राकेश टिकैत पर हमला पूर्व नियोजित

निर्मल कुमार शर्मा

भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने विरोधी विचारधारा के व्यक्ति पर हमला या उसके चेहरे पर काली स्याही या काले पेंट को छिड़कने की पुनरावृत्ति अभी पिछले दिनों किसान आंदोलन के जुझारू और कर्मठ नेता,जिन्होंने अपने नेतृत्व में मोदी ऐंड कंपनी सरकार के कर्णधारों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था,के साथ बीजेपी के कुछ प्रशिक्षित गुंडों ने हाल ही में किया है !बेंगलुरु के गांधी भवन में आयोजित किसान संगठन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सोमवार को मतलब 30 मई 2022को कुछ बदमाशों ने टिकैत पर स्याही फेंकी और हमला किया,जिसके बाद उन तीनों गुंडों को गिरफ्तार कर लिया गया। घटना के तुरंत बाद कार्यक्रम के आयोजकों और बदमाशों के बीच झड़पें भी हुईंं,जिससे दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर प्लास्टिक की कुर्सियों से हमला किया। इसके बाद बदमाशों ने कथित तौर पर ‘मोदी, मोदी ’ के नारे भी लगाए।

संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बयान में कहा, ‘यह भी स्पष्ट है कि कर्नाटक राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने एक स्थानीय टेलीविजन चैनल पर पिछले कुछ दिनों से किसानों के आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान के कारण तनावपूर्ण माहौल के बावजूद राकेश टिकैत की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए थे। ’

संयुक्त किसान मोर्चा ने इस घटना की तीखे शब्‍दों में निंदा की है। स्‍याही फेंकने वालों को सख्‍त सजा देने की मांग की है। संयुक्त किसान मोर्चे ने आरोप लगाया है कि ‘यह हमला प्रायोजित था और इसके पीछे निश्चित रूप से बीजेपी थी, क्योंकि यह इससे साबित हो जाता है कि स्याही फेंकने वाला मुख्य आरोपी की कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा,भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजयेंद्र, मौजूदा गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र और सिंचाई मंत्री गोविंद करजोल के साथ खींची गई तस्वीरों ने अब यह साफ कर दिया है कि यह हमला भाजपा की ओर से ही प्रायोजित था। इस हमले को छोटी-सी घटना के तौर पर नजरअंदाज करना उचित नहीं है,क्योंकि टिकैत पर पहले भी कई बार हमले किए गए हैं। राकेश टिकैत को सुरक्षा मुहैया करायी जानी चाहिए। इस घटना ने एक बार फिर भाजपा का किसान विरोधी चेहरा दिखा दिया है। किसान जानते हैं कि इस सरकार को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से कैसे सबक सिखाना है। ’

ज्ञातव्य है कि 30-5-2022 की इस अत्यंत दु:खद घटना में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पर बेंगलुरू में एक कार्यक्रम के दौरान हमले के साथ स्याही या काली पेंट फेंकी गई ! राकेश टिकैत बेंगलुरू के प्रेस क्लब में उस दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे ! खुद राकेश टिकैत के अनुसार ‘उनके बोलने से पूर्व ही उन पर तीन-चार लोगों ने अचानक उठकर हमला कर दिया,जिसमें से एक ने मुझ पर काली पेंट फेंक दिया ! ‘ इसके बाद राकेश टिकैत के समर्थकों ने भी स्याही या पेंट फेंकने वाले गुंडे को पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई भी कर दी,इस दौरान बेंगलुरू प्रेस क्लब में जमकर हंगामा हुआ और दोनों पक्षों के लोगों ने एक दूसरे के ऊपर कुर्सियां फेंककर मारपीट की,इस घटना की विडियो भी सोशल मिडिया पर अब खूब वायरल हो रही है ।
इस घटना के बाद राकेश टिकैत ने बयान दिया है कि “वे हमले की साजिश को समझ रहे हैं, लेकिन सत्ता के कर्णधार कान खोलकर सुन लें कि राकेश टिकैत ऐसे हमलों से डरने वाला नहीं है,कुछ ताकतें देश के किसानों को डराने के लिए, उन्हें झुकान के लिए गंदा खेल खेल रही हैं, लेकिन किसान न तो पहले डरा था और न अब डरेगा ”

