाली एवं विभिन्न प्रक्रियाएं, राजस्थान राज्य के मुख्यंमंत्री तथा विधानसभा के अध्यक्षगण के साथ ही राजस्थान के निर्वाचन क्षेत्र और विधायकों की जानकारी को एक स्थान पर देखा जा सकता है। देवनानी की पहल पर विधान सभा का इस वर्ष का कलेंडर और डायरी भी नए कलेवर से भरी हुई है। तथा इसका शुभारंभ भारतीय नव वर्ष चैत्र पर किया गया है।

राजस्थान विधान सभा के नए अध्यक्ष अनवरत चिंतन मनन और बिना रुके सक्रियता के साथ काम करने में विश्वास करते है। राजस्थान के अजमेर शहर में 11 जनवरी 1950 को पिता भावन दास और माता सखी दास के घर जन्मे वासुदेव देवनानी सिंधी समुदाय से है। उन्होंने इंजीनियरिंग तक शिक्षा प्राप्त की है। भारत की आजादी और देश के विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से हिंदुस्तान आया था। देवनानी ने इंदिरा देवनानी से विवाह किया । उनके परिवार में एक पुत्र महेश देवनानी और दो पुत्रियां का परिवार हैं। देवनानी सिंधी समाज की राष्ट्रीय और प्रादेशिक कई संगठनात्मक गतिविधियों से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए है। वे कब्बड्डी और शतरंज के अच्छे खिलाड़ी भी है।74 वर्षीय देवनानी को उनकी सामाजिक सेवाओं के कई लब्ध प्रतिष्ठित अवार्ड भी मिले है। देवनानी राष्ट्रनीति को राजनीति से ऊपर मानते है। उनका कहना है कि यदि उन्हें राजनीति और राष्ट्रनीति में से किसी एक को चुनना पड़े तो मैं राष्ट्रनीति को प्रथम स्थान और राजनीति को दूसरे स्थान पर स्वीकार करूंगा। वासुदेव देवनानी अपने नाम के अनुरूप सभी कलाओं में निपुण एक सच्चे राष्ट्रभक्त है। उम्मीद है राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के रूप में उनकी पारी सफल रहेगी और वे विधान सभा में कई नई अनुकरणीय परंपराओं की स्थापना करेगे।