बैंक भी आत्मनिर्भर होने के लिये सकारात्मक कदम उठायें

Banks should also take positive steps to become self-reliant

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’

इसी अगस्त माह में रिजर्व बैंक गवर्नर ने बैंक जमा में गिरावट पर चिन्ता जताते हुवे कहा कि पिछले कुछ समय से जमा राशि जुटाने की दर, ऋण वृद्धि से पीछे चल रही है, जिससे प्रणाली में संरचनात्मक तरलता सम्बन्धी समस्यायें उत्पन्न हो सकती है। उनकी चिन्ता जताने के बाद वित्त मन्त्री निर्मला सीतारमणजी ने भी केन्द्रीय बैंक निर्देशक मण्डल के साथ बैठक करने के बाद बैंकों की सुस्त जमा वृद्धि पर चिन्ता जताई। उन्होंने कहा कि बैंकों को कुछ अभिनव (इनोवेटिव )और आकर्षक वित्तीय साधनों (पोर्टफोलियो) को लाने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग बैंकों में पैसे जमा करें।

अब जबकि सरकार सभी को आत्म निर्भर होने का मन्त्र दे रही है तब उसी कड़ी में बैंकों को भी अभी से पारदर्शिता के साथ आत्म निर्भर के लिये प्रयासरत हो जाना देश की अर्थव्यवस्था के लिये उचित रहेगा।

आजकल हम देख रहे हैं कि बैंक सरकार से पूँजी मुहैया करने का आये दिन आग्रह करते रहते हैं जबकि उन लोगों को यानि बैंकर्स को चाहिये कि वे स्वयं अपने दम पर पूँजी जुगाड़ करें।

जैसा आप सभी मानेंगे कि आजकल सभी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा से ग्राहकों को लुभाने के लिये आकर्षक प्रस्ताव देने पड रहे हैं, उसी तरह बैंकों को भी पूँजी जूटाने के लिये उत्पाद को आकर्षित बनाने के लिये सोचना तो पडेगा ही।

सरकार भी उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिये आवश्यकता अनुसार अपनी तरफ से लगी बन्दिशों में ढ़ील दे ताकि बैंकों की सरकार पर निर्भरता घट सके।

एक तथ्य और भी देखने में आया है कि बैंकों में सावधी जमा घट रही है इसलिये आवश्यक है कि बैंकें ग्राहकों को लुभाने के लिये उन्हें अतिरिक्त सुविधायें प्रदान करे।

यह भी तथ्य है कि बैंकों को इस अतिरिक्त सुविधाओं को लेकर अतिरिक्त खर्चा वहन करना पडेग़ा। इसलिये आवश्यकता है ऐसी योजना [स्कीम] की, ताकि जो खर्च बढ़े वह भार आमदनी बढ़ाकार पूरा किया जा सके। और ऐसा करना ही बुद्धिमानी माना जायेगा।

अब मैं जिस योजना [स्कीम] की बात कर रहा हूँ वह कोई नयी नहीं है बल्कि उसे आकर्षक बना कर प्रचारित कर, बैंकें अपनी तरलता भी बढ़ा सकती हैं और ग्राहकों को आकर्षित भी कर सकती हैं।

मुझे विश्वास है कि यदि इस योजना [स्कीम] को सही तरीके से प्रचारित व लागू किया जाय तो हजारों करोड सावधी जमा में बढ़ोत्तरी सम्भव है।

अब योजना [स्कीम] के बारे में मेरा सुझाव इस प्रकार है –

1) इस योजना [स्कीम] के लिये 10000/- हजार की सावधी जमा अनिवार्य होना चाहिये और 1000/- के गुणक में जमा सुविधा दी जा सकती है।

2) सावधी जमा के समय ही आधार, पैन नम्बर व फोटो सभी आवेदकों का लेकर ग्राहकों की पहचान [केवाईसी] करनी भी उचित रहेगी, जो इसके अलावा ऋण खाता और बचत / चालू खाते तीनों के लिये एक साथ हो जायेगी ।

3) सावधी जमा खाता आरम्भ होते ही अपने आप एक शुन्य जमा [बैलेंस] का खाता व एक ऋण [लोन] खाता चालू हो जायेगा।

4) ऋण [लोन] खाते में गिरवी अपने आप सावधी जमा वाली रकम हो जायेगी और उसकी सीमा [लिमिट] सावधी जमा रकम की कम से कम 90% और अधिकतम 95 % तक बैंक अपने आन्तरिक नियमानुसार कर पायेंगें, जिसके चलते बैंकों को विशेष अधिकार प्राप्त रहेगा |

