दीपक कुमार त्यागी
हर पल राष्ट्र प्रेम की भावना से ओत-प्रोत, भावनात्मक व संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ अपनी कविताओं, ओजस्वी भाषा शैली, वाक्पटुता और सरल व्यक्तित्व के चलते ही आम जनमानस के साथ-साथ देश के पक्ष व विपक्ष के बीच विशिष्ट पहचान बनाकर जीवनपर्यंत बेहद लोकप्रिय रहे।
‘भारत रत्न’ मां भारती के सच्चे सपूतों में स्वर्गीय ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ का नाम आम व खास जनमानस के बीच हमेशा गर्व से लिया जाता है। राष्ट्र के लिए अपने जीवन का हर पल समर्पित कर देने वाली महान शख्सियत ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ का राष्ट्र निर्माण में अनमोल योगदान रहा है। मां भारती के लाड़ले सच्चे सपूत ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के शिंदे का बाड़ा मुहल्ले के एक आम मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापक और माता कृष्णा देवी एक घरेलू महिला थीं। ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ के तीन बड़े भाई और तीन बहनें थीं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त की थी। ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ ने छात्र जीवन में ही वर्ष 1942 में अंग्रेजी सल्तनत के ख़िलाफ़ ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लिया। जंगे आजादी में भाग लेने से लेकर के कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करते हुए ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की व विभिन्न राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। वैसे तो ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ ने अपना करियर एक पत्रकार के रूप में शुरू किया था, लेकिन राजनीति की तरफ़ झुका होने के चलते वह वर्ष 1951 में जनसंघ में शामिल हो गए, जनसंघ को ही बाद में भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाना गया। ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ राजनीति में शुन्य से शुरुआत करते हुए शीर्ष तक पहुंचे, उन्होंने जनसंघ के एक सांसद के रूप में राजनीति का चुनौतीपूर्ण वह दौर भी देखा है, जब वर्ष 1957 में संसद में जनसंघ में केवल चार सांसद थे और उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व में ‘एनडीए’ की केंद्र में सरकार बनाते हुए उसका प्रधानमंत्री के रूप में नेतृत्व करने का कार्य बखूबी किया था। एक सांसद के रूप में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ ने देश व दुनिया के विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी वाक्पटुता के कौशल की हमेशा छाप छोड़ने का कार्य किया। वह संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हिंदी में भाषण देने वाले प्रथम भारतीय राजनेता थे, जिसकी देश व दुनिया में जमकर तारीफ हुई थी।
प्रधानमंत्री के रूप में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ के तीनों कार्यकाल की बात करें तो उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 21वीं सदी के आधुनिक, सशक्त भारत के सपने को जल्द से जल्द साकार करने के लिए धरातल पर बहुत तेजी के साथ कार्य करने शुरू किए थे। राष्ट्र निर्माण में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ के अनमोल योगदान की देश में दलगत राजनीति होने के बाद भी अनदेखी नहीं की जा सकती है, उनके द्वारा किए गए कार्यों को देश हमेशा याद रखेगा। उन्होंने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए निरंतर कार्य किए, उन्होंने आधुनिक सड़कों के द्वारा पूरे भारत को जोड़ने की स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की, देश को बेहतर बनाने के लिए निजीकरण को बढ़ावा देते हुए देश में विनिवेश की शुरुआत की, आम जनमानस के लिए संचार क्रांति का दूसरा चरण शुरू किया, सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया, उन्होंने देश की सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों के दवाब के बाद भी उन्होंने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया था, भारत-पाक के संबंधों को बेहतर करने के लाहौर-आगरा समिट, करगिल युद्ध में दुश्मन को मूंह तोड़ जवाब, पोटा क़ानून, संविधान समीक्षा आयोग का गठन किया, जातिवार जनगणना पर रोक लगाई आदि कार्यों को हमेशा देश में याद रखा जाएगा।
‘अटल बिहारी वाजपेयी’ बेहद ही व्यवहार कुशल व्यक्तित्व के मालिक थे, उनका सरल स्वभाव, दूरदर्शी सोच और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित सर्वोपरि के दृष्टिकोण की सोच के कारण विरोधी भी अटल जी का दिल से सम्मान करते थे। पक्ष व विपक्ष के बीच बेहद लोकप्रियता के चलते ही राजनीतिक गलियारों में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ को भारतीय राजनीति का ‘अजातशत्रु’ कहा जाता है। ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ की पहचान केवल भारत के एक प्रधानमंत्री के रूप में ही नहीं होती है, वह दूरदर्शी विचारक, एक प्रेरणादाई युग पुरुष थे। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व में ओजस्वी वक्ता, कुशल प्रशासक, कवि, पत्रकार, संपादक, दूरदर्शी राजनेता का शानदार समावेश था। अटल जी की सादगी, विनम्रता, निष्ठा, मेहनत और निस्वार्थ भाव से देश सेवा के संकल्प के चलते ही भारतीय जनता पार्टी को देश में अपनी जड़ों को मजबूत करने का मौका मिला। ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ के करिश्माई नेतृत्व के चलते ही भारतीय जनता पार्टी को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का अवसर मिला। ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ ने मां भारती के सच्चे सपूत की तरह जीवनपर्यंत मां भारती की पताका को गर्व से फहराते हुए भारत को दुनिया का एक ताकतवर, समृद्धशाली, विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कार्य किया था।





