सेना में भर्ती की नई योजना ” अग्निपथ ” काे लेकर बबाल

संदीप ठाकुर

तीनों सेना में मोदी सरकार की भर्ती की नई योजना अग्निपथ के विरोध की आग
ने कई राज्यों काे अपने चपेट में ले लिया है। योजना के खिलाफ पूरे देश
में उग्र प्रदर्शन हो रहे है। इसमें सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान
पहुंचाया गया है। सबसे ज्यादा नुकसान रेलवे को हुआ है। प्रदर्शनकारियों
ने कई ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया है। सबसे अधिक बबाल बिहार में कटा
है। हर प्रदर्शन में रेलवे की संपत्ति काे भारी नुकसान पहुंचता है। लेकिन
इस नुकसान की कितनी मोटी भरपाई करनी होती है इससे हम आप अंजान रहते हैं।
क्या आपको पता है कि एक ट्रेन की कुल कीमत कितनी होती है और उसे आग के
हवाले कर देने से देश का कितना नुकसान होता है ? ट्रेन के दो हिस्से होते
हैं इंजन और कोच। इंजन ट्रेन का सबसे महंगा हिस्सा होता है। ट्रेन का
इंजन बनाने में करीब 20 करोड़ रुपये का खर्च आता है। सूत्रों के मुताबिक
एक डुअल मोड लोकोमोटिव की कीमत करीब 18 करोड़ रुपये होती है जबकि 4500
हॉर्स पावर के डीजल लोकोमोटिव की कीमत करीब 13 करोड़ रुपये बैठती है।
इंजन की कीमत उसकी क्षमता पर निर्भर करती है। जहां तक कोच की बात है तो
यह यात्रियों की सुविधा के अनुसार अलग-अलग तरह के होते हैं। इन सुविधाओं
के मुताबिक उनकी कीमत होती है। स्लीपर, एसी और जनरल कोच अलग-अलग होते
हैं। एक एसी कोच को बनाने की लागत करीब दो करोड़ रुपये से अधिक होती है।
स्लीपर कोच बनाने की कीमत 1.25 करोड़ रुपये बैठती है जबकि जनरल कोच बनाने
का खर्च करीब एक करोड़ रुपये आता है। एक एक्सप्रेस ट्रेन में 22 से 24
डिब्बे होते हैं। इस लिहाज से 24 डिब्बों की कीमत दो करोड़ रुपये प्रति
कोच के हिसाब से 48 करोड़ रुपये बैठती है। अगर इसमें इंजन की कीमत भी
जोड़ दी जाए तो एक पूरी ट्रेन करीब 68 करोड़ रुपये होती है। इसी तरह
सामान्य से एक्सप्रेस ट्रेन बनाने का खर्च 50 करोड़ रुपये से 100 करोड़
रुपये के बीच आती है। वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेनों की कीमत करीब
110 करोड़ रुपये है।

सवाल यह है कि इस नई भर्ती योजना का सबसे अधिक विरोध बिहार व यूपी में ही
क्यों हो रहा है ? इसका सबसे बड़ी वजह यह है कि सेना में बिहार से काफी
लोग नौकरी में आते हैं। 15 मार्च 2021 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में
बताया था कि तीनों सेनाओं में 13.40 लाख से ज्यादा जवान हैं। आर्मी में
11.21 लाख, एयरफोर्स में 1.47 लाख और नेवी में 84 हजार जवान और अफसर हैं।
इनमें सबसे ज्यादा 2.18 लाख से अधिक जवान यूपी से आते हैं। दूसरे नंबर पर
बिहार है। यहां से 1.04 लाख जवान आते हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि
अग्निपथ योजना का बिहार में सबसे तीखा और हिंसक विरोध हो रहा है।
उत्पातियों ने पटना से सटे दानापुर में पांच ट्रेनों को आग के हवाले कर
दिया। इनमें सबसे भयंकर आग फरक्का एक्सप्रेस में देखने को मिली। सात
बोगियों को पूरी तरह खाक कर दिया। इसके अलावा यार्ड में खड़ी दो ट्रेनों
और दो इंजन में आग लगा दी।पटना के अलावा लखीसराय में विक्रमशिला
एक्सप्रेस, समस्तीपुर में जम्मू तवी एक्सप्रेस और दिल्ली-दरभंगा संपर्क
क्रांति एक्सप्रेस को आग के हवाले कर दिया। भोजपुर (कुल्हड़िया) में
इंटरसिटी एक्सप्रेस को जला डाला। वहीं, गया में बख्तियारपुर पैसेंजर
ट्रेन में आग लगा दी गई। जबकि नालंदा के इस्लामपुर में एक ट्रेन को फूंक
डाला गया। इसकी वजह से बिहार से गुजरने वाली दर्जनों गाड़ियां रद्द कर दी
गईं।