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग एक साल तक दिल्ली सीमा पर संघर्ष करने वाले और फिर केंद्र को कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर करने वाले किसान नेता इस हादसे का शिकार उस समय हुए जब वो एक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन पर स्पष्टीकरण देने बेंगलुरु पहुंचे थे। जिसमें आरोप लगाया गया था कि राकेश टिकैत कथित तौर पर आंदोलन के नाम पर पैसे लेते हैं !
जहां यह प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही थी वहां की स्थानीय पुलिस के थाने हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन ने जानकारी दी कि बेंगलुरु में आयोजित कार्यक्रम में टिकैत पर स्याही फेंकने के आरोप में तीन लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टिकैत और युद्ध वीर सिंह कर्नाटक के किसान नेता कोडिहल्ली चंद्रशेखर के स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े वीडियो को लेकर सफाई दे रहे थे। यह स्टिंग ऑपरेशन एक चैनल ने किया था,जिसमें कोडिहल्ली पैसों की मांग करते नजर आ रहे थे।
टिकैत ने स्याही हमले के आरोप कर्नाटक के राज्य सरकार पर लगाए हैं। उन्होंने कहा, ‘यहां स्थानीय पुलिस की तरफ से मुझे कोई सुरक्षा नहीं दी गई थी। यह सब सरकार की मिलीभगत से हुआ है। ‘
उक्त वर्णित वक्तव्यों और बयानों से यह तथ्य स्पष्टता से उभरकर आ रहा है कि श्री राकेश टिकैत हमला करने,स्याही या पेंट फेंकने की घटना बीजेपी की तरफ से पूर्व प्रायोजित थी !

मोदीजी को अपने विरोधियों को प्रताड़ित करने का पुराना रिकॉर्ड

मोदीजी का गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान और अब पिछले 8सालों से जब से वे भारत के कथित सबसे सुयोग्य प्रधानसेवक जी की कुर्सी पर विराजमान हुए हैं,उनका यह बहुत ही बदनाम और कुख्यात ऐतिहासिक रिकॉर्ड रहा है कि वे अपने राजनैतिक व वैचारिक विरोधियों को सबसे पहले अपने द्वारा पालित आईटी सेल के लाखों असंयमित और अभद्रतापूर्ण व्यवहार तथा गाली गलौज में पूर्णतः निपुण गुंडों द्वारा जमकर गाली गलौज और नई -नई गढ़ी गई अभद्र भाषा यथा पाकिस्तान परस्त,देशद्रोही,राष्ट्रद्रोही,अर्बन नक्सली आदि गाली-गलौज करवाते हैं, उदाहरणार्थ दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली की सत्ता हथियाने पर उन्हें शुरू-शुरु में खूब अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया गया,उसके बाद अपने विरोधियों के चेहरे पर काली स्याही या काला पेंट फेंकने का कृत्य करवाते हैं,उदाहरणार्थ दिल्ली में बैठा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी यह स्याही फेंकने और चांटे मारने की घटनाएं हो चुकीं हैं और अब किसान नेता राकेश टिकैत पर हुई है,

