रविवार दिल्ली नेटवर्क
लखनऊ : उत्तर प्रदेश एक ऐसा जल सुरक्षित राज्य बने, जो पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ हो और जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए तैयार रहे, इसको लेकर योगी सरकार विभिन्न स्तरों पर लगातार प्रयास कर रही है। जल संकट से निपटने की दिशा में अटल भूजल योजना मील का पत्थर साबित होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में योगी सरकार ने अटल भूजल योजना को सभी 75 जनपदों के 826 विकास खंडों बड़े पैमाने पर लागू किया है। योजना के तहत हर गांव में ब्लाक स्तर पर एवं शहरों में भी जल प्रबंधन नीति को सुचारू रूप से लागू किया गया है।
‘आज जल है तो कल है’ की भावना को अपनाते हुए प्रत्येक नागरिक को जल संरक्षण के अभियान के साथ जोड़ने का प्रयास प्रदेश सरकार कर रही है। केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न अंगों के साथ ही जल संरक्षण के इस अभियान में सामाजिक संगठनों और संस्थाओं को भी शामिल किया जा रहा है। जल प्रबन्धन के दूरगामी लक्ष्यों को पाने के लिए एकीकृत जल संसाधन प्रबन्धन को जमीन पर उतारा जा रहा है, जिसमें भावी मांग को पूरा करने के लिए सतही एवं भूगर्भ जल के साथ वर्षा जल के समेकित एवं संगठित प्रबंधन को केंद्रित किया जा सके ।
डबल इंजन की सरकार का फोकस शुरू से ही जल व्यवस्था पर रहा है ।उत्तर प्रदेश में सतत भूजल संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए जिन महत्वपूर्ण कार्यों में भूजल के सदुपयोग के लिए नियोजित प्रबंधन नीति को लागू करने, शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जल प्रबंधन का आयोजन, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जल प्रबंधन के अंतर्गत वर्षा जल संचयन और भूजल संरक्षण पुनर्भरण का कार्यान्वयन आवश्यक करने, भूजल संरक्षण और भूजल गुणवत्ता की सतत निगरानी और पर्यावरण संरक्षण, साथ ही जनपद स्तर पर भी जल प्रबंधन योजना बनाए जाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। विशेष रूप से बुंदेलखंड में पर्याप्त जल की व्यवस्था हो रही है जो कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए लाभकारी साबित होगा ।
जल संरक्षण के लिए प्रशिक्षण प्रचार-प्रचार और जन जागरूता पर जोर दिया गया है। बांदा में ग्रामीणों द्वारा शुरू किये गये अभियान खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में से सकारात्मक परिवर्तत आए हैं। इस तरह के प्रयासों से सभी को प्रेरणा मिलती है। जल संरक्षण के महत्व और जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने के लिए उचित उपायों को अपनाया गया है ।