
रविवार दिल्ली नेटवर्क
सिडनी/नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया की सड़कों पर पहली बार एक ऐसी कार आई है जो न केवल 5 मिनट में चार्ज होती है, बल्कि हवा को प्रदूषित करने के बजाय उसे शुद्ध करती है। यह हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक से लैस नई पीढ़ी की कार 900 किलोमीटर तक की दूरी तय करने में सक्षम है, वो भी बिना किसी CO2 उत्सर्जन के।
यह पहली बार है जब हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक को वाणिज्यिक स्तर पर सीरियल प्रोडक्शन में लाया गया है। यह तकनीक न केवल टिकाऊ है, बल्कि चार्जिंग के लिए लगने वाला समय भी आश्चर्यजनक रूप से कम – मात्र 5 मिनट है, जिसमें स्टेशन में प्रवेश और निकास भी शामिल है।
हुंडई नेक्सो: सबसे शुद्ध और स्मार्ट कार
इस क्रांतिकारी तकनीक का सबसे बेहतरीन उदाहरण है Hyundai NEXO – एक फ्यूल सेल SUV जो 6.27 किलोग्राम हाइड्रोजन में न केवल 800+ किमी की रेंज देती है, बल्कि चलते-चलते 449,100 लीटर हवा को शुद्ध करती है। यह मात्रा लगभग 33 लोगों के पूरे दिन की सांस लेने के बराबर है।
नेक्सो के एग्जॉस्ट से केवल पानी की बूंदें निकलती हैं। इसमें CO2, NOx या किसी भी प्रकार का हानिकारक उत्सर्जन नहीं होता। तुलनात्मक रूप से, एक पेट्रोल या डीज़ल इंजन वाली कार इतनी ही दूरी पर करीब 126 किलोग्राम CO2 उत्सर्जित करती है।
भारत के लिए सुनहरा मौका
हुंडई की इस पहल से यह साबित हो गया है कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक अब केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रही। जैसे-जैसे ऑटोमोबाइल निर्माता इस तकनीक को अपनाते हैं, वैसे-वैसे भारत जैसे देश, जहाँ हाइड्रोजन उत्पादन की लागत दुनिया में सबसे कम हो सकती है, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का बड़ा केंद्र बन सकते हैं।
भारत में एक किलोग्राम हाइड्रोजन ईंधन की कीमत ₹420 से ₹460 के बीच है। वहीं, हुंडई नेक्सो की अंतरराष्ट्रीय कीमत $1,00,000 (लगभग ₹84.5 लाख) बताई गई है।
भविष्य की ओर कदम
इस पहल से साफ है कि हाइड्रोजन ईंधन अब इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ मिलकर भविष्य की पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता का प्रमुख स्तंभ बनेगा। और इसमें हुंडई दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने इसे सीरियल प्रोडक्शन में लाकर बाजार में उतारा है।
हाइड्रोजन कारें अब केवल भविष्य की बात नहीं रहीं – वे वर्तमान हैं, और ऑस्ट्रेलिया ने इसका पहला कदम उठा लिया है। अब निगाहें भारत और बाकी दुनिया पर हैं।