उसके बाद सीबीआई,इनकमटैक्स, प्रवर्तन निदेशालय के चमचे अधिकारियों को जर्मन शेफर्ड कुत्तों की स्टाइल में विरोधियों के घरों को खंगालने भेजते हैं,उदाहरणार्थ प्रकाश तेलतुंबडे, चिदंबरम् आदि बहुत से राजनैतिक व अन्य लोग इसके शिकार हुए हैं,उसके पश्चात उन्हें जेल भेज देना इसके उदाहरण के रूप में वरवरा राव,स्टेन स्वामी जैसे बहुत से कवि,लेखक, समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं,जो सालों से जेलों में सड़ रहे हैं,स्टेन स्वामी जैसे आदिवासियों के अधिकारों के लिए अपना संपूर्ण जीवन खपा देने वाले मसीहा हथकड़ी-बेड़ियों में जकड़े हुए मौत के मुंह में धकेल दिए गये,लेकिन ऐसे समाज के देवदूतों की जमानत तक नहीं होने दी जा रही है और अन्तिम हथियार के तौर पर विरोधियों को अपने पालित शूटरों द्वारा गोली मारकर उनका काम तमाम कर देना मोदीजी के बायें हाथ का खेल रहा है,उदाहरणार्थ गुजरात के भूतपूर्व गृहमंत्री हरेश पांड्या,उनके अपने विरोधियों को मौत के घाट उतारने के अन्य बहुत से तरीके भी रहे हैं,मसलन सड़क पर घसीट-घसीटक सरेआम अपने पालित गुंडों से मरवा देना उदाहरणार्थ पहलू खान,अखलाक,तबरेज अंसारी आदि सैकड़ों उदाहरण हैं,गले में टायर डालकर आग लगाकर मारना उदाहरणार्थ गुजरात दंगों के दौरान कांग्रेस के भूतपू सांसद एहसान जाफरी के साथ यही नृशंसतम् तरीका आजमाकर उन्हें मौत के मुंह में धकेला गया ! मिट्टी के तेल को विरोधी के शरीर पर छिड़ककर आग लगा देना उदाहरणार्थ प्रोफेसर कलबुर्गी,सीधे गोली मारकर काम तमाम कर देना,उदाहरणार्थ डाक्टर नरेंद्र दाभोलकर,कामरेड पानसारे, वीरांगना महिला लेखिका,पत्रकार गौरी लंकेश, इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह आदि-आदि !

असहिष्णुता का चरम्

मोदीजी की निरंकुशता,बर्बरता, असंवेदनशीलता आदि अवगुण एक साल से भी अधिक अवधि तक चले किसान आंदोलन के दौरान उन्हीं अन्नदाताओं के उपजाऊ अन्न खाने वाले मोदीजी,उनके मंत्रीमंडलीय सहयोगियों और आईटी सेल के चमचों ने उन्हीं अन्नदाताओं को खालिस्तानी, आतंकवादी, सिरफिरे,चंद मुट्ठी भर लोग,भटकाने हुए लोग आदि-आदि बहुत से अभद्रतापूर्ण भाषा का उपयोग किए ! सबसे बड़ी चीज किसान आंदोलन के दौरान भयंकरतम् ठंड, बारिश और भीषण गर्मी में लगभग 700 किसानों ने अपनी जान दे दी, लेकिन मोदीजी जैसे असंवेदनशील व्यक्ति के मुंह से उनके लिए एक शब्द तक नहीं निकला !

किसानों द्वारा अपनी फसल की न्यायोचित मूल्य मांगना गलत क्यों ?

यक्षप्रश्न यह है कि इस देश में या दुनिया के किसी भी भाग में अंबानी जैसे कोई भी पूंजीपति एक सूई भी बनाता है,तो अपनी लागत मूल्य के साथ उसपर कुछ लाभ लेकर ही उसका विक्रयमूल्य निर्धारण करता है ,तो भारतीय किसान अपनी फसलों के लागत मूल्य पर कुछ लाभांश रखकर उसके विक्रय मूल्य निर्धारित करने की मांग करता है,तो इसमें गलत क्या है ? राकेश टिकैत जैसे लोग किसानों की इसी न्यायोचित मांग के प्रखर प्रवक्ता रहे हैं,तो अब बीजेपी उस व्यक्ति से ऐसे नरपैशाचिक और अमानवीय कुकृत्य क्यों कर रही है ?