5) अब बचत / चालू खाता तो शुन्य जमा [बैलेंस] वाला है अतः उसको जमाकर्ता अपने साधारण बचत / चालू खाते की तरह इस्तेमाल कर सकें यह सुविधा प्रदान करनी होगी। ताकि बचत खाते में किसी भी प्रकार का लाभांश [डीवीडेन्ड], सेवानिवृत्ति योजना [पेन्शन], वेतन [सैलरी] वगैरह सीधे सीधे भी जमा हो सके और इसी तरह निकासी [विथ्ड्रॉअल] भी हो सके। इसी तरह चालू खाते में चालू खाते वाली सारी सुविधा मिलेगी |

6) बचत / चालू खाते को इस्तेमाल के लिये चेक रिजर्व बैंक के नियमानुसार जारी करने की ब्यवस्था हो।

7) उसी प्रकार एटीम कार्ड भी नि:शुल्क जारी ही नहीं करे बल्कि ग्राहकों को आकर्षित करने के उद्देश्य हेतु उसे सालाना शुल्क से मुक्त रखे। यहाँ कार्ड का प्रयोग रिजर्व बैंक के नियमानुसार हो यह अवश्य ध्यान रखें।

8) ध्यान रखें हर तरह के सन्देश [SMS] सेवा भी नि:शुल्क रखेंगें तभी ग्रहकों को आकर्षित कर पायेंगे।

9) जब भी ग्राहक भुगतान वास्ते चेक जारी करेगा तब सबसे पहले उसके बचत / चालू खाते वाली रकम का उपयोग होगा उसके बाद ऋण [लोन] की सीमा [लिमिट] वाली रकम का।

10) जब भी बचत / चालू खाते में जमा आती है तो सबसे पहले लोन वाली रकम की भरपायी बाकी बचत / चालू खाते में शेष [बैलेंस] के रूप में दर्शित होगी।

11) अब आइये ब्याज पर, तो बचत खाते में शेष [बैलेंस] पर ब्याज रिजर्व बैंक के नियमानुसार जमा [क्रेडिट] होता रहेगा। उसी प्रकार सावधी जमा पर भी ब्याज तय दर से रिजर्व बैंक के नियमानुसार या तो बचत / चालू खाते में जमा होगा या सावधि जमा वाली रकम बढ़ती रहेगी।

12) ऋण [लोन] खाते में जितनी रकम जितने दिनों तक काम में ली गयी उस पर रिजर्व बैंक के नियमानुसार या आपसी तय की गयी शर्त अनुसार जो साधारणतया सावधी जमा ब्याज से कम से कम 1 % और अधिकतम 2% सावधी जमा ब्याज से ज्यादा के हिसाब से सम्बन्धित बचत / चालू खाते में हर माह नामे [डेबिट] कर दी जायेगी।

उपरोक्त योजना [स्कीम] का फायदा समझ ग्राहक आकर्षित होंगे, उनका विश्वास भी बढ़ेगा साथ साथ इस योजना [स्कीम] से सभी पक्ष लाभान्वित भी होंगे इसका भी पूरा यकीन है।

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि केवल सालाना नि:शुल्क एटीम कार्ड का मतलब 100/- के साथ नि:शुल्क सन्देश[SMS] का मतलब 60/- = यानि टोटल 160/- की छूट दे कर बैंक कम से कम 10000/- की रकम सावधिजमा के रूप में प्राप्त कर पायेंगे और सभी ग्राहक 10000/- की ही सावधी जमा करेंगे ऐसा तो हो ही नहीं सकता। इसलिये इसके तहत एक अच्छी खासी रकम बैंकों को मिलने लगेगी।

दूसरा तथ्य यह भी है कि आजकल 10000/- साधारण ब्यक्ति भी जमा देने में हिचकिचायेगा नहीं कारण हर एक के पास आप 8000/-, 10000/- का मोबाईल देख पाते हैं। उसके अलावा दुपहिया वाहन, घर में एलईडी टीबी, वातानुकूलित उपकरण [एयरकंडीशनर], कपड़ा धोने की मशीन वगैरह आसान किश्तों में उपलब्ध हो जाते हैं।लिखने का तात्पर्य यह है कि ग्राहक आप से जुडा होगा तो आपको ब्याज की आमदनी करायेगा ही।

उपरोक्त सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुये, संक्षेप में बताये गये प्रस्ताव में अभी भी काफी तरलता रखी गयी है। यानि बैंकें चाहे तो अन्य सुविधा भी प्रदान कर यानि हर स्तर पर कुछ और तरह की सुविधा देकर ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं ।

विश्वास है की यदि सभी बैंक मिलकर इसे लोकप्रिय बना पाने में सक्षम होते हैं तो पाँच से दस लाख खाते भारत जैसे देश में हर बैंक आसानी से प्राप्त कर सकते हैं |

आशा है सभी बैंकर ( इसमें रिजर्व बैंक भी ) ही नहीं बैंक ग्राहक भी बदले माहौल में उपरोक्त योजना [स्कीम] पर गहनता से सोचेंगे, अपनायेंगे ताकि सरकार पर बैंकों की निर्भरता में कमी लायी जा सके।