टीएमयू में सितार की धुनों और तबले की थाप की जुगलबंदी पर झूमा ऑडी

Audi sways to the jugalbandi of sitar tunes and tabla beats at TMU

रविवार दिल्ली नेटवर्क

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में जाने-माने सितार वादक पंडित हरविन्दर शर्मा और युवा तबला वादक उजिथ उदय कुमार की अविस्मरणीय प्रस्तुति

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में जाने-माने सितार वादक पंडित डॉ. हरविन्दर शर्मा और युवा तबला वादक उजिथ उदय कुमार की जुगलबंदी- सितार रेसाटाइल पर संगीत प्रेमियों से ख़चाख़च भरा ऑडिटोरियम बार-बार झूम उठा। सितार की धुनों और तबले की थाप की जुगलबंदी लंबे समय तक श्रोताओं के दिलो-दिमाग में झंकृत होती रही। इस यादगार सुरों की महफिल का आगाज़ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन के संग हुआ। इस मौके पर मेहमान कलाकारों के अलावा एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त, स्पिक मैके के रीजनल कॉर्डिनेटर डॉ. आरसी गुप्ता, स्पिक मैके के डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर डॉ. मुकुल किशोर, डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन का मानना है, यूनिवर्सिटी न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण और प्रसार के प्रति भी समान रूप से प्रतिबद्ध है। ‘सितार रेसाइटल’ जैसे आयोजनों से न केवल स्टुडेंट्स में भारतीय संगीत के प्रति संवेदनशीलता विकसित होगी, बल्कि उनके व्यक्तित्व, सृजनशीलता और सांस्कृतिक समझ में भी अभिवृद्धि होगी। श्री जैन कहते हैं, टीएमयू का उद्देश्य शिक्षा को जीवनोन्मुख अनुभव से जोड़ना है। उन्होंने उम्मीद जताई, विश्वविद्यालय में आगे भी ऐसे समृद्ध सांस्कृतिक आयोजन निरंतर जारी रहेंगे। संचालन डॉ. मनी सरस्वत ने किया। इससे पूर्व सितार रेसाटाइल की महफिल टिमिट के डीन प्रो. विपिन जैन के कॉर्डिनेशन में सजी।

सितार रेसाटाइल ने स्टुडेंट्स को न केवल सुरों की अद्भुत यात्रा से परिचित कराया, बल्कि संगीत की साधना और परंपरा के गहन अर्थों को भी समझने का अवसर दिया। मुख्य प्रस्तुति सुप्रसिद्ध सितारवादक पंडित (डॉ.) हरविंदर शर्मा ने दी। वह बीते छह दशक से निरंतर भारतीय शास्त्रीय संगीत की सेवा कर रहे हैं। पंडित (डॉ.) हरविंदर शर्मा का मुरादाबाद विशेषकर टीएमयू में पहली बार मंगल आगमन हुआ। पंडित शर्मा ने अपने सितार वादन से ऐसा सुरमय वातावरण बनाया कि यूनिवर्सिटी के लगभग 700 स्टुडेंट्स उनकी धुनों में डूब गए। उनका संगीत-सफ़र संगीत प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने अपनी कला को डिग्रियों, शोध कार्यों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुतियों से नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। वह पारंपरिक और लाइट क्लासिकल संगीत के ख्यातिप्राप्त कलाकार हैं। आकाशवाणी एवम् दूरदर्शन के टॉप ग्रेड आर्टिस्ट हैं। 2023 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड समेत दर्जनों प्रतिष्ठित सम्मान उनकी झोली में हैं। प्राचीन कला केंद्र, पंजाब यूनिवर्सिटी और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षित पंडित शर्मा की संगीत यात्रा में उनके पिता श्री मेघराज शर्मा उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत रहे।

उन्होंने भारत, कनाडा, यूएसएसआर, दुबई, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड तक के मंचों पर प्रदर्शन किया और जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र, मास्को में सांस्कृतिक दूत के रूप में भी सेवाएं दीं। सितारवादक पंडित हरविंदर शर्मा के संग तबला संगत श्री उजिथ उदय कुमार ने की, जिनकी लयकारी और ताल की निपुणता ने प्रस्तुति में जीवंतता और गति भर दी। पिता श्री चेतन उदय कुमार की प्रेरणा से युवा तबला वादक उजित उदय कुमार की अंगुलियां तो महज तीन साल की उम्र में ही तबले पर थिरकने लगी थीं। तबला वादक उजित के उस्ताद रफीउद्दीन साबरी हैं। उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति की ओर से भारत के ध्रुवतारा की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। इस आयोजन में टीएमयू और स्पिक मैके के संग-संग मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर, मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन, मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर की भी भागीदारी रही। केन्द्र के इन मंत्रालयों के साथ सूबे के संस्कृति विभाग और भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का भी अनमोल योगदान रहा। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी स्टुडेंट्स क्लब्स की भी सक्रिय भूमिका रही।