टीएमयू में अटल एआईसीटीई की ओर से प्रायोजित छह दिनी नेशनल एफडीपी

Atal AICTE sponsored six day National FDP at TMU

रविवार दिल्ली नेटवर्क

  • टीएमयू में फ्रॉम गोल्स टू आउटकम्सः डिजाइनिंग एजुकेशन फॉर मेजरेबल एसडीजी इम्पैक्ट पर एफडीपी
  • पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के डायरेक्टर अश्विनी लोहानी बोले, सतत विकास को शिक्षा में नैतिकता, आत्मसंयम और मानवीयता जरूरी
  • यूपी सरकार में पूर्व निदेशक डॉ. आनंद मिश्रा ने कहा, संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्य-एसडीजी आज विश्व की प्रगति का मापदंड
  • राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी, गांधीनगर के एडजंक्ट प्रोफेसर डॉ. मिलन पटनायक बोले, शिक्षक छात्रों में परिवर्तनकारी नवप्रवर्तक सोच विकसित करें
  • यूनिवर्सिटी पुत्रा मलेशिया की डॉ. वान जुहैनिस साद ने कहा, शिक्षा में सस्टेनेबिलिटी को जोड़ना अब समय की दरकार
  • यूनिवर्सिटी पुत्रा मलेशिया के डॉ. कीरन एस. राजू बोले, क्वालिटी एजुकेशन-एडीजी 4 सभी 17 एसडीजी की नींव
  • बनयान एजुकेशन सर्विस के फाउंडर डॉ. शौनक रॉय चौधरी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में एसडीजी असेसमेंट मॉडल्स जैसे बैलेंस्ड स्कोरकार्ड अपनाने पर दिया जोर
  • तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. वीके जैन ने कहा, सामुदायिक सहभागिता विकास की नींव
  • टीएमयू की डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने सीओ-पीओ मैपिंग की अवधारणा को विस्तार से समझाया

प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के डायरेक्टर श्री अश्विनी लोहानी ने कहा, भगवान महावीर के अहिंसा, अपरिग्रह, करुणा और समता सरीखे सिद्धांत ही सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स- एसडीजीएस का मूल दर्शन हैं। पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक न्याय, गरीबी उन्मूलन और शांति जैसे लक्ष्य जैन दर्शन की जीवनशैली से स्वाभाविक रूप से जुड़े हैं। सतत विकास तभी संभव है, जब शिक्षा में नैतिकता, आत्मसंयम और मानवीयता का समावेश हो। श्री लोहानी तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में अटल एआईसीटीई की ओर से फ्रॉम गोल्स टू आउटकम्सः डिजाइनिंग एजुकेशन फॉर मेजरेबल एसडीजी इम्पैक्ट पर प्रायोजित छह दिनी एफडीपी के वेलेडिक्ट्री सेशन में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे। उत्तर प्रदेश सरकार में योजना प्रभाग के पूर्व निदेशक डॉ. आनंद मिश्रा ने इनॉगरल सेशन में बतौर मुख्य अतिथि कहा, 2015 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से निर्धारित 17 सतत विकास लक्ष्य-एसडीजी आज विश्व की प्रगति का मापदंड हैं। भारत में नीति आयोग इन लक्ष्यों के क्रियान्व्यन में अहम भूमिका निभा रहा है। डॉ. मिश्रा ने गरीबी उन्मूलन, शिक्षा की भूमिका और पंचायत स्तर पर एसडीजी लॉकलाइजेशन पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया, प्रदेश में बीते छह वर्षों में छह करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठाए गए हैं।

राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी, गांधीनगर के एडजंक्ट प्रोफेसर डॉ. मिलन पटनायक ने कहा, शिक्षक छात्रों में परिवर्तनकारी नवप्रवर्तक सोच विकसित करें। उन्होंने कहा, शिक्षक अपनी हर कक्षा में विभिन्न उदाहरणों से एसडीजी की भूमिका को स्पष्ट करें। डॉ. पटनायक ने बताया, एआई, ब्लॉकचेन और माइक्रो-क्रेडेंशियल्स भविष्य की शिक्षा को इंटेलिजेंस, इम्मरसिव और इन्क्लूसिव बनाएंगे। यूनिवर्सिटी पुत्रा मलेशिया में सेंटर फॉर एकेडमिक डवलपमेंट एंड लीडरशिप एक्सीलेंस की डायरेक्टर डॉ. वान जुहैनिस साद ने बतौर वक्ता कहा, शिक्षा में सस्टेनेबिलिटी को जोड़ना अब समय की मांग है। उन्होंने एजुकेशन फॉर सस्टनेबल डवलपमेंट पर जोर देते हुए कहा, एजुकेशन फॉर सस्टनेबल डवलपमेंट समाज और पर्यावरण की जिम्मेदारी सिखाता है। इसमें सिस्टम थिंकिंग और इंटीग्रेटिड प्रॉब्लम सॉल्बिंग जैसी दक्षताओं पर विशेष फोकस होना चाहिए। यूनिवर्सिटी पुत्रा मलेशिया के डॉ. कीरन एस. राजू ने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन-एडीजी 4 सभी 17 एसडीजी की नींव है। उन्होंने पांच प्राथमिकताओं- नीतिगत एकीकरण, शिक्षण वातावरण में बदलाव, शिक्षकों का सशक्तिकरण, युवाओं की भागीदारी और सामुदायिक कार्यवाही पर विस्तार से चर्चा की। बनयान एडु. सर्विस के फाउंडर डॉ. शौनक रॉय चौधरी ने बताया, संस्थानों को एसडीजी असेसमेंट मॉडल्स जैसे बैलेंस्ड स्कोरकार्ड अपनाने चाहिए ताकि शिक्षा में मापनीय परिणाम सुनिश्चित हों। क्वालिटी सर्किल ऑफ इंडिया के नेशनल प्रेसीडेंट श्री अविनाश मिश्रा ने कहा, यूनिवर्सिटी केवल शिक्षण केंद्र नहीं, बल्कि परिवर्तन के प्रेरक स्थल हैं। ग्रीन कैंपस ही सततता की प्रयोगशाला हैं। उन्होंने जापान और भारत के पर्यावरणीय उदाहरण विस्तार से साझा किए।

टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन ने कहा, उच्च शिक्षण संस्थान एसडीजी केंद्रित शिक्षा अनुसंधान और सामुदायिक सहभागिता के जरिए समाज में ठोस और क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने एसडीजी के क्रियान्वयन में टीएमयू की पहलों का विस्तार से उल्लेख किया। प्रो. जैन ने कहा, सामुदायिक सहभागिता विकास की नींव है। टीएमयू ने एनएसएस स्कीम के तहत नौ गांव गोद ले रखे हैं। सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम, नमामि गंगे कैंपने और उन्नत भारत अभियान कैंपेन में सक्रिय भागीदारी के संग-संग एनविडिया और अल्ट्राटेक के सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना का उद्देश्य एसडीजी के लक्ष्यों को प्राप्त करने की ओर महत्वपूर्ण कदम है। डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने कहा, टीएमयू का प्रयास पारंपारिक शिक्षा के बजाए एजुकेशन को मार्क्स टू मेट्रिक्स और सिलेबस कम्प्लीशन टू स्किल क्रिएशन की ओर है। डॉ. जैन सीओ-पीओ मैपिंग की अवधारणा को विस्तार से समझाया। सीओ-पीओ मैपिंग से यह आकलन किया जा सकता है कि किसी विषय का अध्ययन विद्यार्थियों को उनके कार्यक्रमगत उद्देश्यों की प्राप्ति में कितना सहायक है। उन्होंने ब्लूम टेक्सोनॉमी के विभिन्न स्तरों- ज्ञान, समझ, अनुप्रयोग, विश्लेषण, मूल्यांकन और सृजन के आधार पर शिक्षण उद्देश्यों को डिजाइन करने के महत्व पर बल दिया। सत्र में प्रतिभागियों का क्विज के जरिए असेस्मेंट भी हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने सतत विकास आधारित प्रश्नों का उत्तर दिया। एफडीपी के दौरान प्रोग्राम कोर्डिनेटर डॉ. नेहा आनन्द, को-कोर्डिनेटर डॉ. वरुण कुमार सिंह, श्री प्रदीप कुमार वर्मा के अलावा देश-विदेश के 119 से अधिक प्रतिभागी शामिल रहे।